*६९००० शिक्षक भर्ती को लेकर सवर्ण समाज के अभ्यर्थियों के हितों की रक्षा हेतु सवर्ण आर्मी राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सर्वेश पांडेय जी*

*69000 शिक्षक भर्ती : सवर्ण आर्मी चीफ सर्वेश पांडेय बोले नहीं होने देंगे सवर्ण समाज के शिक्षकों के साथ अन्याय ,कोर्ट से सड़क तक। 

सवर्ण आर्मी अध्यक्ष श्री सर्वेश पांडेय जी ने फेसबुक पोस्ट के जरिए सवर्ण समाज के शिक्षकों की मन की बात रखी उन्होंने कहा देख रहा हूं 69000 शिक्षक भर्ती पर ओबीसी दलित समाज के सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी नेता एक स्वर में बोल रहे हैं। लेकिन अभी तक किसी भी सवर्ण सांसद,विधायक, मंत्री का कोई बयान नहीं आया है, जिन सामान्य वर्ग के बच्चों का आज के 4 साल पहले सरकार ने खुद चयन किया था अगर नई चयन प्रक्रिया के अंर्तगत वह बाहर होते हैं तो उनका भविष्य अंधकार में चला जाएगा,मेरे हिसाब से अगर नई मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है तो कम से कम 6000 से 8000 हजार बच्चे नौकरी से बाहर हो जाएंगे हम सामान्य वर्ग के बच्चों के साथ इतना बड़ा अन्याय नहीं होने देंगे। उत्तर प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाए और अगर सरकार नहीं जाएगी तो हमारे बच्चे इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जायेंगे। हम सामान्य वर्ग के बच्चों के भविष्य की लड़ाई कोर्ट में भी लड़ेंगे और जरूरत पड़ी तो सड़कों पर भी लड़ेंगे। वहीं सवर्ण आर्मी प्रदेश मीडिया प्रभारी पुनीत ओझा ने कहा कि हम हमारे अध्यक्ष सर्वेश पांडेय के नेतृत्व में मामले पर नजर बनाए हुए है। किसी भी सवर्ण समाज के भाई बंधु के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। हम सरकार से मांग करते है कि सवर्ण समाज के शिक्षकों के हितों की रक्षा हो ,ये हजारों परिवारों से जुड़ा बेहद संवेदनशील मामला है। मैं सवर्ण समाज से आवाहन करता हूं कि लोग अपने हक के लिए जागना शुरू करे और सवर्ण आर्मी से जुड़े ।

आपको बता दे कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2019 में हुई 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों की सूची नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने 1 जून 2020 और 5 जनवरी 2022 की चयन सूचियां को दरकिनार कर नियमों के तहत तीन माह में नई चयन सूची बनाने के निर्देश दिए। कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है। वहीं पिछली सूची के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की सेवा पर भी संकट खड़ा हो गया है। न्यायमूर्ति ए आर मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने आरक्षण कोटे का सही से अनुपालन न किए जाने के मामले में पिछले साल 13 मार्च को दिए गए एकल पीठ के फैसले को चुनौती देने वाली अशोक यादव व अन्य अभ्यर्थियों की 90 विशेष अपीलो पर यह फैसला दिया है। कोर्ट ने बीते मार्च में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट ने बीते मंगलवार को सुनाया था। फैसला हाईकोर्ट की बेबसाइट पर शुक्रवार को अपलोड हुआ।कोर्ट ने कहा नई चयन सूची में 1981 के नियम के तहत आरक्षण अधिनियम 1994 के मुताबिक आरक्षण नीति का पालन किया जाए। अगर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी की मेरिट सामान्य श्रेणी के बराबर आए तो वह सामान्य श्रेणी में आ जाएगा। इन निर्देशों के तहत ऊपरी क्रम में आरक्षण दिया जाएगा। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सूची तैयार करने में अगर कोई कार्यरत अभ्यर्थी प्रभावित हो तो राज्य सरकार या सक्षम प्राधिकारी उसे सत्रांत का लाभ प्रदान करेंगें। जिससे इसका खामियाजा विद्यार्थियों को न भुगतना पड़े। कोर्ट ने इन निर्देशों के अनुसार एकल पीठ के आदेश व निर्देशों को संशोधित कर दिया। इस मामले में 69 हजार प्राथमिक सहायक शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण के विवाद के मुद्दे उठाए गए थे।
इस मामले में परिषदीय विद्यालयों के 69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा में आरक्षण विसंगति पाए जाने पर हाईकोर्ट ने 13 मार्च 2023 को 6800 अभ्यर्थियों की सूची रद्द करते हुए पूरी लिस्ट को फिर से देखने का आदेश राज्य सरकार को दिया था, इसके खिलाफ 19000 सीटों पर विवाद को लेकर कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की दो न्यायाधीशों के खंडपीठ में विशेष अपील दाखिल की थी। पिछले साल 13 मार्च को एकल पीठ ने मामले में 1 जून 2020 को जारी सहायक अध्यापक के चयन से जुड़ी सूची को तीन माह में संशोधित करने का निर्देश दिया था। 

          हिन्दी संवाद न्यूज़ से
           रिपोर्टर वी. संघर्ष
           

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