मथुरा। फागुन सुदी अष्टमी को भगवान श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ बरसाना में जमकर होली खेली। होली के बाद बिना कोई फगुवा (उपहार) दिए बरसाना से नंदगांव आ गए थे तो बरसाना में सभी गोप गोपियों ने बैठक की। बैठक में निर्णय लिया गया कि फगुवा लेने के लिए नंदगांव नंद भवन चलना चाहिए। अगले दिन दशमी को बरसाना के गोपी ग्वाल जुर मिल कर फगुवा लेने के लिए नंद भवन आते हैं। यहां द्वार पर खडे होकर कहती हैं फगुवा दै मोहन मतवारे फगुवा दै। फगुवा के बहाने एक बार फिर फागुन सुदी नवमी को नंदगांव लट्ठमार होली होती है। फाग महोत्सव की इसी लीला को साकार करने के लिए बरसाना के बाद नंदगांव में लठामार होली खेली गई। दोपहर करीब दो बजे से ही बरसाना से राधा रानी सखी स्वरूप बरसाना से हुरियारों का आगमन शुरू हो गया। यशोदा कुंड पर चकाचक रबड़ी, केसर युक्त भांग ठंडाई छानी गई। नंदगांव के लोगों द्वारा भव्य स्वागत सत्कार किया है। जैसा कि पहले से अंदेशा था कि लाठियां बरसने वाली हैं तो इसके लिए सिर पर पगड़ी बांधी गई। कुंड से बाहर निकलकर एकत्रित हो ढालों को उपर करते हुए नंद के जमाई की जय से गगनभेदी जयघोष करते हुए भूरे का थोक से नंद भवन की ओर हुरियारें कूच कर गईं।ं गुलाब की पंखुड़ियों से जोरदार स्वागत किया गया। जगह जगह फूलों से रंगोली सजाई गई। छतों से ड्रमों में पहले से तैयार किया गया टेसू के फूलों का प्राकृतिक रंग हुरियारों पर बरसात हुई। हुरियारे रंगों में सराबोर हो गये। हर कोई अद्वितीय प्रेम के इस रंग में सराबोर होने के लिए मचल उठा। हुरियारे कह उठे दर्शन दै निकस अटा में ते दर्शन दै। सोलह श्रृंगारों से सजी धजी हुरियारिनें अपने घर के द्वार, अटा अटरियाओं के झरोखों से झांकने लगीं। भंग की तरंग में मदमस्त हुरियारे हंसी ठिठोली करते हुए नंदभवन पहुंचे। नंदगांव बरसाना के समाजियों ने कृष्ण बलराम के विग्रहों के सामने संयुक्त समाज गायन किया। शाम के करीब साढ़े पांच बजे रंगीली चौक पर हजारों की संख्या में हुरियारे और हुरियारिन जमा हुए और जमकर लठामार होली खेली गई।
नंदगांव की लठामार होली में हुरियारों पर जमकर बरसीं प्रेम पगी लाठियां
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