मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय पराक्रम दिवस के उपलक्ष्य में सेमिनार का आयोजन हुआ जिसमें विद्यार्थियों ने नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की प्रासंगिकता पर अपने-अपने शोधपरक विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डा रजनीश त्यागी ने कहा कि विकसित भारत के लिए वर्तमान परिप्रेक्ष्य में युवाओं के लिए नेता जी सुभाषचन्द्र बोस का जीवन-दर्शन प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं के समक्ष स्वामी विवेकानन्दजी व नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के जीवनवृत से संकल्प लेने की आवश्यकता है। सुभाषचन्द्र बोस ने विपरीत व प्रतिकूल परिस्थितियों में आजाद भारत का सपना साकार कर दिखाया था उनके आह्वान पर आजाद भारत के लिए आजाद हिंद फौज की स्थापना की गई थी तथा उन्हें नौ राष्ट्राध्यक्षों ने आजाद भारत का राष्ट्राध्यक्ष भी घोषित किया गया था।
भारतीय वायुसेना सेना से रिटायर्ड पवन शर्मा ने कहा कि नेता जी सुभाषचन्द्र बोस जन्म से ही कुशाग्रबुद्धि व तार्किक शक्ति के धनी थे । उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त करके आईएएस की परीक्षा चौथी रैंक के साथ उत्तीर्ण की किन्तु भारत की आजादी के लिए उन्होंने इस्तीफा देकर सच्चे राष्ट्रभक्त व मां भारती के सपूत का परिचय दिया। विश्वविद्यालय के डीन आफ स्टूडेंट वेलफेयर डा डीएस तोमर ने युवाशक्ति को शारीरिक व मानसिक रूप से सशक्त और सक्क्षम बनाने के लिए विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों में अपनी- अपनी नैसर्गिक प्रतिभाओं के साथ सहभागिता सुनिश्चित करनेके लिए प्रेरित किया।
छात्र सौरभ द्विवेदी ने कविता के रूप में अपनी रोचक प्रस्तुति देते हुए कहा कि "वो हिंद फौज का नायक था, वो भारत के स्वाभिमान का गायक था। वो नेता जी के नाम से जाना जाता था, वो बंगाल की खाड़ी से आया था।"
कार्यक्रम का संचालन जाह्ववी ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता व सी ई ओ डा मीनाक्षी शर्मा ने नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के व्यक्तित्व से छात्र, छात्राओं को प्रेरित करते हुए शुभकामनाएं संप्रेषित की। छात्र वक्ताओं में से विजय प्रताप, नूपुर यादव , देवांश गुप्ता ने भी अपने विचार प्रकट किए। इस अवसर पर छात्र, छात्राओं को नेता जी सुभाषचन्द्र बोस के जीवन वृत्त पर सोर्ट फिल्म लाइव प्रदर्शन किया गया।
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