उतरौला बलरामपुर
रमजान-ए-पाक का मुकद्दस महीना शुरू हो चुका है। मुसलमानों के लिए ये महीना बहुत ही अहमियत का महीना रखता है। रमजान के चांद का दीदार होने के साथ ही साथ दुआओं और नमाजों का दौर भी शुरू हो गया है। जामा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना अख्तर रजा ने
बताया, कि रोजाना पांच वक्त की नमाज पढ़ना इस्लाम का एक बुनियादी हिस्सा है। इस्लाम धर्म में अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाने वाले सभी लोगों पर नमाज फर्ज हो जाती है,फिर चाहे मर्द हो या औरत,गरीब हो या अमीर, सभी के लिए पांचों वक्त की नमाज पढ़ना जरूरी है।
कुरआन व हदीस में जिक्र है कि हर बालिग मर्द व औरत के ऊपर पर रमजान का रोजा रखना फर्ज किया गया है। जो बीमार हैं,और बहुत बूढ़े हैं, शरीर में रोजा रखने की क्षमता नहीं है,मानसिक रूप से बीमार हैं उन्हें कुछ नियम व शर्तों के साथ रोजा में छूट की बात कही गई है।
इस पाक महीने में अल्लाह की खूब रहमत बरसती है। वैसे तो एक दिन में पांच वक्त की नमाज अदा की जाती है, लेकिन रमजान के महीने में तरावीह की नमाज पढ़ना भी बहुत जरूरी होता है। इस पाक महीने में तरावीह की नमाज पढ़ने की बड़ी फजीलतें मिलती हैं।इस्लाम में तरावीह की नमाज सुन्नत-ए-मुवक्कदा है।सुन्नत-ए-मुवक्कदा उस को कहते हैं,जिसको पैगंबर मुहम्मद ने हमेशा पढ़ा हो। कहा जाता है कि पैगंबर साहब ने पहली मर्तबा रमजान तरावीह की नमाज अदा की थी, इसलिए तब से तरावीह की नमाज सुन्नत हो गई। 20 रकअत तरावीह की नमाज पढ़ना हदीसों से साबित है।
*तरावीह पढ़ने की फजीलतें*
मौलाना अख्तर रजा ने
कहा हैं कि हदीस में बताया गया है कि रमजान में तरावीह पढ़ने से गुनाह माफ हो जाते हैं।क्योंकि रमजान में दिन और रात दोनों ही फजीलत वाली होती है। जिसमें की गई इबादतें कबूल होती है। और गुनाहों की माफी भी।अल्लाह की रहमत हासिल होती है। रमजान के महीने में रात में नूर बरसता है,और हमारा रब आसमान से तरावीह पढ़ने वालों को देखता है। और जो लोग तरावीह की नमाज पढ़ते हैं,उन्हें अल्लाह की रहमत हासिल होती है।
*नबी की सुन्नत है*।
जो चीजें हमारे नबी ने की है,अपनी जिंदगी में, उन्हें हम नबी की सुन्नत कहते हैं। नबी की सुन्नत पर चलने का सवाब बहुत ही ज्यादा होता है। और हमारे नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की सुन्नत पर चलना हमारे लिए फर्ज के बराबर ही है।
तरावीह की नमाज पढ़ना भी हमारे नबी की सुन्नत है। इस वजह से हमें तरावीह की नमाज अदा करनी चाहिए। और नबी की सुन्नत अदा करना चाहिए।
*बहुत सवाब मिलता है*।
हदीस शरीफ से यह बात साबित है कि रमजान का महीना सबसे पाक और मुबारक महीना होता है। इस महीने,अल्लाह की खास रहमते दुनिया भर पर नाजिल होती है।
रमजान में की गई इबादतों का सवाब कई गुना बढ़ जाता है। हदीसों में आया है,कि रमज़ान में एक फर्ज नमाज अदा करने का सवाब सत्तर फर्ज अदा करने के बराबर होता है।वही सुन्नत का सवाब भी कई गुना बढ़ जाता है,ऐसे में तरावीह की नमाज पढ़ने से बहुत सवाब हासिल होता है।
*सारी रात इबादत करने का सवाब मिलेगा*।
जी हां !
आपने सही पढ़ा मुसलमानों के आखरी नबी मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शख्स इबादत के लिए इमाम के साथ तरावीह की नमाज़ पढ़े यहां तक कि नमाज मुकम्मल हो जाए,तो उसे पूरी रात इबादत करने का सवाब मिलेगा।
असगर अली
उतरौला
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