राजकुमार गुप्ता 
मथुरा।ब्रज की होली पूरी दुनिया में फेमस है। कहा जाता हैं कि जगत होली, ब्रज होरा,क्योंकि ब्रज में होली का त्योहार एक दो दिन का नहीं पूरे 40 दिनों का होता है।ब्रज में सामान्य रूप से होली में केवल रंग गुलाल का उपयोग किया जाता है।ब्रज की परम्परागत होली में रंग, गुलाल, फूल, छड़ी, लट्ठ कई तरह की चीजों का उपयोग होता है,लेकिन बरसाना की लट्ठमार होली को देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग ब्रज आते हैं। बता दें कि बरसाना की लट्ठमार होली इस बार 18 मार्च को बरसाना के श्री लाडली जी मंदिर से शुरू होकर रंगीली गली में खेली जाएगी। लठ्ठमार होली के लिए मंदिर में कई तैयारियां भी की जाती है।इसमें टेसू के फूलो का रंग का इस्तेमाल किया जाता है।

मंदिर सेवायत कौशल ने बताया कि करीब 15 दिन पहले से ही इस रंग को बनाने की तैयारियां शुरू कर दी जाती है।मंदिर में यह रंग परंपरागत रूप से इस्तेमाल किया जाता है।इसके अलावा मंदिर में किसी प्रकार के केमिकल युक्त रंग का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।इस रंग को बनाने के लिए खास टेसू के फूल (पलाश के फूल) का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही इस रंग को भी मंदिर के सेवायतों द्वारा ही बनाया जाता है।

कौशल ने बताया कि इस रंग को बनाने के लिए सबसे पहले फूलों को बड़े बड़े ड्रम में भरकर पानी में करीब 15-20 दिन के लिए छोड़ दिया जाता है।इसके बाद उन्हें निकाल कर एक बड़ी कढ़ाई में डाला जाता है।जहां लकड़ी की भट्टी में इन फूलों में गुलाब जल और केसर मिला कर घंटों तक उबाला जाता है। इसके बाद थोड़ा ठंडा होने पर कपड़े से छान कर दूसरे ड्रम में भर दिया जाता है।कौशल ने बताया कि उबालने की प्रक्रिया को 2 से 3 बार दोहराया जाता है,ताकि‌ फूलों से पूरा रंग निकल जाए।यह रंग इतना पक्का होता है कि कई हफ्तों तक ये आपके चेहरे से नहीं हटेगा।इस होली के लिए करीब 8000 लीटर यानी 40 ड्रम टेसू का रंग तैयार किया जा रहा है।

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