मथुरा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यमुना नदी में प्रदूषण के बढ़ने पर आगरा-मथुरा नगर निकायों पर सख्त टिप्पणी की है, साथ ही इस दोनों ही निकायों पर 65 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया है। एनजीटी का कहना है कि नगर निकाय यमुना नदी में प्रदूषण को रोकने में असफल हुए हैं।
एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के नगर निकाय पर करोड़ों का जुर्माना ठोक दिया है। राज्य के दो निकायों पर एनजीटी ने 65 करोड़ का जुर्माना लगा दिया है। यह जुर्माना आगरा-मथुरा वृंदावन के नगर निगमों पर लगाया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस जुर्माने के पीछे का कारण यमुना नदी में गंदे और प्रदूषित जल के प्रवाह न रोक पाना बताया है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण यानी एनजीटी के मुताबिक, राज्य के दो निकाय यमुना नदी में प्रदूषित पानी को नहीं रोक पाए, जो नियमों के खिलाफ है. एनजीटी के अध्यक्ष न्याप्रकाश श्रीवास्तव ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि नगर निकायों की यह संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वह यमुना नदी की स्वच्छता का ख्याल रखें. लेकिन वह अपनी इस जिम्मेदारी में बुरी तरह फेल हुए हैं. यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर अपने चरम स्तर पर है।
इस पीठ में न्यायिक सदस्य के तौर पर सुधीर अग्रवाल, ए. सेंथिल वेल शामिल थे, जिन्होंने करीब 200 पन्नों के फैसले में नगर निकाय को चेताया कि यमुना नदी में बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय है, इसमें किसी भी तरह की लापरवाही माफी के योग्य नहीं होगी।
यमुना नदी में प्रदूषण के मसले पर जारी किए गए जुर्माने के लिए आगरा नगर निगम को 58.39 करोड़ का पर्यावरण जुर्माना देना होगा, जबकि मथुरा-वृंदावन नगर निगम को 7.20 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है।
विशेषज्ञ सेंथिल वेल ने कहा कि नगर निकाय अगर यमुना नदी में प्रदूषित जल और दूसरी प्रदूषित सामग्री को रोकने में सफल होते तो यमुना नदी के गुणवत्ता पर इतना बुरा प्रभाव नहीं पड़ रहा होता।
एनजीटी की ओर से लगाए गए जुर्माने की राशि को यमुना नदी की स्वच्छता में लगाया जाएगा, जिससे प्रकृति की इस अनोखी और बहुमूल्य संपदा को सुरक्षित किया जा सके. इसकी योजना सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड), यूपीपीसीबी और संबंधित जिला मजिस्ट्रेटों की एक संयुक्त समिति के सहयोग से किया जाएगा।
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