मथुरा। नाबालिग हाथों में गाड़ियों की स्टेरिंग व सड़क पर तेज रफ्तार फर्राटे भरती मोटरसाइकिल, तिपहिया व चार पहिया के अलावा बेतरतीब तरीके से सड़कों पर खड़े किए जाने बाली सवारी गाड़ियों के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिससे लोग बेमौत काल के गाल में समा रहे हैं, तमाम लोग जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो जाते हैं। सड़क हादसों में जान गंवाने वाले 40 फीसदी नाबालिग बच्चे होते हैं, जिनकी आयु 12 से 18 साल के बीच होती है। एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में 2022 में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों में 9.4% की वृद्धि देखी गई है, पिछले साल 1.68 लाख लोगों ने लापरवाही से गाड़ी चलाने, तेज गति से गाड़ी चलाने, नशे में गाड़ी चलाने और यातायात नियमों का पालन न करने के कारण अपनी जान गंवाई। यातायात नियमों का पालन कितना होता है, यह सड़कों पर चल रहे वाहनों को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। अधिकतर दुपहिया वाहन चालक बिना हेलमेट, लाइसेंस, आरसी और ट्रिपल राइडिंग करते सरेआम देखे जा सकते हैं। लाखों रुपए कीमत की मोटरसाइकिल में तो यह नाबालिग चालक हवा में बात करते हैं। नाबालिग युवतियां भी आजकल सड़कों पर भर्राटा भरते खूब देखी जा सकती हैं। जिसकी वजह से राहगीरों एवं वाहन में बैठने वाले यात्रियों की जान पर आफत बनी रहती है। डग्गेमार वाहनों की तो बात ही निराली है। डग्गामार वाहनों में चालक भूसे की तरह सवारियां भरते हैं, जिसके बाद उन्हें तेज गति से चलाया जाता है। इन वाहनों के कारण आए दिन हादसे होते हैं। डग्गेमार वाहनों का संचालन प्रशासनिक अधिकारियों के नाक के नीचे होता है और जब कोई बड़ा हादसा हो जाता है तो कुछ दिनों दिखाने वाली कार्यवाही शुरू हो जाती है।
वयस्क लाइसेंस आने पर फिर भी ट्रैफिक रूल्स का पालन करते हैं लेकिन ट्रैफिक नियम तोड़ने का सबसे ज्यादा काम नाबालिग युवक-युवतियां करते हैं। एक तो उनके पास लाइसेंस ही नहीं होता और वह बिना लाइसेंस ही स्कूटी, स्कूटर, मोटरसाइकिल यहां तक की थ्री व्हीलर, कार तक चलाते देखे जा सकते हैं। नाबालिग युवक-युवतियों को वाहन चलाने देने की छूट देने के पीछे उनके अभिभावक भी दोषी हैं, क्योंकि उन्हें सब कुछ पता होने के बावजूद वह बिना लाइसेंस अपने बच्चों को वाहन चलाने देकर दूसरों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 4 में ये प्रावधान है कि 18 साल से कम आयु के किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी पब्लिक प्लेस पर मोटर वाहन नहीं चलाया जा सकता। मोटरवाहन संशोधन अधिनियम 19 के माध्यम से किशोरों द्वारा किये जाने वाले मोटर वाहन अपराधों के संबध में एक नयी धारा 199 क जोड़ी गयी है, जिसके अन्तर्गत नियम है कि नाबालिक द्वारा मोटरवाहन अपराध में वाहन स्वामी को 03 साल तक जेल और 25 हजार रूपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है तथा अपराध में प्रयुक्त वाहन का रजिस्ट्रेशन 1 साल की अवधि के लिये निरस्त कर दिया जायेगा। वर्तमान में जिस तरह वाहनों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और जिस तरह प्रत्येक दिन सड़क दुर्घटना हो रहीं हैं जिसमें से अधिकांश घटना में व्यक्ति की घटना स्थल पर ही मौत हो जाती है, वहीं कुछ लोग जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो जाते हैं और पीछे छोड़ जाते हैं रोते बिलखते परिवार को, इसके बावजूद भी लोग सबक नहीं ले रहे है।
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