उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के कस्बा अहिरोरी भस्म विभूतिधारी देवाधिदेव भोलेनाथ भूतनाथ की अद्भुत शक्तियों का गवाह रहा है। यहां पर स्थित भूतनाथ का पाषाण शिवलिंग रहस्यमई ...
हरदोई में स्थित है बाबा भूतनाथ की छोटी काशी।
इस मंदिर के शिवलिंग की रहस्यमई शक्ति करती है पहली पूजा। 
अनोखे जंगल के बीच संरक्षित मछलियों से भरा हुआ है रहस्यमई तालाब।
Hardoi News : उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के कस्बा अहिरोरी भस्म विभूतिधारी देवाधिदेव भोलेनाथ भूतनाथ की अद्भुत शक्तियों का गवाह रहा है। यहां पर स्थित भूतनाथ का पाषाण शिवलिंग रहस्यमई कहानियों का गवाह रहा है। श्रद्धालुओं की ऐसी मान्यता है कि यह शिवलिंग कभी भी बिना पूजा अर्चना के किसी भी श्रद्धालु को नहीं मिला है। मंदिर के महंत गद्दीधर आचार्य रूद्रेश शुक्ला बताते हैं कि इस शिवलिंग की स्थापना पुरातन काल में विख्यात संत परमसिद्ध मंगल गिरि बाबा ने की थी। मंदिर के आसपास विशाल जंगल ऋषि मुनियों की तपोस्थली रहा करता था। नैमिषारण्य से कुछ दूरी पर होने के कारण इस शिवलिंग की पूजा अर्चना पंचकोशी यात्रा से गुजरने वाले संत महात्मा श्रद्धालु किया करते थे।

अदृश्य शक्ति करती है शिवलिंग की पूजा
भूतनाथ का यह स्थान पुरातन काल से चर्चा में है। भोलेनाथ की पूजा करने वालों को यह पता चला कि यह शिवलिंग बिना पूजा के कभी भी नहीं रहता है। मंदिर से अगाध श्रद्धा रखने वाले राजेश शास्त्री का कहना है कि कुछ भक्तों ने तो मंदिर के गेट पर लेटकर यह पता करने की कोशिश की कि रात में पूजा अर्चना करने आखिर कौन आता है। लोगों ने बताया कि रात ठीक 12 बजे के बाद पहले पहर में एक लंबे व्यक्ति ने आकर कहा कि हट जाओ, डरना मत, किनारे लेट जाओ और फिर मंदिर के अंदर जाकर अदृश्य हो गया। जब मंदिर के अंदर जाकर टार्च लगाकर देखा गया तो पूजा-अर्चना हुई मिली थी। तब से लेकर आज तक कई बार मंदिर के पहली बार पूजा-अर्चना वाले रहस्य को कई बार लोगों ने देखने की कोशिश की, लेकिन पहली पूजा कौन करके जाता है, यह रहस्य अब भी बरकरार है।

तालाब की मछलियां भी रहस्यमई
मंदिर से कुछ दूरी पर एक बड़ा सा पातालतोड़ तालाब है। तालाब के किनारे पुराने समय से ही कदंब के पेड़ हैं। पुराने संत महात्मा इस स्थान को छोटी काशी भी कहते हैं। जंगल, तालाब और तालाब के हर कोने पर बने मंदिर इस स्थान को रमणीय बनाते हैं। तालाब में काफी बड़ी संख्या में मछलियां संरक्षित हैं। इसी क्षेत्र के ब्लाक प्रमुख अहिरोरी पन्ने सिंह का कहना है कि तालाब से कोई भी व्यक्ति मछलियां नहीं पकड़ता है। इन मछलियों को भी मंगलगिरी बाबा द्वारा अभय होने का वरदान प्राप्त है। भूतनाथ मंदिर से लोगों की अगाध श्रद्धा और अज्ञात शक्तियों द्वारा की जाने वाली पूजा लोगों के लिए आश्चर्य और श्रद्धा का विषय बनी हुई है।

भोलेनाथ की छोटी काशी
बाबा भूतनाथ और मंगलगिरि के इस स्थान से जुड़े लल्ले बाबा बताते हैं कि यह छोटी काशी है। जमीन पर लेटी हुई सांप की आकृति वाली लता पताओं के जंगल के बीच यह स्थान बना हुआ है। मंदिर में पृथ्वी पर पड़ने वाले सभी शिवलिंगों की आकृति कई सौ साल से विद्यमान है। ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी पर स्थापित सभी 12 ज्योतिर्लिंग इस स्थान पर मौजूद हैं, जिनकी पूजा करने से सभी ज्योतिर्लिंगों का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसीलिए बड़ी दूर-दूर से भगवान भोलेनाथ के भक्त यहां पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। विजय शुक्ला ने बताया कि भोलेनाथ से मांगी गई सभी मुरादें पूरी होती हैं। यह तीर्थस्थल सचमुच अद्भुत, अकल्पनीय और अद्वितीय है।


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