मथुरा।अन्य जनपदों में तैनाती दौरान हमेशा से विवादों में घिरे माध्यमिक शिक्षा विभाग तैनात अधिकारी की कार्यशैली में कोई सुधार नहीं है हा बात कर रहे हैं वर्तमान में तैनात प्रभारी जिला विधालय निरीक्षक मथुरा की कार्यशैली की
यू पी बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत से कम का रिजल्ट देने वालो की शासन के आदेश पर सूची जारी कर दी लेकिन उन कॉलेज के प्रिंसिपल व मेनेजर से स्पष्टीकरण नहीं मांगने से एडेड कॉलेज के हौसले बुलंद हैं जिन एडेड कॉलेज के स्टाफ पर वेतन मद में सरकार करोड़ो रुपए खर्च करती हैं अगर इस अधिकारी को वास्तव में शिक्षा में सुधार लाना होता तो वह सारे प्रयास करता है बता दे कि शासन के आदेश है हर कॉलेज में स्टाफ के आने जाने की बायोमेट्रिक उपस्थिति एवं हर क्लास में सीसीटीवी केमरे लगे होने चाहिए जो शिक्षण दौरान हमेशा ऑन लाइन रहेंगे और उसमें 30दिन का स्टोरेज होना भी अनिवार्य है। इतनी बढ़िया सुविधा अधिकारी के पास है कि वह अपने ऑफिस में बैठकर मॉनिटरिंग कर सकते है जिन कॉलेज का रिलज्ट अच्छा नहीं है उनकी तो मॉनेटरिंग अत्यंत ही आवश्यक होनी ही चाहिए लेकिन वह भी नहीं हो पा रही है कारण है कि वह अपने अधिकतर विवादित फैसलों के कारण उच्च न्यायालय में अपने स्टाफ के साथ जमे रहते हैं शासन के स्पष्ट आदेश है कि उच्च न्यायालय में कोई भी उत्तर लगाने से पूर्व उसका एप्रुवल शासन से लिया जाना अनिवार्य है जिससे उच्च न्यायालय में बड़े अधिकारियों को शर्मिंदा न होना पड़े जिसका भी वह शायद ही पालन नहीं कर रहे हैं अनेकों अवमानना नोटिस से भी यह अधिकारी घिरे हुए है। जिस कारण विभाग की छवि धूमिल हो रही हैं यह अधिकारी पूर्व जनपदों में तैनाती दौरान उच्च न्यायालय की अवमानना पर जेल भी जा चुके है और जांच में दोषी पाए जाने पर इनके वेतन से रिकवरी भी हुई।
इन्होंने मथुरा के अनेकों कॉलेज के मैनेजमेंट को नियमों विरूद्ध जाकर मान्यता प्रदान करने में मोटा खेला किया। जांच में उन मैनेजमेंट की मान्यता उच्च अधिकारीयों द्वारा रद्द कर दी ,कॉलेज के मैनेजमेंट उच्च न्यायालय से अपने पक्ष में स्टे करवा लाए । इसी प्रकार शहर के एक गर्ल्स इंटर कॉलेज के मैनेजमेंट के खिलाफ शासन में नियंत्रक नियुक्त करने की फाइल लंबित रहते हुए बिना शासन की जानकारी में लाए एवं अनुमति प्राप्त किए विधि विरुद्ध चुनाव करा मान्यता प्रदान कर दी। आदेश है कि किसी भी कॉलेज के कर्मचारियों को अटैच नहीं किया जायेगा इनके द्वारा अनेकों कॉलेज के बाबू एवं कर्मचारी अपने ऑफिस में अटैच कर रखे है जेडी आगरा द्वारा मैनेजमेंट द्वारा की गई अवेध नियुक्तियों को निरस्त करने के आदेश दिए लेकिन इन्होंने नियुक्तियों को निरस्त किया उच्च न्यायालय में केविएट नहीं लगाया जिससे सरकार को अवैध नियुक्त टीचर्स को मजवूरन वेतन जारी करना पड़ रहा है। जिस जांच को करने पर उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगा रखी हैं उसकी जांच कर उच्च न्यायालय की अवमानन करने से नहीं चुके। यदि इनके द्वारा किए गए कार्यों की सीबीआई जांच हो जाए तो जो इन्होंने खेला किया है वह सरकार के सामने आ सकता हैं
आखिर योगी सरकार की ऐसी क्या मजबूरी हैं की प्रभारी जिला विधालय निरीक्षक को मथुरा की कमान सौंप रखी है। जबकि अनेकों अधिकारी जो जिला विधालय निरीक्षक का वेतन प्राप्त कर रहे है, विभाग के पास उपलब्ध हैं
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