वृन्दावन।कात्यायनी रोड़ स्थित रघुनाथजी नया मन्दिर में श्रीहनुमत् रामायण समिति के द्वारा 53वां द्विदिवसीय श्रीहनुमज्जयंती महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ प्रारंभ हुआ।महोत्सव का शुभारंभ श्रीहनुमानजी महाराज की प्रतिमा के पूजन-अर्चन के साथ हुआ।इसके साथ ही अखंड श्रीराम चरित मानस का पाठ भी प्रारंभ हुआ।
इस अवसर पर आयोजित संत-विद्वत सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए चतु:संप्रदाय के श्रीमहंत बाबा फूलडोल बिहारीदास महाराज एवं श्रीजानकी भवन के महन्त रामदास महाराज ने कहा कि श्रीहनुमानजी महाराज दास्यभाव की भक्ति के आचार्य हैं।भगवान की प्रत्येक लीलाओं में वे किसी न किसी रूप में सहयोगी रहे हैं। वे अनन्य भाव से प्रभु श्रीराम से अभिन्न रूप व आत्मिक संबंध से जुड़े हुए हैं।
श्रीहनुमत् रामायण समिति के संस्थापक पण्डित वनबिहारी पाठक एवं उपाध्यक्ष स्वामी नारायणाचार्य महाराज ने कहा कि श्रीहनुमानजी महाराज कलयुग के सच्चे देव हैं।मां जानकी के आशीर्वाद से वे सप्त चिरंजीवियों में सबसे प्रमुख हैं।वे बल,बुद्धि और विवेक के निधान हैं।संसार में ऐसा कोई कार्य नहीं, जिसे श्रीहनुमानजी महाराज नही कर सकते हैं।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं डॉ. रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री महाराज ने कहा कि श्रीहनुमानजी महाराज भक्त शिरोमणि, वीर शिरोमणि व ज्ञान के सिंधु है।सनातन धर्म में केवल वे ही ऐसे देव हैं, जिनका जन्म महोत्सव वर्ष में दो बार मनाया जाता है।उनका स्मरण ही जीव के समस्त कष्टों का नाश कर देता है।
महोत्सव में पण्डित बिहारीलाल वशिष्ठ, पूर्व प्राचार्य डॉ. रामसुदर्शन मिश्र, आचार्य पीठाधीश्वर यदुनंदनाचार्य, पण्डित बालेंदु भूषण रामायणी, स्वामी रामकृपालु दास भक्तमाली महाराज, श्यामशरण पाठक, राधारमण पाठक, जगदीश नीलम, बालशुक पुंडरीक कृष्ण, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, गिरीश साहू, विजय गुप्ता, कृष्ण कुमार तिवारी, आशीष अग्रवाल, किशोरी शरण पाठक, नंदलाल, श्याम सुंदर शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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