*किसानों के मसीहा भारत रत्न श्रद्धेय प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की आज 37 में पुण्यतिथि राष्ट्र के साथ-साथ भारतीय जाट सभा लखनऊ मना रहा है.!*
किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह का जीवन बहुत ही सादगी पूर्ण रहा है चौधरी साहब का जन्म 23 दिसंबर सन 1902 मे उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर गांव मे एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में हुआ था ! किसान मसीहा 1937 में छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए एवं 1946 ,1952 ,1962, 1967 की विधानसभाओं के लिए लगातार विधान सभा सदस्य चुने गए वह 1970 में मुख्यमंत्री बने किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह ने विभिन्न पदों पर रहते हुए उत्तर प्रदेश की सेवा की उनकी ख्याति एवं कड़क एवं ईमानदार नेता के रूप में प्रसिद्ध हुई .
वह अपनी बात के बहुत ही धनी थे और उस पर अङिक रहते थे देश में कुछ ही ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने आम जनता के बीच रहकर सौम्य स्वभाव के साथ इतनी लोकप्रियता हासिल की.
एक समय ऐसा भी आया जब अंग्रेजों ने किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह को देखते ही गोली मारने का आदेश दे रखा था एक तरफ पुलिस उन्हे ढूंढती दूसरी तरफ वह सभा करके निकल जाते आखिरकार एक दिन आपको गिरफ्तार कर लिया गया राजबंदी के रूप में डेढ़ वर्ष की सजा हुई जेल में लिखित पुस्तक *शिष्टाचार *थी आपने मुख्यमंत्री रहते हुए बहुत सारे ऐसे कार्य किए जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता.
पटवारी राज से मुक्त, चकबंदी, अधिनियम ,कृषि आय पर आयकर मुक्त ,वायरलेस युक्त पुलिस गस्त, जोत बही दिलाने ,कृषि उपज की अंतरराज्यीय आवाजाही पर रोक हटाए जाने .जैसे सराहनीय कार्य किये आप जातिवाद के कट्टर विरोधी थे चौधरी साहब ने जवाहरलाल नेहरू के सहकारी खेती प्रस्ताव का विरोध कर किसानों को सहकारी खेती के शिकंजे से बचाया था आपने 28 जुलाई 1979 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और अपनी अमित छाप से कार्य करते रहे प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करते हुए एक बार आप साधारण किसान के रूप में एक थाने की शिकायत पर उक्त थाने में FIR लिखाने पहुंच गए थे जिसमें थाने के उपस्थित वहां के कर्मचारियों द्वारा उनसे घूस की मांग ली थी इस चीज की शिकायतें उनके पास बहुत पहुंचती थी जिससे वह बहुत ही विचलित थे जिसके कारण उन्होंने थाने पर औचक निरीक्षण करने का निर्णय लिया था जहां पर 30 रुपए घूश तय हुई और फिर FIR लिखने की बात हुई इन्होंने कहा कि मेरा एक बैल चोरी हो गया है मेरी FIR लिख ले तो वहा पर तैनात मुंशी ने कहा 30 रुपए घूस देनी पड़ेगी तब आपकी FIR लिखी जाएगी तब वहां के स्टाफ ने आपसे आपका नाम जानना चाहा तो उन्होंने नाम कागज पर लिखा और जेब से मोहर निकाकर प्रधानमंत्री भारत सरकार के मोहर लगाई पूरा का पूरा थाना सस्पेंड हुआ. इसी प्रकार एक बार चुनाव का माहौल था सन 1990 की बात है फैजाबाद जिले की टांडा तहसील के युवा नेता गोपीनाथ वर्मा उनसे विधानसभा का टिकट मांगने गए तो उन्होंने टका सा जवाब दिया क्षेत्र में जाओ और सूचित कर दिया जाएगा डरते डरते वर्मा ने पूछा कैसे सूचित कर दिया जाएगा प्रदेश अध्यक्ष जी ने टिकट की सूची से मेरा नाम काट कर एक शराब कारोबारी टिकट दे दिया है यह सुनते ही चौधरी साहब विफर पड़े जनता पार्टी सेकुलर प्रदेश अध्यक्ष राम बचन यादव को तलब किया और वजह पूछी तो यादव ने बताया कि शराब कारोबारी ने ₹900000 का चंदा दिया है चौधरी साहब बोले मजबूरी आपकी होगी पार्टी की नहीं आप उनके ₹900000 लौटा दें हम किसी शराब व्यवसायी को प्रत्याशी नहीं बनाएंगे गोपीनाथ का टिकट पक्का हो गया और वह 52 वोटो से चुनाव भी जीत गए.
इसी प्रकार एक बार जन समुदाय को संबोधित करते हुए कहा था **जब तक मीडीया मेरे खिलाफ लिखती रहेगी,किसानो मै तुम्हारा रहुगा!
जिस दिन वे प्रसंशा करेंगे,समझ लेना मै बिक चुका हूँ!**
चौधरी साहब के विरोधी भी यह मानते थे कि यह बहुत ही ईमानदार छवि के राजनेता हैं और उनकी ईमानदारी के कायल थे चौधरी साहब ने हमेशा साादगी पूर्ण जीवन व जिया और तब ऐसा कहा जाता है कि जब उन्होंने अपने प्राण त्यागे तब उनके खाते में मात्र ₹470 था ऐसा कोई सादगी पूर्ण नेता आज के दौर में शायद ही पैदा हो.
29 मई सन 1987 को उनका जीवन पूर्ण हुआ और वह अपना नाम जन्मो जन्मांतर तक देश के किसानों के हित में और देश की कई समस्याओं के समाधान करते हुए अपने जीवन को पूर्ण हुए आज भी किसान उनको अपने मसीहा के रूप में याद करता है धरतीपुत्र के रूप में याद करता है ऐसे किसान नेता को भारतीय जाट सभा लखनऊ शत-शत नमन करती है और श्रद्धांजलि अर्पित करती है आज की सभा में सचिव चौधरी धर्मेंद्र कुमार ने चौधरी साहब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम चौधरी साहब के आदर्शों का अपना कर अपने जीवन को आगे बढ़ाएं और अपने जीवन में अच्छरसा पालन करें सभा में चौधरी आलोक सिंह,चौधरी प्रीतम सिंह,चौधरी रवी सिंह
चौधरी विवेक सिंह , चौधरी मुकेश सिंह, अशोक कुमार इत्यादि उपस्थित थे.
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