योग से केवल शरीर ही नहीं वरन् मन-मस्तिष्क-वाणी सभी कुछ होता है शुद्ध- सहकारिता राज्यमंत्री

भारतवर्ष की प्राचीन योग पद्धति आरोग्य, लंबी आयु, सुखमय जीवन प्रदान करने का सशक्त माध्यम-जे.पी.एस. राठौर

लखनऊ: 21 जून 2024
उत्तर प्रदेश के सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जे.पी.एस. राठौर ने आज जनपद मैनपुरी मंे दशम् अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर पं. जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित योग शिविर को सम्बोधित करते हुये कहा कि योग दिवस 21 जून को मनाने का निर्णय संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 11 दिसम्बर 2014 को लिया गया, यह हमारे देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि रही, हमारी जो परम्पराएं हैं, हमारे ऋषियों, मुनियों ने जो अन्तःकरण की खोज की है, उसमें खजाना भरा हुआ है, हमारे वेदों, शास्त्रों में उसको बाहर निकालने का कार्य इतने वर्षों बाद हुआ है, इसके लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनन्दन करते हुये कहा कि अपनी बात को संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री जी ने रखा और इतना बड़ा निर्णय वहां पर कराया, लगभग सभी देशों ने उस पर अपनी सहमति व्यक्त की। उन्होने कहा कि सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया के मूल मंत्र पर चलते हुये हम योग को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने में सफल हुये, वसुधैव कुटुम्बकम् की हमारी जो इच्छा है, हमारे अन्तःकरण में समाया हुआ है, हमारी सभ्यता, संस्कृति को हम वैश्विक स्तर पर ले जाने में पूर्ण रूप से सफल हुये। उन्होने कहा कि योग केवल योग नहीं है, योग मन और शरीर को जोड़ने का कार्य करता है, योग से केवल आपका शरीर ही नहीं वरन् योग से हमारा मन-मस्तिष्क-वाणी सभी कुछ शुद्ध होता है, इसके माध्यम से हम समाज में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं, आज इन सब चीजों की आवश्यकता दिन व दिन बढ़ती चली जा रही है, जैसे-जैसे समाज विकास करता चला जा रहा है, उसी प्रकार से हमार मन-मस्तिष्क, शरीर किस तरह से कार्य करे, इसकी आवश्यकता को देखते हुये प्रधानमंत्री जी ने सराहनीय प्रयास किये।
राज्य मंत्री ने कहा कि हमारे सभी योग गुरूओं, योग साधकों, ़ऋषि-मुनियों ने योग को जन-जन तक पहुंचाकर अपना अमूल योगदान दिया, उसमें चाहे बाबा रामदेव जी हो या अन्य योग साधक, सभी का योगदान रहा है। उन्होने मंच के माध्यम से योग गुरूओं, योग साधकों, ़ऋषि-मुनियों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि अपना सारा जीवन योग में लगाकर हम सबको स्वस्थ रखने की प्रेरणा देने का कार्य किया, धीरे-धीरे आज योग पूरे देश, दुनियां में फैल चुका है। उन्होने कहा कि ’’पहला सुख निःरोगी काया, दूजा सुख घर में माया, तीजा सुख पुत्र आज्ञाकारी, चौथा सुख सुलक्षण नारी’’ इन चारों में सबसे बड़ा सुख निःरोगी काया है, हम सब विकास की दौड़ में आगे बढ़ते हुये काफी सारी चीजें छोड़ते चले आ रहे है, लेकिन जब-जब इन चीजों की आवश्यकता पड़ी है, तो सबसे पहले ’’जान है तो जहांन है’’, की बात सामने आयी है, आज देश के नागरिकों के स्वास्थ्य की चिंता करते हुये देश के प्रधानमंत्री जी ने आयुष्मान भारत योजना लागू कर प्रत्येक व्यक्ति को गंभीर बीमारियों से ग्रसित होने पर रू. 05 लाख तक के निःशुल्क इलाज की व्यवस्था हेतु आयुष्मान कार्ड उपलब्ध कराये।

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने