राजकुमार गुप्ता 
 मथुरा । जनपद के गोवर्धन में राजकीय मुड़िया पूर्णिमा मेला अपने पूरे चरम पर पहुंच गया है। शुक्रवार को मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंची। आस्था का रेला मोक्ष और पुण्य की कामना के लिए उमड़ता रहा। गिरिराज महाराज की परिक्रमा के साथ- साथ श्रद्धालुओं ने गिरिराज जी पर दूध चढ़ाया तो मानसी गंगा में लगे फव्वारों के नीचे स्नान व आचमन कर धार्मिक परंपरा का निर्वाह किया। कभी तेज धूप, कभी उमस तो कभी हल्की बारिश की बौछार भी हुई, लेकिन श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ।
दानघाटी मंदिर, मुकुट मुखारबिंद, मानसी गंगा सहित अन्य आस्था स्थलों पर अपने आराध्य के दर्शन और पूजन के लिए भक्तों को शाम के बाद पैर रखने तक की जगह नहीं मिल रही थी। उधर, मुड़िया संतों ने मुंडन भी कराया। शोभायात्रा की तैयारी में भी जुट गए हैं। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी नियंत्रण कक्ष से और परिक्रमा मार्ग पर जाकर जायजा लेते रहे।
मेले के तीसरे दिन श्रद्धालुओं के जत्थे पहुंचते रहे और राधे-राधे करते हुए परिक्रमा मार्ग पर बढ़े जा रहे थे। रात होने तक भीड़ और बढ़ गई और परिक्रमा मार्ग पर मानव श्रृंखला नजर आने लगी। इससे पूर्व बृहस्पतिवार रात को भी यही सिलसिला रहा। परिक्रमा मार्ग पर मानव श्रृंखला बन गई। इसके बाद भक्त मंदिरों में मंगला आरती दर्शन के लिए उमड़ पड़े। इससे पहले दिन में आस्था के मिनी कुंभ के नाम विख्यात मुड़िया मेले में भक्ति और प्रकृति के अनूठें नजारे दिखाई दिए। सात जन्मों के बंधन से मुक्ति और मन में तमाम मनोकामना संजोए श्रद्धालु गिरिराज महाराज की शरण में पहुंचे।
परिक्रमार्थियों में देश के हर प्रांत से विविध भाषा और वेशभूषा के श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। सभी के राज्य, भाषा, खान पान, वेशभूषा बेशक अलग है। मगर, गोवर्धन महाराज की शरण में पहुंचने पर आस्था का रंग एक जैसा ही सब पर चढ़ा है। इन्हें देखकर गोवर्धन लघु भारत नजर आ रहा है। हर कोई अपना मत्था गिरिराज जी की तलहटी में टेकता है। तलहटी में रहने वाले संतों में सनातन संस्कृति की अमिट छाप है, जो कि प्राचीन काल से ही चली आ रही परंपरा को निभाते हैं। तलहटी में आने वाले भक्तों ने महाराज के दर्शन व परिक्रमा को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। राजस्थान के सभी जिलों से भक्त परिक्रमा करने पहुंचे हैं। गुजरात, महाराष्ट्र से आने वाले भक्त अपना पूजन जतीपुरा मुखारविंद मंदिर पर करते हैं। मध्यप्रदेश, राजस्थान , हरियाणा पंजाब  से लाखों श्रद्धालु आए हैं। तलहटी में पेड़-पौधों की हरियाली, पीले-भूरे रंग की रज और शिलाओं के रूप में विराजमान गिरिराज पर्वत प्राकृतिक सुंदरता का अनूठा उदाहरण है।

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