विश्व पर्यावरण दिवस आज...
खंडवा के पर्यावरण प्रेमी मुकेश ने घर की छत को बना दिया गार्डन, गर्मी में भी लहलहा रहे पौधे
बगिया निहारने आते है रिश्तेदार, मित्र
गर्मी में बाहर से कम रहता घर का तापमान
प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और मानव जीवनशैली के लिए इनके गलत उपयोग से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। दूषित पर्यावरण उन घटकों को प्रभावित करता है, जो जीवन जीने के लिए आवश्यक हैं। ऐसे में पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने, प्रकृति और पर्यावरण का महत्व समझाने के उद्देश्य से हर साल ५ जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते हैं।
छत को हीं गार्डन बना रखा है
पर्यावरण संरक्षण में बहुत से लोग अपनी ओर से सहभागिता निभाते है। ऐसे ही खंडवा शहर के दादाजी वार्ड निवासी पर्यावरण प्रेमी काले दंपत्ति को बागवानी का शौक है। इस शौक के चलते इन्होंने पूरे छत को हीं गार्डन बना रखा है। छत पर गमलों में हीं फल, फूल औषधीय पौधे सहित सब्जी लगा रखी है जो न केवल छत की सुंदरता बढ़ा रहे है, बल्कि इन्हें ताजे, फल, सब्जियां भी मुहैया हो रही है।
पेशे से व्यवसायी पर्यावरण प्रेमी मुकेश काले के घर की छत हैरत में डालने वाली है। यहां दुर्लभ प्रजातियों के पेड़ मिलेंगे। उन्होंने मकान की पूरी छत को ही गार्डन बना डाला। 700 स्क्वायर फ़ीट छत ९ सालों की मेहनत से 150 से अधिक प्रजातियों के करीब 500 से अधिक पेड़ व पौधे लगाए हैं। विभिन्न प्रजातियों के पौधे लहलहा रहे हैं। जिसमें धार्मिक उपयोग के पौधों में तुलसी, बिलपत्र, पीपल, विभिन्न प्रकार के फूल, समेत कई पौधे छत पर लगे हैं।
पक्षियों के लिए 12 महिने सकोरे में दाना पानी
श्रीमति पूर्णिमा काले ने बताया कि वह बचपन से पर्यावरण को तवज्जो देती है, यही कारण है कि छत पर बागवानी के साथ ही पक्षियों के लिए 12 महिने सकोरे में दाना पानी रखा जाता है, छत सहित घर के बालकनी में रखे पौधों पर पंछियों ने घोंसला बना रखा है।
उन्होंने बताया कि नो साल पहले गमलों में कुछ मनी प्लांट्स की कटिंग और गुलाब के पौधे लगाए थे। बाद में उन्होंने नर्सरी से कुछ सजावटी पौधे भी खरीदकर अपने गार्डन में लगाना शुरू किया। एक पौधे से शुरुआत करके, आज उन्होंने अपने घर की छत को सैकड़ों पौधों से भर दिया है। अब जन्मदिन, सालगिरह पर गिफ्ट में पौधे ही देते है। सारे आयोजन यही मानते है।
घर में एसी की जरूरत नही पड़ती
उन्होंने बताया गार्डन से गर्मियों में घर का तापमान 4-5 डिग्री बाहर से कम रहता है। पूरी छत पर टैरिस गार्डन है। अब उन्हें घर में एसी की जरूरत महसूस नहीं होती। एक कूलर से काम चल जाता है। घूमने के लिए भी बाहर नहीं जाना पड़ता। छत पर घूम लेते हैं। गार्डन में घूमने से सुकून मिलता है। पेड़ पौधों की स्वयं व पूरा परिवार देखभाल करते हैं।
श्री काले ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देने हेतु टेरेस गार्डन बनाया। जिसमे अधिकतर पेड़ गमलों में लगे हैं। इस कारण से भी इन्हें पोषक तत्वों की ज्यादा आवश्यकता होती है। पौधों में खाद की कमी को पूरा करने के लिए बची हुई सब्जियों से जैविक खाद तैयार कर समय-समय पर पौधों को दिया जाता है।
बाहर से आते है बगिया देखने
टेरेस गार्डन घर में बगिया की कमी को बखूबी पूरा करता है। अब और लोग व रिश्तेदार बगिया देखने आते रहते है। इसे कोई भी अपने घर की छत या बालकनी पर तैयार करवा सकता है। वह इसमें मदद करने हेतु भी तैयार है। हमें मुकेश काले जैसे पर्यावरण प्रेमी के जीवन में से एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में मान्यता देनी चाहिए। उनकी इस साहसिक पहल के माध्यम से, हमें अपने आसपास के पर्यावरण के प्रति सजगता और समर्पण की दिशा में प्रेरित होना चाहिए। उनके द्वारा किये गए यह प्रयास एक महत्वपूर्ण संदेश है, कि हर व्यक्ति के पास अपने योगदान की शक्ति है और हमें संवेदनशीलता के साथ काम करना चाहिए।
इस पर्यावरण दिवस पर, हम सभी को अपने पर्यावरण संरक्षण में योगदान करने का संकल्प लेना चाहिए, जैसे मुकेश काले ने किया है। उनका उदाहरण हमें सीखने और अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
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