विश्व योग दिवस विशेष 

खंडवा की एक शिक्षिका योग सीखकर बांटने निकली है स्वस्थ्य रहने का ज्ञान


हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस खास दिन को मनाने की शुरुआत हमारे देश भारत से ही हुई थी। कहते हैं कि 'जो करते हैं योग, उन्हें नहीं छूता कोई भी रोग। आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में अच्छा स्वास्थ्य जब किसी चुनौती से कम नहीं, तब एक नारी के मन की चाह दूसरों के लिए स्वस्थ रहने की राह प्रशस्त कर रही है। सदियों से जिस योग विद्या ने इंसानी जीवन को नया उजाला दिया है, उसी के जरिए खंडवा की योग शिक्षिका डिंपल भद्वावले हर किसी के जीवन से व्याधियों का अंधेरा दूर करने में जुटी हैं। उनका यह मिशन ज्यादा पुराना तो नहीं, मगर शिद्दत इसमें कहीं ज्यादा गहरी है।
विद्यार्थी से लेकर एक आम व्यक्ति को वे योग का पाठ इस कद्र पढ़ाने को जुनूनी है, जिससे जिंदगी में स्वस्थ तन-मन के रंग भरे जा सके। 
हम बात कर रहे खंडवा के गायत्री कॉलोनी लाल चौकी निवासी श्रीमती डिंपल भद्वावले (45) ने वैसे तो कैरियर के लिए फिटनेस को ही चुना। आठ साल तक जिम में फिटनेस ट्रेनिंग और योग करवाया। और अब स्कूल में विगत ४ वर्षो से योग सिखाती है। १२ वर्षो से इसी क्षेत्र में एक शिक्षिका के तौर पर कार्य कर रही है। लेकिन मन में हमेशा ही दूसरों के लिए बहुत कुछ करने की उधेड़बुन चलती रही। बचपन से फिटनेस के प्रति लगाव के चलते एरोबिक्स योग, स्ट्रैंथ ट्रेनिंग, आर्ट आफ लिविंग वेलनेस की ट्रेनिंग प्राप्त की।
पिता से मिली प्रेणना
पिता स्वर्गीय रमेशचंद्र शर्मा को गरीब कन्या विवाह जैसे समाज सेवा कार्य करते देख, धार्मिक परिवेश में बडी हुई, धार्मिक कार्यो में रूचि होने से गायत्री परिवार की सदस्य भी बनी। बचपन से पढ़ने पढ़ाने का शौक रहा। ससुराल बच्चों की जिम्मेदारी के चलते कई बरस घर पर बच्चों को टयूशन पढाया। वर्तमान में एक प्रायवेट स्कूल में योग शिक्षिका का  दायित्व निभा रही है। फिर एक दिन सोचा कि वे दूसरों के लिए ऐसा क्या कर सकती हैं जो जीवन को नई ऊर्जा दे।
तब अपने सीखे हुए योग के प्रचार की ठानी, ताकि इसके जरिए हर कोई स्वस्थ रह सके। चूंकि वे दो बच्चों की मां हैं और उनके पति संजय भद्रावले व्यवसाय करते हैं। इसलिए घर भी संभालना था और इस सपने को हकीकत में बदलना भी था। इसलिए खंडवा में जिम ट्रेनिंग के साथ महर्षि पतंजलि हरिद्वारा केंद्र से योग प्रशिक्षिका की पढ़ाई शुरू की। डिग्री हासिल की और आज वे खुद चलकर शहर व गांवों के मुहल्लों में योग सिखाने जाती हैं। अलग-अलग जगह पर आयोजित योग शिविर में भी अपनी सेवाएं देती है। कहीं एनएसएस कैंप हो या कोई सेमिनार अथवा खेल विभाग की तरफ से लगने वाले प्रशिक्षण कैंप, सभी मे वे योग का ज्ञान बांटती हैं। वर्तमान में महिला पतंजलि योग समिति एवं योगा एवं स्पोर्टस एसोसिएशन में कोषाध्यक्ष का दायित्व भी संभाल रही है। और आज होने वाले वर्ल्ड योग दिवस पर भी योग  शिक्षिका के रूप में शामिल होगी।
देती है हेल्थ टिप्स 
हेमंत मोराने ने बताया की शिक्षिका डिम्पल भद्वावले लोगो को फोन पर स्वस्थ रहने के खान-पान की आदतों से जुड़े कुछ हेल्थ और आहार के टिप्स भी देती हैं। कुछ  टिप्स के जरिए शरीर में दर्द का इलाज ५ मिनिट में ठीक कर देती है। उनका तन मन से जुड कर इस कार्य में लगना पैसा कमाना न होकर सेवा कार्य को अपना उदेश्य मानती है। एक सेमिनार में गई तो लोगो को ताली बजाने की क्रिया से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सकारात्मक असर का मर्म समझाया।  डिंपल कहती हैं कि पहला सुख निरोगी काया की बात को वे लोगों के लिए निजी अनुभव बनाने की चाह रखती हैं। ताकि हर कोई योग से जुड़कर न केवल निरोग रहे बल्कि देश और समाज के उत्थान में योगदान भी दे। जब तन स्वस्थ्य होगा और मन में शांति व सकारात्मक ऊर्जा का समावेश होगा, तभी तो अच्छे भविष्य की कल्पना की जा सकती है।
गांवों में सिखाने जाती हैं योग 
डिंपल जिले के गांवो में भी योग सिखाने जाती हैं। उन्होंने यह मुहिम शुरू की है। हजारों लोगों को योगाभ्यास करवा चुकी हैं। वे बताती हैं कि योग के अभ्यास से लोगों की वे बीमारियां भी दूर हो रही हैं, जिनके लिए वे कई साल से दवा खा रहे थे। बहुत सी बीमारियों का इलाज हमारे शरीर के अंदर ही है। बस जरूरत है तो योग के जरिये उस रोग नाशक शक्ति को जागृत करने की। डिंपल पर्यावरण, स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण के साथ ही जरूरतमंद बच्चों के  लिए निशुल्क शिक्षा के लिए बढते कदम शिक्षा की ओर में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने गरीब कन्याओं का विवाह करवा और कन्यादान सामग्री भेट कर सामाजिक सेवा में सहयोग दिया। परिवार समाज देश कल्याण की भावनाओं के साथ सतत सेवा पथ पर अग्रसर होकर कार्य रही इस शिक्षिका को आज योग दिवस पर हम उनके कार्यों को नमन करते है।

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