प्राथमिक विद्यालय पैगंबरपुर के 95 फीसदी बच्चे पढ़ाई के मामले में शून्य, प्रधानाध्यापिका की बड़ी लापरवाही आई सामने
सिद्धौर/बाराबंकी
विकास खण्ड सिद्धौर के अंतर्गत आने वाले प्राथमिक विद्यालय पैगंबरपुर में बड़ी अनियमितता सामने आई है! सूत्रों से मिली शिकायत पर जब हमारे बाराबंकी संवाददाता मौके पर पहुंचे तो वहाँ पर पता चला कि स्कूल परिसर में बहुत बुरा हाल है! स्थिति बद से बदतर हो चुकी है! बच्चों के साथ शिक्षा के नाम पर बड़ा खिलवाड़ हो रहा है! और प्रदेश सरकार द्वारा चलाये जा रहे सर्व शिक्षा अभियान पर प्रधानाध्यापिका पानी फेरती हुई नजर आ रही हैं!
मात्र 45 फीसदी बच्चे ही स्कूल में उपस्थित मिले! प्राथमिक विद्यालय के बच्चों से जब सवाल पूछा गया तो बच्चों को पाठ्यक्रम के विषय में कोई जानकारी ही नहीं है! अधिकतर बच्चे जिले का और विकास खण्ड का नाम तक नहीं बता पाये! 2-4 बच्चों को छोड़ दिया जाय तो बच्चों को प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री का नाम तक पता नहीं है! इसको लेकर जब विद्यालय की प्रधानाध्यापिका अंजना रानी से पूछा गया तो उन्होने कहा कि बच्चों को पढ़ाया जाता है लेकिन अभी छुट्टियों के बाद आये हैं और इसलिए पढ़ाई भूल गये हैं! जब बच्चों की कम उपस्थिति को लेकर उनसे सवाल किया गया तो उनका कहना था कि बच्चे आते हैं लेकिन इस समय सावन का महीना चल रहा है तो बच्चे मेला देखने गये होंगे! मैडम को ये भी शायद नहीं पता कि शनिवार के दिन सावन का कौन सा मेला लगता है!
स्कूल परिसर में काफी गंदगी फैली हुई थी, जहाँ पर बच्चों का मिड डे मील का भोजन बनता है वहाँ पर लैट्रिन पड़ी थी, और विद्यालय के मुख्य चबूतरे के सामने भी लैट्रिन पड़ी थी, इसको लेकर जब प्रधानाध्यापिका से सवाल पूछा गया तो मैडम का कहना था कि गांव के कुछ अराजक तत्व स्कूल की बाउंड्री वाल छोटी होने से स्कूल के अंदर आ जाते हैं और गंदगी फैलाते हैं!
एक शिक्षिका ने कहा कि आज जब हम सुबह आये तो देखा कि यहाँ पर शराब की बोतलें भी पड़ी हुई थी! और तो और एक शिक्षिका का कहना था कि स्कूल में शौचालय की बहुत बड़ी समस्या है, स्कूल में शौचालय तो है लेकिन इतना गंदा पड़ा है कि वहाँ जाने का मन ही नहीं करता!
इस संबंध में जब प्रधानाध्यापिका से पूछा गया तो मैडम कुछ बोल नहीं पायी! स्कूल के बच्चों को पीने का स्वच्छ जल नहीं मिलता! क्योंकि मौके पर टोटियां ही गायब हैं!
प्रधानाध्यापिका ने बताया कि स्कूल में आये दिन चोरी होती रहती है और चोर टोटियां उखाड़ ले गये जिस वजह से बच्चों का पानी नहीं मिल पाता!
इस संबंध में जब खण्ड शिक्षा अधिकारी सिद्धौर प्रमोद उपाध्याय से बात करने की कोशिश की गयी तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया! सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विद्यालय में मिड डे मील का भोजन महीने में कभी कभार बनता है और अधिकांशतः नहीं बनता है, और जब बनता है तो सिर्फ खानापूर्ति की जाती है!
देखना है कि खंड शिक्षा अधिकारी या फिर बेसिक शिक्षा अधिकारी इस मामले में कोई संज्ञान लेते हैं जिससे शिक्षा स्तर और बच्चों के खानपान में कोई सुधार होगा या बद्तर स्थिति जारी रहेगी!
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स्पोर्ट्स का सामान नहीं है, बच्चे बिना यूनिफॉर्म के मिले
बच्चों को खेल कूद के लिये सरकार की तरफ से हर साल पैसा आवंटित होता है और ये प्रधानाध्यापिका या प्रधानाध्यापक के माध्यम से विद्यालय को मिलता है लेकिन इसके बावजूद पिछले दो साल से विद्यालय में कोई भी स्पोर्ट्स का सामान क्यों नहीं है, इस सवाल पर मैडम ने कहा कि पिछले दो साल से खेल सामग्री के लिये पैसा नहीं मिला है!
हर वर्ष बच्चों को सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार 1200 रूपये प्रत्येक बच्चे को सीधा एकाउंट में देती है बावजूद इसके 95 फीसदी बच्चे बिना यूनिफॉर्म के उपस्थित थे!
अगर देखा जाय तो इसमें प्रधानाध्यापिका अंजना रानी की लापरवाही सामने आयी है, अब देखना है कि इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी या बेसिक शिक्षा अधिकारी की तरफ से कोई कार्यवाही होती है या नहीं या फिर ऐसे ही बच्चों के साथ खिलवाड़ होता रहेगा और बच्चों का शोषण जारी रहेगा!
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