उतरौला, बलरामपुर पुलिस की एक और कार्यशैली पर उच्च न्यायालय ने सवाल खड़ा करते हुए विभाग पर गंभीर टिप्पणी की है। यह प्रकरण मोहल्ला सुभाष नगर हाटन रोड पर स्थित एक आवासीय मकान पर एक मृतक महिला के मकान पर कब्जेदारी को लेकर जुड़ा हुआ मामला काफी दिनों चल रहा था।
इसी साल 23/ 01/24 को प्रभारी निरीक्षक संजय कुमार दुबे ने चौकी प्रभारी स्वतन्त्र गुप्ता व अन्य पुलिस कर्मियों के साथ एक मकान पर राजेश कुमार सोनी को कब्जा दिलाया गया था। इसी प्रकरण को लेकर सिविल कोर्ट में विचाराधीन था। और न्यायालय से अभी किसी के पक्ष मे निर्णय नही हुआ था। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद मुकदमे के दूसरे पक्ष राम प्रताप सोनी की शिकायत पर मामले की मजिस्ट्रेटी जांच भी हुई थी। जांच के दौरान पुलिस की भूमिका को संदिग्ध पाते हुए अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी बलरामपुर को सौंप दी थी। पीड़ित पक्ष मजिस्ट्रेटी जांच को आधार बनाकर उच्च न्यायालय में पहुंच गया। राम प्रताप ने मामले को प्रमुख गृह सचिव व अन्य को प्रतिवादी बनाते हुए न्यायलय से अपनी फरियाद की थी।
उच्च न्यायालय की लखनऊ खंड पीठ के न्यायमूर्ति राजन राय व नरेंद्र कुमार जोहरी ने मामले की सुनवाई करते हुए मजिस्ट्रेटी जांच के तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि जब मामला न्यायालय में लंबित था तो पुलिस को कब्जा कराने में इतनी रुचि क्यों लेना पड़ा।
असगर अली
उतरौला
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