राजकुमार गुप्ता 
मथुरा।12 जून ब्रज की पवित्र भूमि, जो श्रीकृष्ण और राधारानी की लीलाओं की साक्षी रही है, आजकल अनेक अनुचित गतिविधियों का केंद्र बनती जा रही है। भक्तों और सांस्कृतिक प्रेमियों के लिए चिंता का विषय यह है कि ब्रज की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक परंपराओं का व्यवसायीकरण और अपमान हो रहा है।

# बृजरज का व्यापार

इंटरनेट के युग में, ब्रज की पवित्र मिट्टी, जिसे 'बृजरज' के नाम से जाना जाता है, का व्यापार जोर पकड़ रहा है। सोशल साइट्स पर इसे ₹3000 प्रति किलो के भाव से बेचा जा रहा है। इस प्रकार का व्यवसाय ब्रज की पवित्रता और इसकी आध्यात्मिक महत्ता का ह्रास है। यह व्यापार श्रद्धालुओं की भावनाओं का दोहन कर रहा है और इसकी पवित्रता को बाजारू बना रहा है।

#राधा रानी के पति पर अनुचित टिप्पणियाँ

सोशल मीडिया पर हाल ही में राधा रानी के पति को लेकर की गई अनुचित टिप्पणियों ने विवाद खड़ा कर दिया है। इस तरह की टिप्पणियाँ न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करती हैं, बल्कि ब्रज की संस्कृति और परंपराओं का भी अपमान करती हैं। भक्तों का कहना है कि यह घटनाएँ राधा-कृष्ण की प्रेम कथा की पवित्रता को ठेस पहुँचाने वाली हैं।

# संतों का स्वयं राधा बनना

ब्रज में कुछ संत, जो पहले 'राधा राधा' का जाप करते थे, अब स्वयं को राधा मानने लगे हैं। वे अपनी शिष्याओं को कृष्ण बनाकर उनसे चरण सेवा करा रहे हैं। यह घटना ब्रज की प्राचीन धार्मिक परंपराओं और संतों की गरिमा का उल्लंघन है। संतों का मुख्य कर्तव्य भक्तों को सही मार्ग दिखाना और भक्ति का सच्चा स्वरूप सिखाना होता है, न कि अनुयायियों को भ्रमित करना।

# सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर पर संकट

ब्रज की संस्कृति और इसकी धार्मिक परंपराओं का संरक्षण और संवर्धन हम सभी की जिम्मेदारी है। इन अनुचित गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाना और ब्रज की सच्ची महिमा और पवित्रता को बनाए रखना आज की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों का सम्मान और संरक्षण ही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

ब्रज के प्रेमी और श्रद्धालु अब इस स्थिति को सुधारने के लिए संगठित हो रहे हैं और सरकार से भी अपेक्षा कर रहे हैं कि वह इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए। ब्रज की पवित्र भूमि को इस संकट से बचाना हम सभी का कर्तव्य है।

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