किसानों को राहत देने के लिए सरकार को सोयाबीन की खरीदी करनी चाहिए: गजेंद्र सिंह सोलंकी 

पुनासा। सोयाबीन फसल के कम दामों से किसान परेशान है वर्तमान में सोयाबीन फसल के कम दाम से किसानों का लागत मूल्य भी नहीं निकल रहा है। केंद्र सरकार की सोयाबीन तेल की आयत नीतियों से किसानों को सोयाबीन के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। जबकि सोयाबीन के उत्पादन लागत 5000 प्रति क्विंटल के आसपास पहुंच चुकी है। इधर वर्तमान में मंडी में सोयाबीन की स्थिति देख तो सोयाबीन के 3500-4000 कुंटल भाव किसानों के बिक रहे हैं। जिसके कारण किसानों को सीधे तौर पर नुकसान पहुंच रहा है। केंद्र सरकार विदेशों से सोयाबीन का तेल मंगवा कर देश के नागरिकों के साथ भी बड़ा खिलवाड़ कर रही है। यह मुद्दा किसान कांग्रेस नेता गजेंद्र सिंह सोलंकी ने किसानों के हक में उठाया है। सोलंकी ने बताया कि वर्तमान में सोयाबीन की कम हुई कीमतों से किसानों को प्रति वर्ष बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। वही खरीफ के मुख्य फसल होने से कपास एवं सोयाबीन की किसानों को लागत तक नहीं निकल रही सरकार ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 प्रति कुंटल घोषित कर रखा है। जबकि कृषि मंडी में 3200 से 3600 कुंटल बिक रही है। सोलंकी ने कपास के समर्थन मूल्य जिसको की सफेद सोना कहा जाता है। 11000 से 12000 प्रति क्विंटल करने के मुद्दे को उठाया है। सोयाबीन पिछले 10 वर्षों के न्यूनतम भाव पर दिख रही है एवं कपास भी जिसका मुख्य कारण केंद्र सरकार की नीतियां है। केंद्र सरकार देश में खपत होने वाली मात्रा का 60 प्रतिशत सोयाबीन तेल विदेश से मंगवा रही है। लेकिन देश के किसानों की और ध्यान नहीं रख रही है। सरकार अगर आयात पर टैक्स बढ़ा दे तो किसानों को सोयाबीन का उचित दाम मिलने लगेगा। पहले सोयबीन पर आयात शुल्क 32 फीसदी था जिसको केंद्र सरकार ने घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया है। यही प्रमुख कारण है इसको सरकार ने किसानो को हित को ध्यान मे रखते हुए जानना चाहिए। सोलंकी ने कहा कि इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिस तेजी से महंगाई बड़ी है और कृषि उत्पादन महंगा हुआ है। उतनी तेजी से किसानों की उपज के भाव नहीं बड़े और नहीं केंद्र सरकार ने एमएसपी की दरों में इजाफा किया है। उपर से बारिश की वजह से इलियों का प्रकोप भी बड़ रहा है। जिससे उत्पादन में भी असर पड़ेगा गजेंद्र सिंह ने कहा कि सोयाबीन की फसल के दाम कम होने के बावजूद भी सोयाबीन तेल के दाम कम नहीं हुए हैं वह आज भी 100 से 110 रुपए किलो बाजार में बिक रहा है। जबकि सोयाबीन के भाव ३5 से, 40 रुपए किलो ही है। सोलंकी ने मांग की है कि वर्तमान में किसानों को राहत देने के लिए सरकार को सोयाबीन की खरीदी करनी चाहिए।

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने