मथुरा। अब निकट भविष्य में भगवान योगिराज श्रीकृष्ण की जन्म और लीला भूमि मथुरा वृंदावन एक रूप में नजर आएगी। इसके लिए विकास प्राधिकरण महायोजना 2031 के अंतर्गत मथुरा वृंदावन के सभी भवनों के अग्र भाग के लिए राजस्थान शैली में हेरिटेज कलर को चयनित किया गया है।
मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्याम बहादुर सिंह ने बताया कि मथुरा वृंदावन एतिहासिक तथा धार्मिक महत्व के नगर हैं। यह दोनों ही नगर सदियों से लाखों श्रद्धालु भक्तजनों को आकर्षित करते रहे हैं। यह नगर पुरातात्विक निधियों, वास्तुकला तथा शिल्पकला की प्राकृतिक सुषमा तथा धार्मिक वातावरण से समृद्ध हैं।
ऐसी स्थिति में मथुरा-वृन्दावन क्षेत्र को संरक्षित एवं पुरातत्व महत्व बनाये रखने के उद्देश्य से मथुरा-वृन्दावन महायोजना-2031 (पुनरीक्षित) के अन्तर्गत आर्किटेक्चर कंट्रोल / कलर स्कीम का प्राविधान किया गया है। इसके अन्तर्गत सौन्दर्गीकरण एवं सुधार के लिए कलर स्कीम में अग्रभाग (फन्ट ऐलीवेशन) में हल्का पीला (पोस्ट कार्ड कलर) व साइनेज बोर्ड (हेरिटेज कलर) में रंगाई-पुताई का कार्य एवं समरूपता में साईनेज बोर्ड स्थापित किया जाना तय किया गया है। इसके अलावा इन्टेक के सुझाये गये वास्तुकलां नियत्रण के प्राविधानों के अधीन प्लानिंग कन्ट्रोल तथा भवनों के अग्र भाग का एलीवेशन राजस्थान शैली के अनुसार रखे जाने का प्राविधान है।
मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एसबी सिंह ने बताया कि प्रथम चरण में छटीकरा-वृन्दावन मार्ग पर प्रस्तावित धार्मिक एवं आश्रम / मठ भाग-1 भू-उपयोग के क्षेत्र में पुरातन नगरी वृन्दावन के मूल स्वरूप को बनाये जाने के उददेश्य से प्रारम्भ किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अग्रिम चरणों में मथुरा-वृन्दावन शहर के मुख्य मार्गो पर स्थित दोनों ओर के भवनों एवं यमुना नदी की ओर मुख करते हुए भवन / घाट के फन्ट ऐलीवेशन हल्का पीला (पोस्ट कार्ड कलर) व साइनेज बोर्ड (हेरिटेज कलर) में कलर स्कीम निर्धारित की गयी है। उपरोक्त क्षेत्रों में भवन अध्यासियों द्वारा फसाड के लिए स्वयं कार्य कराये जायेंगे। सभी अध्यासियों के सहयोग से मथुरा-वृन्दावन क्षेत्र के पौराणिक वास्तुकला स्वरूप को समरूपता में विकसित किया जा सकेगा।
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