जौनपुर। देश की लोक संस्कृति और धरोहरों को जानने के लिए मैंने यात्राएं की: कायनात काजी
जौनपुर। देश की प्रख्यात यात्रा लेखिका एवं ब्लॉगर डॉ. कायनात काजी ने कहा कि यात्रा मन से नकारात्मकता को निकालती है। यायावरों ने संस्कृति को इतिहासकारों की तुलना में ज्यादा ईमानदारी से लिखा है। देश की लोक संस्कृति और धरोहरों को जानने के लिए मैंने यात्राएं की। यायावरों ने भारतीय संस्कृति को करीब से समझा। भारतीय संस्कृति की विविधता ही इसकी खूबसूरती है।
डॉ. कायनात ने ये बातें वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में कल्चरल क्लब एवं जनसंचार विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में कहीं। विश्वविद्यालय में संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के सहयोग से संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन, प्रदर्शन एवं दस्तावेजीकरण विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है।उन्होंने प्रतिभागियों को देश के विभिन्न भागों की लोक संस्कृति से परिचित कराया. कल्चरल मैपिंग के लिए टिप्स भी दिए। कायनात काजी भारत की पहली एकल महिला यात्री हैं जिन्होंने केवल चार वर्षों में दो लाख किलोमीटर की यात्रा की है। उन्होंने अपनी रोचल यात्राओं से भी परिचित कराया। इतिहासकार एवं ब्लॉगर एम एम मासूम ने जौनपुर की सांस्कृतिक विरासत पर कहा कि अपने सांस्कृतिक मूल्यों को स्थापित करना और सांस्कृतिक पहचान को कायम रखने की जिम्मेदारी युवाओं की है।
उन्होंने कहा कि जौनपुर जनपद की सांस्कृतिक विरासत बहुत ही समृद्ध रही है इसे सहेजना बहुत मुश्किल नहीं है। अपने पूर्वजों की विरासत को बस सहेजना होगा, उन्होंने जौनपुर जनपद के ऐतिहासिक स्थलों के बारे में विस्तार से बताया। प्रो. बी डी शर्मा ने कहा कि हमें अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए, संस्कार और संस्कृति जीने की चीज है। उन्होंने ग्रामीण संस्कृति पर विस्तार से चर्चा की। डॉ जान्हवी श्रीवास्तव ने कहा कि जिज्ञासा ही पथ प्रदर्शक होती है, जितना देश में भ्रमण करेंगे संस्कृति वो वास्तव में समझ पाएंगे जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र ने अतिथियों का स्वागत एवं संचालन कार्यक्रम संयोजक डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, धन्यवाद् ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ सुनील कुमार ने किया। डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ. चन्दन सिंह, डॉ. सुरेन्द्र यादव, सोनम विश्वकर्मा, अमित मिश्रा समेत तमाम लोग उपस्थित रहे।
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