मथुरा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए सीजेएम मथुरा से पूछा है कि बताएं किस नियम के तहत निजी वकील के साथ ही दिल्ली के एक वकील को कोर्ट रिसीवर नियुक्त किया है। साथ ही यह भी बताएं कि किस नियम के तहत 60 हजार रुपये का भुगतान रिसीवर को किया गया। कोर्ट ने सीजेएम से एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता व न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की कोर्ट ने दिया। याची की ओर अधिवक्ता आशुतोष शर्मा व नितेश कुमार जौहरी ने पक्ष रखा है।
इस मामले में मेसर्स आधार हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड ने एक याचिका दायर की है। याची के अधिवक्ता ने बताया कि बैंक ने सीजेएम के यहां प्रार्थना पत्र दिया था कि सरफेसी अधिनियम के तहत कर्जदार के मकान का कब्जा लेने के लिए उचित पुलिस बल उपलब्ध कराया जाए। इस दौरान सीजेएम ने कोर्ट रिसीवर नियुक्त करते हुए पुलिस बल के साथ कब्जा दिलाने का आदेश दिया। पुलिस बल की अनुपलब्धता व कोर्ट रिसीवर की हीलाहवाली के चलते मकान पर कब्जा नहीं मिला पाया। इस पर याची ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीजेएम के आदेश का पालन किए जाने की गुहार लगाई।
इस दौरान प्रभारी निरीक्षक, थाना हाईवे मथुरा ने प्राप्त निर्देशों को शासकीय अधिवक्ता के माध्यम से प्रभारी निरीक्षक उमेश चंद्र त्रिपाठी ने कोर्ट में रिकॉर्ड पर रखा।
इसके अनुसार पर्याप्त पुलिस बल की कमी और कोर्ट रिसीवर की चूक की वजह से सरफेसी अधिनियम- 2002 की धारा 14 के तहत पारित आदेशों के पालन में देरी हो रही है।
वहीं, कोर्ट ने पाया कि सीजेएम मथुरा ने निजी अधिवक्ताओं को कोर्ट रिसीवर के रूप में नियुक्त किया है। इनमें दिल्ली के एक निजी वकील को भी कोर्ट रिसीवर के रूप में नियुक्त किया गया।
कोर्ट रिसीवर आदेशों के निष्पादन के लिए अलग-अलग तारीखें तय कर रहे हैं।
इस पर कोर्ट ने मथुरा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट उत्सव गौरव राज से एक सप्ताह के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है। 23 मई को सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की है।
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