वन टांगिया गाँव महबूब नगर को सरकार ने किया राजस्व ग्राम घोषित, अब यहाँ के ग्रामीण कर सकेंगे गाँव की सरकार का चुनाव
राम कुमार यादव।
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बहराइच/ ब्यूरो। जनपद में जंगल से सटे वन टांगिया गांव महबूबनगर को सरकार ने राजस्व ग्राम घोषित कर दिया है। इससे गांव के लोगों में खुशी है, अब इस गांव के लोग भी ग्राम पंचायत के चुनाव में मतदान कर सकेंगे साथ ही उनके पक्के आवास भी बन जाएंगे। सरकार की इस घोषणा से लोगों में काफी खुशी है।
जनपद बहराइच के मोतीपुर तहसील के वन टांगिया गांव महबूबनगर की आबादी 2000 से अधिक है। गांव वर्ष 1919 में बसा था। इस गांव के लोग आज भी गांव की सरकार नहीं चुन पाए थे जबकि प्रदेश और केंद्र सरकार के चुनाव में इनको मतदान करने का अधिकार था। इसका मुख्य कारण वन टांगिया गांव का होना था।
वन टांगिया गांव को राजस्व ग्राम का दर्जा देने के लिए ग्रामीण काफी दिनों से मांग कर रहे थे सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी द्वारा मुख्यमंत्री से लेकर जिला अधिकारी तक को शिकायती पत्र देकर ग्रामीणों की समस्या सुनाई गई। जिसमें ग्रामीणों द्वारा पक्के आवास, शौचालय समेत अन्य कार्य से वंचित होने की जानकारी दी गई।
ऐसे में इस गांव के लोगों के चेहरे पर सरकार ने खुशी दी है। जिला अधिकारी मोनिका रानी ने बताया कि वन टांडिया गांव महबूबनगर को प्रदेश सरकार की ओर से राजस्व गांव में घोषित कर दिया गया है इसकी अधिसूचना भी शनिवार को लिखित में शासन की ओर से जारी कर दी गई है।
इससे गांव में निवास करने वाले लोगों में काफी खुशी है। डीएम मोनिका रानी ने बताया कि अब इस गांव में सभी सरकारी सुविधाएं लोगों को मिलेंगी। मालूम हो कि वन टांगिया गांव होने के चलते केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ इस गांव में रहने वाले लोगों को नहीं मिल रहा था।
शिक्षा के नाम पर है एक प्राथमिक विद्यालय।
मोतीपुर तहसील के वन टांगिया गांव महबूबनगर में बच्चों की शिक्षा के लिए सिर्फ एक प्राथमिक विद्यालय है। यहां सिर्फ कक्षा पांच तक ही पढ़ाई होती है। ऐसे में उच्च शिक्षा के लिए यहां के बच्चे दूरी तय कर दूसरे गांव और नगर का रुख करते हैं। अब यहां के बच्चे विद्यालय बनने से गांव में ही शिक्षा हासिल कर सकते हैं।
वर्ष 2007 में प्रदेश में आई बसपा की सरकार तो ग्रामीणों को मिलने लगा राशन।
मोतीपुर तहसील के वन टांगिया गांव महबूबनगर की स्थापना वर्ष 1919 में हुई थी पड़ोसी गांव हसूरिया के ग्राम प्रधान मनोज कुमार रावत ने बताया कि स्थापना के बाद से ही इस गांव के लोगों को खाद्यान्न नहीं मिलता था बसपा सरकार में वर्ष 2007 में इनको खाद्यान्न मिलना शुरू हुआ। सबसे पहले पड़ोस के गांव चुरवा, इसके बाद गोपिया और अब हसुलिया गांव में लोगों को खाद्यान्न मिल रहा है।
लंबे अरसे से चल रहा था संघर्ष, अब मिली जीत।
जंगल के किनारे बसे गांव के हक की आवाज उठाने वाले वन अधिकार मंच के सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी ने बताया कि राजस्व ग्राम के लिए गांव के लोगों के साथ काफी संघर्ष किया जिसका नतीजा लंबे अरसे बाद मिला है, इसके लिए प्रदेश सरकार के साथ जिला प्रशासन बधाई का पात्र है। अब यहां के लोगों को भी विकास की जरूरत है।
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