उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज जनपद पीलीभीत की तहसील कलीनगर व पूरनपुर के बाढ़ प्रभावित ग्रामों का हवाई सर्वेक्षण किया। उन्होंने चंदिया हजारा पहुंचकर बाढ़ प्रभावित लोगों से उनकी समस्याएं जानी तथा उन्हें राशन किट वितरित की। मुख्यमंत्री जी ने पूरनपुर तहसील के ग्राम अभयपुर जगतपुर में आयोजित बाढ़ राहत शिविर में जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि जिन ग्रामों के लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाए। जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती है, तब तक उनके लिए भोजन व पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। पशुओं के लिए भी चारे की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिए कि जिन बाढ़ पीड़ितों के मकान गिर गये हैं, उनकी सूची तैयार कर शीघ्र प्रेषित की जाए, जिससे उन्हें आवास दिए जा सकें। जिन किसानों की फसल नष्ट हो गयी है, उनकी फसल का आकलन किया जाए, जिससे शासन द्वारा फसल का मुआवजा दिया जा सके और वह दोबारा अपनी फसल लगा सके। जिन किसानों की कृषि भूमि का कटान हो गया है, उन्हें चिन्हित कर पट्टा आवंटन की कार्यवाही की जाए, जिससे उनका भरण-पोषण हो सके।
मुख्यमंत्री जी ने बाढ़ राहत शिविर में लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पिछले एक सप्ताह से उत्तराखण्ड, नेपाल और इस क्षेत्र के अलग-अलग जनपदों में अतिवृष्टि के कारण नदियों में काफी जल प्रवाह हुआ है। इसके कारण यहां पर बड़े पैमाने पर जल प्लावन की स्थिति और बाढ़ की समस्या बनी है। इससे पहले जून महीने के अंत या जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में बाढ़ की स्थिति नहीं देखी जाती थी। बाढ़ अगस्त माह में 15 से 30 तारीख के बीच में देखने को मिलती थी। इस बार जुलाई के प्रथम सप्ताह में ही हमें बाढ़ की समस्या से जूझना पड़ रहा है। बाढ़ से प्रदेश के पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, श्रावस्ती, गोण्डा, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, बाराबंकी, शाहजहांपुर तथा बलिया सहित 12 जनपद प्रभावित हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सरकार ने अपने स्तर से बाढ़ से बचाव के सभी उपाय समय से पूरा करने के प्रयास किए हैं। अतिवृष्टि से जनपद पीलीभीत में शारदा नदी तथा देवहा नदी के कारण बाढ़ की स्थिति देखने को मिली है। प्रशासन से कहा गया है कि प्रभावित क्षेत्रों में बचाव और राहत कार्य तत्काल प्रारम्भ कर दे। सबसे पहले प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की व्यवस्था की जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पीलीभीत की पांच तहसीलों के 152 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। कुछ गांवों में आबादी और कृषि की फसल बाढ़ से प्रभावित हुई है। सदर तहसील के 16 गांव, बीसलपुर तहसील के 33 गांव, पूरनपुर तहसील के 60 गांव, कलीनगर तहसील के 20 गांव और अमरिया तहसील के 23 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। 76 हजार आबादी ज्यादा प्रभावित हुई है। इनके लिए नौकाएं तथा मोटर बोट लगाई गई हैं। खाद्यान्न के पैकेट और लंच पैकेट बनाने के आदेश दिए गए हैं। तीन जनहानि तथा 13 पशुहानि भी हुई है। पशुओं के चारे की व्यवस्था के लिए भी प्रशासन को आदेश दिये गये हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाढ़ से बचाव के लिए 261 शरणालय तथा 46 बाढ़ चौकियों का गठन किया गया है। एन0डी0आर0एफ0 की 01 तथा एस0डी0आर0एफ0 की 02 टीमों सहित पी0ए0सी0 और एस0एस0बी0 को भी बचाव और राहत कार्य में लगाया गया है। बाढ़ पीड़ितों के लिए सरकार ने अनेक सुविधाएं देने के निर्देश दिए हैं। जिन गांवों में घरों के अंदर पानी घुस