लखनऊ उत्तर प्रदेश से लेकर विश्व भर के कलाकार आईआईटी मद्रास की मेज़बानी में स्पिक मैके के 9वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 20-26 मई 2024 तक में भाग लेंगे।
एक सप्ताह चलने वाले भारतीय संस्कृति के इस महाकुंभ में पूरे भारत के 1,500 से अधिक विद्यार्थी और वॉलेंटियर आएंगे और दुनिया देखेगी भारतीय संस्कृति, विरासत और नैतिकता का नायाब नज़रिया
स्पिक मैके के फाउंडर पर्सन प्रो किरण सेठ पिछले कई दिनों से लखनऊ में रह कर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के प्रचार प्रसार में लगे हुए थे। उन्होंने पर्यटन निदेशालय में वरिष्ठ आई ए एस श्री मुकेश मेश्राम की अध्यक्षता में अपनी बात रखी। इस बैठक में मुख्य रूप से भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो मांडवी सिंह, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से प्रो वेंकटेश दत्ता, डॉ राजश्री पांडे, डॉ बबिता पांडे, स्पिक मैके के श्री प्रदीप आदि भी उपस्थित रहे। प्रो किरण सेठ ने बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रो वेंकटेश दत्ता, डॉ राजश्री पांडे, डॉ बबिता पांडे और अन्य को स्पिक मैके बैज, स्मृति चिन्ह के रूप में दिया। उन्होंने बताया कि
चेन्नई, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) सोसायटी फॉर द प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंगस्ट यूथ (स्पिक मैके) के 9वें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी करेगा। आयोजन 20 से 26 मई 2024 तक चलेगा। संस्थान पहले भी दो बार - 1996 और 2014 में यह आयोजन कर चुका है।
एक सप्ताह के इस भारतीय संस्कृतिक महोत्सव में भारत और दुनिया के 1,500 से अधिक छात्र और वॉलेंटियर एकत्र होंगे। प्रतिभागियों को महान कलाकारों के साथ बात करते हुए भारतीय संस्कृति, विरासत और नैतिकता का अद्भुत नज़रिया मिलेगा। वे पूरे एक सप्ताह भारत की सर्वात्तम शास्त्रीय कलाओं के पूर्ण गौरव का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करेंगे।
आयोजन के प्रति उत्साहित आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटि ने कहा, “संस्कृति किसी देश की असली बुनियाद होती है। हमें भी पूरे भारत की विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों पर गर्व है। स्पिक मैके उन सभी के संग हमारे आईआईटी मद्रास कैम्पस में आ रहा है। मुझे आयोजन का बेसब्री से इंतज़ार है।”
आयोजन के बारे में संस्थान के डीन (विद्यार्थी) प्रो. सत्यनारायण एन. गुम्मदी ने कहा, ‘‘आईआईटी मद्रास तीसरी बार स्पिैक मैके कार्यक्रम का सह-आयोजन कर रहा है। फैकल्टी, यूजी, पीजी के विद्यार्थी और रिसर्च स्कॉलर कुल मिला कर लगभग 150 और इससे भी अधिक लोगों की टीम इस आयोजन को सफल बनाने में लगी है। यह आईआईटी मद्रास समुदाय के लिए एक सप्ताह तक शानदार सांस्कृतिक उत्सव का आनंद लेने का अवसर होगा।’’
स्पिक मैके के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राधा मोहन तिवारी ने इस वर्ष के सम्मेलन की विशिष्टताएं बताते हुए कहा, ‘‘एक युवा आंदोलन के रूप में स्पिक मैके के सफर का 47वां वर्ष पूरा हो रहा है। इसमें आईआईटी मद्रास की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हम पूरे भारत से आने वाले लगभग 1300 प्रतिभागियों में से प्रत्येक को हर दिन एक कला सीखने और भारत के शीर्ष कलाकारों की प्रस्तुति का अनुभव करने का अवसर देंगे। मुझे विश्वास है कि यह कन्वेंशन अपना उद्देश्य पूरा करने में सफल रहेगा और युवाओं के जीवन में सार्थक बदलाव लाएगा।’’
