राजकुमार गुप्ता
मथुरा। आखिर कैसी विडम्बना है कि सरकारी विद्यालयों में छात्र संख्या निरंतर गिर रही हैं, वही प्राइवेट विद्यालयो में प्रवेश लेने के लिए हाहाकार मचा है और मचा है महंगी किताब, ड्रेस, फीस वसूली का बबाल।
वर्तमान में नवीन सत्र प्रारंभ हो चुका है। हर अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए इस विद्यालय से उस विद्यालय के चक्कर इस आशा में लगा रहा है कि उसके बच्चे का एडमिशन किसी भी अच्छे और नामी प्राइवेट विद्यालय में हो जाए। एडमिशन मिल जाने के बाद फिर वही अभिभावक महंगी किताब, ड्रेस, फीस वसूली को लेकर हाहाकार तो मचाता है लेकिन शिकायत दर्ज कराने से भी बचता है।
दूसरी ओर सरकारी व एडेड विद्यालय मे निरंतर छात्र संख्या घट रही है जबकि इन विद्यालय में योग्य टीचर्स चयनित होकर आते हैं। पढ़ाई के साथ साथ कक्षा 1से 8 तक निःशुल्क शिक्षा है, जिसमे किताब, ड्रेस, बस्ता, जूते मोजे फ्री मिलते हैं। साथ में मिड डे मील के अंर्तगत खाना भी मिलता है फिर भी निरंतर छात्र संख्या घट रही है 
जनपद में अनेक विद्यालय ऐसे हैं जहां स्टाफ पूरा है और प्रत्येक कक्षा में बच्चे 10 से भी कम है।
 न्यायालय ने कहा कि सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के बच्चे सरकारी व एडेड स्कूलों में पढ़ाई कराए लेकिन न्यायलय के आदेश भी हवा हवाई सिद्ध हो रहे हैं। 
कुछ समय पूर्व हाथरस के डीएम ने जरूर अपने बच्चे को आंगनबाड़ी में प्रवेश दिला कर सुर्खिया बटोरी थी और उस केंद्र की दशा दिशा ही बदल गई थी। यदि मथुरा में भी अधिकारी और कर्मचारी अनुसरण कर ले तो सरकारी व एडेड स्कूलों मे भी काफी सुधार हो सकता है।

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