मथुरा। राज्य मौसम पूर्वानुमान केन्द्र लखनऊ के मौसम पूर्वानुमान बुलेटिन दिनांकः27 से प्राप्त सूचना के अनुसार 27 से 30 मई के मध्य में अन्य जनपदों के साथ-साथ जनपद मथुरा में भीषण उष्ण लहर चलने की सम्भावना हैं।
अतः सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि उपरोक्त के दृष्टिगत जान-माल की सुरक्षा के दृष्टिगत सचेत होते हुये बचाव के आवष्यक उपाय, एवं आवष्यक संसाधन/व्यवस्था करने का कष्ट करें, जिससे कि किसी प्रकार की अप्रिय घटना/जन हानि की संभावित क्षति से बचा जा सके।
उष्ण लहर से भीषण उष्ण लहर (लू) का सामान्य जनजीवन पर प्रभाव
सभी उम्र में लू जनित समस्याएं, हीट रेश और हीट स्ट्रोक की परिस्थितियां विकसित होने की संभावना अधिक है।
मजदूरों (औद्योगिक श्रमिक, खनन श्रमिक, मजदूर), किसानों एवं धूप में देर तक काम करने वाले लोगों में निर्जलीकरण एवं लू लगने की प्रबल संभावना है
पशुधन एवं खड़ी कृषि/बागवानी फसलों पर त्वरित प्रभाव।
सलाह
✓ विशेष रूप से दोपहर के समय लंबे समय तक धूप में रहने से बचें।
✓ हल्के रंग के हल्के, ढीले एवं पूरे सूती कपड़े पहनें।
✓ धूप में जाते समय सिर को कपड़े/टोपी या छतरी से ढंककर रखें।
✓ निर्जलीकरण से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करें।
✓ खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस, घर में बने पेय
जैसे लस्सी, तोरानी/चावल का पानी, नींबू पानी, छाछ आदि का उपयोग करें।
✓ खड़ी फसल वाले खेतों में पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए शाम के समय बार-बार हल्की सिचाई करें।
✓ खेती, खनन और अन्य खुले क्षेत्र की गतिविधियों को तदनुसार नियमित करने की आवश्यकता है।
✓ दोपहर के समय जानवरों को चराने से बचे और उन्हें पर्याप्त तरल पदार्थ के सेवन के साथ छाया में रखें।
कृषि पर लू का प्रभाव आधारित पूर्वानुमान
फसल- गन्ना
अवस्था-बुआई से बीज का उभरना/कल्ले निकलने की अवस्था
फसल पर असर पड़ने की संभावना- उच्च तापमान से प्रभावित तना बेधक और तना बेधक कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है।
सलाह- खेत में खड़ी फसल में 10-12 दिन के अंतराल पर शाम के समय ही हल्की सिंचाई करनी चाहिए तथा दोपहर के समय सिंचाई और कीट नाशी/रोगनाशी के छिड़काव का कार्य नहीं करना चाहिए।
फसल-मूंग/ सूरजमुखी /मूंगफली
अवस्था- बुवाई से बीज अंकुरण की अवस्था/वानस्पतिक से फूल निकलने की अवस्था
फसल पर असर पड़ने की संभावना- उच्च तापमान के प्रभाव से पत्ती खाने वाले कीड़ों का प्रकोप बढ़ जाता है और खड़ी फसलों में सिंचाई की आवश्यकता बढ़ जाती है। फसल में फूल जल्दी सुख जाते हैं। जिससे उत्पादन में कमी आ जाती हैं।
सलाह- खेत में खड़ी फसल में 10-12 दिन के अंतराल पर शाम के समय ही हल्की सिंचाई करनी चाहिए तथा दोपहर के समय सिंचाई और कीट नाशी/रोगनाशी के छिड़काव का कार्य नहीं करना चाहिए।
फसल- उर्द
अवस्था- अंकुरण से शाखाओं निर्माण/वानस्पतिक से फली बनने की अवस्था
फसल पर असर पड़ने की संभावना- उच्च तापमान के प्रभाव से पत्ती खाने वाले कीड़ों का प्रकोप बढ़ जाता है और खड़ी फसलों में सिंचाई की आवश्यकता बढ़ जाती है। फसल में फूल जल्दी सुख जाते हैं। जिससे उत्पादन में कमी आ जाती हैं।
सलाह- खेत में खड़ी फसल में 10-12 दिन के अंतराल पर शाम के समय ही हल्की सिंचाई करनी चाहिए तथा दोपहर के समय सिंचाई और कीट नाशी/रोगनाशी के छिड़काव का कार्य नहीं करना चाहिए।
फसल- मक्का
अवस्था- वानस्पतिक अवस्था/ जीरा निकलने / फूल आने की अवस्था से दुग्धावस्था
फसल पर असर पड़ने की संभावना- उच्च तापमान से प्रभावित तना बेधक कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है। और खड़ी फसलों में सिंचाई की आवश्यकता बढ़ जाती है। खेत में खड़ी फसलों में भुट्टे/अनाज सिकुड़ जाने से
उपज कम हो जाती है।
सलाह- खेत में खड़ी फसल में 10-12 दिन के अंतराल पर शाम के समय ही हल्की सिंचाई करनी चाहिए तथा दोपहर के समय सिंचाई और कीट नाशी/रोगनाशी के छिड़काव का कार्य नहीं करना चाहिए।
फसल- खरीफ मक्का
अवस्था- बुआई
फसल पर असर पड़ने की संभावना- उच्च तापमान का प्रभाव अंकुरण प्रतिशत पर पड़ता है
सलाह- बुआई का कार्य उचित नमी पर करनी चाहिए।
फसल- सब्जियां एवं बागवानी फसलें
अवस्था- बुआई/अंकुरण, फुल आना /फल आना/कटाई
फसल पर असर पड़ने की संभावना- सलाह- उचित नमी बनाये रखें/शाम के समय सिचाई करे
फसल- फल (आम, अंगूर, केला)
अवस्था- फूल आना/फल आना/कटाई
फसल पर असर पड़ने की संभावना- फूल की कली और अपरिपक्क फल का गिरना, अपरिपक्क फल का गिरना, फलों पर धाव पत्तियों और पूरे पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं, फल की गुणवत्ता में कमी
सलाह-उचित नमी बनाये रखें शाम के समय सिचाई करें।
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, मथुरा द्वारा जनहित में जारी
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