राजकुमार गुप्ता 
मथुरा।बृज की रज बिकने की खबर से हर कोई हैरान है। रज को  बेचने वालों को शायद यह नहीं मालूम है बृज की रज अनमोल है। इसकी कोई कीमत नहीं है। ब्रज  दर्शन करने आने वाले लाखों श्रद्धालु इस रज को अपने मस्तिष्क से लगाते हैं और उसमें लोटपोट होते हैं।
ऑनलाइन वस्तुओं की बिक्री करने वाली एक कंपनी की वेबसाइट पर ब्रज की रज तीन हजार रुपये किलो बिक रही है।इसमें पचास प्रतिशत की छूट भी  दर्शाई जा रही है।गौरतलब है कुछ दिनों पहले गोवर्धन से गिरिराज महाराज की शिला बेचने का प्रकरण भी सामने आया था।युवा समाजसेवी सुजीत वर्मा ने इस प्रकार की गतिविधि को ब्रज संस्कृति विरोधी बताते हुए कंपनी के विरुद्ध शिकायत दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की है।उन्होंने कहा कि ब्रज भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है। यहां की रज में उन्होंने अपनी बाल लीलाओं को संपादित किया है। इस रज के तिलक को भक्ति के आचार्यों ने अपने मस्तक पर धारण किया है। इस प्रकार के कृत्य को स्वीकार नहीं किया जाएगा।विगत कुछ समय से ब्रज को व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित करने की कोशिश की जा रही है, प्रशासन को इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कार्यवाही करनी चाहिए।आज भक्ति का व्यवसायीकरण कर उसे बेचने का कार्य किया जा रहा है। इस सबके पीछे भक्ति को साधारण विषय बना कर यूट्यूब अथवा फेसबुक पेज पर प्रचार  करने वाले धर्म की आड़ में व्यापार करने वाले व्यापारी ही हैं।

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