व्यंग

नमूनों की बारात सज-धज के दवे पैर भाजपा कार्यालय पहुंची।।। रविंद्र आर्य 


ग़ाज़ियाबाद: लेकिन सवाल यें है, भाजपा सांसद प्रत्याशी अतुल गर्ग का कार्यालय कैसे बनता जा रहा है भूखे पेट वालों का लाभान्वित केंद्र? 


फिलहाल तो पापी पेट का सवाल है, 26 अप्रैल तक हम तो स्वादिष्ट खाना खाने आयेगे ही ना, क्यों की हम आम आदमी है।।।

 अब सवाल यह यहाँ से शुरू हुआ खाने पर झूठ बोलने में माहिर जनता केजरीवाल की राह पर क्यों है, ऐसे आम आदमीयों का कहना है की बीजेपी के वोटर बन हम भाजपा को ही जितायेगे। परन्तु प्रश्नचिह्न यह है की चाहे वोट गुपचुप तरीके से अन्य पार्टियों को दे आये। निशुल्क स्वादिष्ट खाना मिलेगा तो भाजपा कार्यालय मे ही आयेगे, आखिर सवाल तो पापी पेट का है ना, जो भाजपा का कार्यालय भूखो की भूख मिटा रहा है, ओर तो ओर कार्यलय में इस वक्त चुनावी माहौल मे एक से एक नमूने देखे जा सकते है, एक आया, दो आये, तीन आये, देखते ही देखते फिर पुरा खानदान आया, माहौल ऐसा है की दिल्ली, महरोली, पूरब आदि से अपने रिश्तेदारों को स्वादिष्ट खाने के लिए भाजपा कार्यालय मे बुलाया जा रहा है। ओर नमूने इस प्रकार भाजपा कार्यालय में सज-धज कर आते है, जैसे किसी बारात मे आते हो। कोई नमूना सफ़ेद कपड़ो मे, कोई नमूना टिका, माला लगा, कोई नमूना टोपी लगा दवे पेरो से सुबह-शाम अपनी भूख मिटाने आ रहा है। नामुमकिन को मुमकिन करने वाले नुमनो को साफ घबराहट देखी जा सकती है की कार्यालय मे इधर - उधर देखते रहते है, कही हमारी पहचान ना हो जायें ओर दिन मे ही सर पर बीन बरसात ओले ना पड़ जायें।


"आज मुझे याद आ रही है वह बात" आम आदमी पार्टी के मुखिया केजरीवाल ने फ्री की रेवड़ी बाट- बाट कर आम जनता की आदत इतनी बुरी हालत मे कर दिया की दिल्ली का असर अब ग़ाज़ियाबाद बीजेपी कार्यलय में साफ-साफ देखा जा सकता है।


सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं लेखक रविंद्र आर्य का कहना है की यह व्यग ही अपने आप मे ही सवाल है, जिसका जबाब केजरीवाल मे छिपा है, यह स्थिति गरीबी, भूखमरी ओर निकम्मेपन का उदारण भाई लोगो केजरीवाल से अच्छा भला क्या हो सकता है? 



लेखक रविंद्र आर्य

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