मथुरा।पूरे विश्व में ब्रज की होली फेमस है।कहा जाता है कि जगत होली, ब्रज होरा,क्योंकि ब्रज में होली का त्योहार एक दो दिन का नहीं पूरे 40 दिन का होता है।यहां सामान्य रूप से होली में केवल रंग गुलाल का उपयोग होता है।ब्रज की परम्परागत होली में रंग, गुलाल, फूल, छड़ी, लठ्ठ कई तरह की चीजों का उपयोग होता है।वैसे तो होली का त्योहार ब्रज में वसंत पंचमी से चल ही रहा,जिसमें ब्रज के मंदिरों में होली का रंग मुख्य रूप से प्रभु की आरती के बाद उड़ाया जा रहा था,लेकिन अब प्रभु श्रीकृष्ण ने अपनी कमर पर फूल के फेट बांध कर होली के रसिया का रूप धारण कर लिया है।वृंदावन के श्री राधावल्लभ मंदिर में भी होली का उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है,लेकिन दौज के बाद अब इस होली का असली रंग देखने को मिलने वाला है।
मंदिर सेवायत चंदन गोस्वामी ने बताया कि दौज के मौके पर भगवान राधावल्लभ विशेष प्रकार के वस्त्र धारण कर भक्तों को दर्शन देते हैं।इस मौके पर उनके मुख्य रूप से सफेद रंग के वस्त्र पहनाए जाते हैं।इसमें उनकी पोशाक पगड़ी से लेकर आसान और पिछवाई भी सफेद रंग की ही होती है।इसके पीछे मान्यता है कि सफेद रंग पर गुलाल अच्छे से दिखाई देता है।इसके साथ ही दौज के मौके पर राधावल्लभ सरकार मुख्य रूप से गुलाल की फेट पहनते हैं।यह फेट हर दिन होली तक बंधी जाएगी।
चंदन गोस्वामी ने बताया कि जहां पहले मंदिर में सिर्फ शृंगार आरती के समय भक्तों पर रंग उड़ाया जा रहा था अब वहीं, सुबह- शाम दोनों समय जमकर रंग उड़ाया जाएगा।सुबह मंदिर में शृंगार आरती से लेकर दोपहर का भोग आने तक और शाम की संध्या आरती से लेकर शयन आरती तक अनवरत रंग उड़ाया जाएगा। इसके साथ ही अब होली तक भगवान गालों और चरणों पर गुलाल लगा कर भक्तों को दर्शन देंगे।
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