अयोध्या - रामनगरी के हजारों मंदिरों में गुरु- शिष्य परंपरा के शीर्ष उत्सव गुरु पूर्णिमा भव्यता से मनाने की तैयारी पूरी हो चुकी है। रविवार को सूर्य की किरणें पृथ्वी को स्पर्श करें इससे पहले मंदिरों में लाखों भक्तों की भीड़ जुटने लगेगी जो देर शाम तक बनी रहेगी। इससे पहले कई संतो -महंतों ने दूर- दराज में रहने वाले अपने शिष्यों को गुरु पूर्णिमा का आमंत्रण पत्र भी भेजा है। कई मंदिरों को बिजली से चलने वाली रंग- बिरंगी झालरों और फूलों से सजाया गया है।
अपने गुरु को श्रद्धा निवेदित करने के लिए शनिवार से ही देश के कई जगहों से भक्त आने शुरू हो गए हैं। रविवार की सुबह ज्यादातर भक्त सरयू में स्नान करने के बाद सबसे पहले गुरु दर्शन की अभिलाषा लेकर मंदिरों में पहुचेंगे। इसी के साथ हनुमान गढ़ी, कनक भवन, रामजन्मभूमि ,नागेश्वर नाथ आदि मंदिरों में दर्शन- पूजन करेंगे। गुरु -शिष्य परंपरा से जुड़े दर्जनों मंदिरों को फूलों से सजाया गया है। साथ ही शिष्यों के आगमन पर उनके स्वागत सत्कार और भोजन के भी प्रबंध किए गए हैं। मणिराम दास जी की छावनी, श्री राम वल्लभा कुंज, बड़ी छावनी, बड़ा स्थान, तीन कलश तिवारी मंदिर, बड़ा स्थान , बड़ा भक्त माल मंदिर सहित दर्जनों मंदिरों में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं यहां भक्तों का जन सैलाब एकत्रित होता है। राम कचहरी चार धाम मंदिर के महंत शशिकांत दास और प्रख्यात कथाकार प्रभंजनानंद शरण कहते हैं कि इस दिन जन्मे वेदव्यास जी ने ग्रंथो की रचना करके इस संसार में ज्ञान का प्रसार किया और सत्य का मार्ग दिखाया था। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं की पूजा और उनका सम्मान करने की परंपरा सदियों पुरानी है। शास्त्रत्तें में गुरु को भगवान के ऊपर का दर्जा दिया गया है। ऐसे में गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरुओं से आशीर्वाद लेने की परंपरा का निर्वहन लोग करते चले आ रहे हैं।

                हिन्दी संवाद न्यूज़ से
                    वी. संघर्ष✍️
             
      

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