इस सिलसिले में स्पिक मैके की वाइस चेयरपर्सन सुश्री सुमन डूंगा ने कहा, ‘‘स्पिक मैके के चार बुनियादी आधार हैं - कलाकार, संस्थान, प्रायोजक और वॉलेंटियर। हमारे अभियान में आईआईटी मद्रास जैसे प्रतिष्ठित संस्थान ने बुनियादी भूमिका निभाई है। यह उन संस्थानों में शामिल है जहां एक जीवंत सांस्कृतिक परिवेश दिखता है और यह शास्त्रीय संगीत और नृत्य के कई कार्यक्रमों की मेज़बानी करता है। आईआईटीएम के सहयोग से यह आयोजन कर हम बेहद खुश हैं और हम चाहते हैं कि यह संबंध इसी तरह बना रहे।’’
इस आयोजन का मकसद नई पीढ़ी को आश्रम जैसा अद्भुत परिवेश देकर उन्हें विरासत के बारे में संवदेनशील बनाना है। इसमें स्पिक मैके के बुनियादी मूल्य की गंूज सुनाई देती है जो प्रत्येक बच्चे को देश-दुनिया से प्रेरणा लेने और मिस्टिसिज्म का अनुभव करने का अवसर देना है। स्पिक मैके 2030 तक हर बच्चे तक पहुंचने के लक्ष्य से अग्रसर है।
इस सम्मेलन का मुख्य सपोर्टर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज है और यह स्पिक मैके का अग्रणी आयोजन है जो हर साल देश के किसी विशिष्ट शैक्षिक संस्थान में होता है।
हर साल की तरह इस सम्मेलन में भी पूरे देश के कुछ बेहतरीन और सर्वश्रेष्ठ कलाकार शामिल होंगे। सम्मेलन में हरि प्रसाद चौरसिया (हिन्दुस्तानी बांसुरी), उस्ताद अमजद अली खान (सरोद), विदु. पद्मा सुब्रह्मण्यम (भरतनाट्यम), विदु. सुधा रगुनाथन (कर्नाटक गायन), विदु. शेषमपट्टी टी. शिवलिंगम (नादस्वरम), विदुषी ए. कन्याकुमारी (कर्नाटक वायलिन), पं. उल्हास कशालकर (हिन्दुस्तानी गायन), पं. एम. वेंकटेश कुमार (हिंदुस्तानी गायन), उस्ताद शाहिद परवेज़ खान (सितार), विदुषी सुनयना हजारीलाल (कथक) उस्ताद वासिफुद्दीन (ध्रुपद), विद. जयंती कुमारेश (सरस्वती वीणा), विद. अश्विनी भिड़े देशपांडे (हिंदुस्तानी गायन), श्री मार्गी मधु चक्यार (कुडियाट्टम) और विद्वान लालगुडी जीजेआर कृष्णन (कर्नाटक वायलिन) जैसे गणमान्य कलाकारों की प्रस्तुति होगी।
सम्मेलन में पांच दिनों की कार्यशाला भी होगी। इसमें कई प्रख्यात कलाकारों और शिल्पकारों की भागीदारी होगी जैसे विद्वान नेवेली संथानगोपालन का कर्नाटक गायन, डॉ. अलंकार सिंह की गुरबानी, गुरु गोपीराम बुरहा भक्त की प्रस्तुति सत्रिया, विदुषी सुनयना हजारीलाल की कथक प्रस्तुति, डॉ नीना प्रसाद की प्रस्तुति मोहिनीअट्टम, विदुषी माधवी मुद्गल की ओडिसी प्रस्तुति, खुमुकचम रोमेंद्रो सिंह की प्रस्तुति पुंग चोलोम, श्री तारापद रजक की प्रस्तुति पुरुलिया छाऊ, स्वामी त्यागराजानंद सरस्वती की प्रस्तुति हठ योग, सुदीप गुप्ता की प्रस्तुति कठपुतली, उस्ताद वासिफुद्दीन डागर की प्रस्तुति धु्रपद। कई अन्य शिल्प प्रस्तुतियां भी होंगी जैसे श्री अशोक कुमार विश्वास की टिकुली पेंटिंग (बिहार), श्री भज्जू श्याम की गोंड आदिवासी पेंटिंग (मध्य प्रदेश), जनाब शाकिर अली की मुगल लघु चित्रकला (राजस्थान), जनाब अब्दुल गफूर खत्री की रोगन कला (गुजरात), श्री हेमचंद्र की प्रस्तुति मास्क मेकिंग (माजुली असम), श्री वीके मुनुसामी की टेराकोटा (तमिलनाडु) कला प्रस्तुति।
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