राजकुमार गुप्ता
मथुरा। लोकसभा चुनाव में कुछ मुद्दे प्रदेश और देशभर के साथ स्थानीय स्तर पर भी तैरते हैं, वहीं हर चुनाव में जनता के कुछ स्थानीय मुद्दे भी होते हैं। माना जाता है जो प्रत्याशी स्थानीय मुद्दों को जितने तेजी से पकड़ता है वह उतनी ही तेजी से जनता पर भी पकड़ बनता है। मथुरा में करप्शन, पानी और पलायन इस चुनाव बड़े मुद्दे उभर कर आये हैं। लोग इन मुंद्दों पर बोल रहे हैं। ये वह मुद्दे हैं जो आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी से ताल्लुक रखते हैं। जनता की ओर से लगातार उठाये जा रहे इन मुद्दों ने प्रत्याशियों ने भी लपकना शुरू कर दिया है। यह अधिकांश आबादी को प्रभावित करने वाले मुद्दे हैं। इसलिए प्रत्याशी नुक्कड़ सभाओं से लेकर जनसभाओं तक इन पर बात कर रहे हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार विकसित नहीं होने की स्थिति में युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार की तलाश में दूसरे शहरों की ओर पलायन करना पड रहा है। महंगाई की मार और तकनीकी दक्षता के अभाव में युवा बाहर निकल तो जाते हैं लेकिन उन्हें ठीक ढंग का रोजगार नहीं मिलता है। खारे पानी की समस्या मथुरा जिले में हमेशा से रही है। यह समस्या समय के साथ और जटिल हुई है। भूगर्भीय जल प्रदूषण लोगों की जिंदगी को प्रभावित  कर रहा है। भू गर्भीय जल में लगातार बढता टीडीएस और भूगर्भीय जल का लगातार नीचे खिसकना भी बडा मुद्दा है। वहीं सरकारी तंत्र का भ्रष्टाचार भी चुनावी मुद्दा बन गया है। सुशासन के नाम पर बुलडोजर और पुलिसिया कार्यवाही की दुहाई दी जा रही है। वहीं जनता अपने पक्ष को भी अब बखूबी सामने ला रही है। लोग इस बात को पुरजोर तरीके से उठा रहे हैं कि सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार ने उनका जीना दुश्वार कर दिया है। कोई सुनने को तैयार नहीं है। यहां तक कि जनप्रतिनिधि भी इस विषय में जनता की सुनने को तैयार नहीं रहते हैं। चुनावी उंट किस करवट बैठेगा यह तो चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा लेकिन उंट की करवट कौन सी होगी यह तय करने में इन मुद्दों की अहम भूमिका रहने जा रही है।

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