उतरौला बलरामपुर तहसील उतरौला क्षेत्र में मोहर्रम का चांद रविवार के दिन दिखने के बाद 
कर्बला के 72 शहीदों की याद में मनाए जाने वाले मोहर्रम का आगाज़ शुरू हो गया। आठ जुलाई दिन सोमवार को मोहर्रम की पहली तारीख शुरू हो गई है। मोहर्रम कमेटी के जनरल सेक्रेट्री डाक्टर आरिफ रिज़वी ने बताया कि माहे मोहर्रम की तैयारियां पूरी हों चुकीं हैं। सभी इमाम बाड़ा व घरों की साफ-सफाई का काम मुकम्मल हो चुका है। मोहर्रम पुरे तहसील क्षेत्र के कस्बा उतरौला, ग्राम अमया देवरिया, रेहरा माफी, रेहरा बाजार, रैगांवा चमरुपुर, महदेइया मोड़, सादुल्लाह नगर, मीरपुर, पचपेड़वा, तुलसीपुर श्रीदत्तगंज, बलरामपुर सहित सभी इलाकों में पूरी अकीदत मंदों के साथ मनाया जाएगा। नौ मोहर्रम की रात इमाम हुसैन के रौजे की नकल ताजिया को हर चबूतरो, घरों के चौक व इमामबाड़ो में रखकर सभी जगहो पर फातिहा दिलाने की परंपरा चली आ रही है। 10 मोहर्रम को दो बजे के बाद मोहल्ला सुभाष नगर बड़ा इमामबाड़ा से जूलूस निकाल कर नोहा खानी पढ़ते हुए मातम, व जंजीरी मातम करते हुए मुख्य मार्ग से निकल कर शाम लगभग छः बजे कब्रला पर पहुंच कर ताजिया को कर्बला में दफन कर दिया जायेगा। जिले में व जिले कई जगहों पर अपने घरों व इमामबाड़ा में बड़े व छोटे ताजिया को बांस व कागजो से तैयार किए जा रहे हैं। डाक्टर आरिफ ने बताया कि यह काम बकरीद माह के 30 वीं तारीख दिन रविवार की शाम को मोहर्रम का चांद निकलेगा। जिसे देखते ही लोग गमजदा के माहौल में हो जाते है। उसी रात से इमामबाड़ा  घरों व मस्जिदों में मजलिस का दौर शुरू होकर 10 वीं मोहर्रम तक चलता है। उन्होंने यह भी बताया कि नौवीं तारीख की शाम को कस्बा सहित अन्य ग्रामीणों में ताजिया रखने के बाद 10 वीं तारीख को मजलिस के बाद अलम के साथ मातमी जुलूस निकाला जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि गम का यह महीना पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व उनके 71 साथियों की हक के रास्ते पर चलकर  अजीम शहादत मिली है और पूरी दुनिया में यह शहादत मशहूर हैं। और हम लोग इस त्यौहार को शांति पूर्वक व भाईचारे के साथ सरकार के निर्देशानुसार मनाएं। ताकि किसी को कोई असुविधा न होने पाए। उतरौला तहसील व आस पास के क्षेत्र में बड़े शानो शौकत के साथ शिया सुन्नी समुदाय के लोग मिलजुल कर माहे मोहर्रम का एहतमाम करते हैं। उतरौला में एक मोहर्रम से लेकर 10 मोहर्रम तक लगभग 26 से ज्यादा इमामबाड़ों में फजर की नमाज के बाद से देर रात तक मज लिसों का सिलसिला जारी रहेगा, और उसके साथ साथ अजादारी भी जायेगी है। शिया सुन्नी समुदाय के साथ-साथ हिंदू भाइयों को भी ताजिया में बड़ी आस्था रहती है। रानीपुर, बदलपुर, गैड़ास बुजुर्ग, गायडीह, हुसैनाबाद, इटई रामपुर जैसे गांव में हिंदू मुस्लिम मिलकर इमाम हुसैन की याद में सबसे ज्यादा कीमत वालीं आलीशान ताजिया रखते हैं।मोहर्रम से पहले नगर में साफ सफाई इमामबाड़ों की पुताई का कार्य भी पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन की याद में पूरी दुनिया मे अकीदत मंदों के साथ मानते हैं। इमाम हुसैन और उनके परिवार की याद में जगह-जगह मुस्लिमों के अलावा हिंदू भाई भी पानी की सबील नियाज़ फातिहा आदि वगैरा कराते है। उतरौला में इस वर्ष मौलाना सिबते हैदर, मौलाना मोहम्मद अली, मौलाना फिदा हुसैन के अलावा बाहरी उलेमा भी मजलिस को खिताब ताब करेंगे। देश विदेश में रहकर काम करने वाले लोग भी मोहर्रम में अपने ही वतन पर आकर इमाम हुसैन की अज़ादारी करते हैं।
डाक्टर आरिफ ने नगर पालिका,बिजली विभाग व शासन प्रशासन से सहयोग की करने की मांग की है।


            हिन्दी संवाद न्यूज़ से
          असगर अली की रिपोर्ट
            उतरौला बलरामपुर। 

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