गया है, वहां बाढ़ पीड़ितों के लिए कम्युनिटी किचन की व्यवस्था किए जाने के निर्देश दिए गए हैं, इससे लोगों को भोजन आदि की सुविधा बिना भेदभाव के प्राप्त हो सकेगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पीड़ित तथा प्रभावित परिवारां को दो राहत पैकेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इनमें एक पैकेट में 05 किलो लाई, 02 किलो भुना चना, 01 किलो गुड़, 10 पैकेट बिस्कुट, एक पैकेट माचिस, एक पैकेट मोमबत्ती, दो नहाने के साबुन, 20 लीटर पानी के लिए एक जरीकेन और तिरपाल उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए हैं। द्वितीय पैकेट में 10 किलो आटा, 10 किलो चावल, 02 किलो अरहर की दाल, 10 किलो आलू, हल्दी, मिर्च, मसाला, सरसों का तेल तथा 01 किलो नमक उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए हैं। जहां पर ईंधन की कमी है, वहां पर उन्हें केरोसिन भी उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जनहानि पर पीड़ित परिवार को तत्काल 04 लाख रुपये की सहायता प्रदान करने के लिए जिला प्रशासन को निर्देशित किया गया है। पशुहानि पर प्रभावित परिवार को 24 घंटे के अंदर अनुमन्य आर्थिक सहायता मिल जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज उन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में ग्राम पंचायतें बड़ी नौकाओं की व्यवस्था करके रखें। इसके लिए सरकार धनराशि उपलब्ध कराएगी। प्रशासन इसमें पूरा सहयोग करेगा। जहां पर नदियां काफी उथली हो चुकी है, वहां नदियों की ड्रेजिंग करके चैनेलाइज करने के लिए विभागीय मंत्री से कहा गया है। वहां नदी की धारा इस प्रकार मोड़ी जाए, जिससे खेत और लोगों की जमीन न कटे। जिन लोगों की जमीन नदी में विलीन हो गई है, उनको जमीन के पट्टे उपलब्ध करवाने के लिए अभी से चिन्हित करने की आवश्यकता है, जिससे उन्हें सहायता मिल सके।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बंगाल से आए हुए अनेक परिवार पिछले 50 वर्षों से इस क्षेत्र में रह रहे हैं। इनमें से ज्यादातर लोग वह हैं, जिन्हें 1971 में बांग्लादेश से सुरक्षित निकालकर इन क्षेत्रों में बसाया गया था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के माध्यम से इन्हें नागरिकता देने के लिए एक व्यवस्था बनायी है। प्रशासन ऐसे लोगों को तत्काल इस एक्ट के अन्तर्गत नागरिकता प्रदान करने की व्यवस्था करे। इन्हें मतदान का अधिकार और जमीन के पट्टे आदि उपलब्ध होने चाहिए। इन्हें सर्टिफिकेट भी जारी होने चाहिए, जिससे उन्हें भी भारत का नागरिक होने का एहसास हो सके।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यहां पर टाइगर रिजर्व है। टाइगर तथा तेंदुए के कारण अक्सर जनहानि की शिकायत मिलती है। जो खेत जंगल के पास हैं, उनकी सोलर फेंसिंग के लिए धनराशि स्वीकृत की गई है। प्रशासन अगर वन विभाग के साथ मिलकर जंगल की ओर से उन खेतों की फेंसिंग कर दे, तो जंगली जानवर खेतों में नहीं आएंगे और टाइगर आदि का भय वहां लगभग समाप्त हो जाएगा।
मुख्यमंत्री जी ने आपदा से प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि डबल इंजन सरकार उनके हितों के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य करेगी। आपके लिए किसी भी चीज की कमी नहीं होने दी जाएगी। आपदा से जूझने के साथ-साथ, सरकार हर सम्भव मदद प्रदान करेगी।
इस अवसर पर केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद, प्रदेश के जल शक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास राज्य मंत्री श्री संजय सिंह गंगवार, कृषि राज्य मंत्री श्री बलदेव सिंह ओलख सहित जनप्रतिनिधिगण एवं शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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