मथुरा। वृंदावन की एक पहचान देशभर की विधवाओं के आश्रय स्थल के रूप में भी है। यहां कई आश्रय स्थल हैं जहां विधवा माताएं अपने अपने नीरस जीवन की संध्या काल गुजार रही हैं। बंगाल सहित देशभर के कौने कौने से परिवार और समाज से प्रताड़ित विधवा माताएं यहां आती हैं। इनके बेरंग और नीरज जीवन में होली के बहाने रंग घोलने की परंपरा वृंदावन में लगातार पुष्ट हो रही है। यह परंपरा बहुत पुरानी नहीं है लेकिन अब लगातार आगे बढ रही है। ब्रज में बसंत पंचमी से होली का प्रारंभ हो जाता है। सभी मंदिरों में रंगों की होली खेली जाती है। इसी क्रम में श्री धाम वृन्दावन के परिक्रमा मार्ग स्थित मैत्री घर में विधवा माताओं ने फूलों की होली खेली और भक्ति के गीतों पर नाचते हुए एक दूसरे को बधाई भी दी। ब्रज में आजकल चारों तरफ होली की धूम मची हुई है। दूरदराज से पहुंच रहे श्रद्धालु होली का अद्भुत आनंद ले रहे हैं। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी गुरुवार को मैत्री घर वृद्धा आश्रम में विधवा माताओं ने भी सभी परंपराओं को तोड़कर हर्षोल्लास के साथ फूलों की होली खेली। इस दौरान सभी के चेहरे खुशी से खिल उठे। रूढ़िवादी परंपराओं और अपनों से दूर रहकर विधवा माताओं ने रंगोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया। इसके लिए कई क्विंटलो फुलों की व्यवस्था की गई। विधवा माताओं ने एक दूसरे के साथ जमकर होली खेली साथ ही भक्ति गीतों पर नाचीं। मैत्री घर के संस्थापक अध्यक्ष रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल भूपेंद्र सिंह एवं समाज सेविका बिन्नी सिंह ने बताया कि मैत्री घर का प्रारंभ 2012 में हुआ था। मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से सताई हुई महिलाएं इस मैत्री घर में रहती हैं। लगभग 95 माताएं यहां रह रही हैं। पूरा परिवार होने के बावजूद भी इन महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं है। परिवार से ठुकराई गई यह महिलाएं अब मैत्री घर का हिस्सा है सभी त्योहार यहां धूमधाम के साथ मनाए जाते हैं किसी तरह का कोई भेदभाव किसी के साथ नहीं किया जाता। स्वास्थ्य से लेकर मंदिरों के दर्शन एवं सभी प्रकार की सुविधाओं से सुसज्जित यह घर इन माता को समर्पित है। अब इसी तरह के दूसरे आश्रमों में भी विधवा माताएं होली खेलती हैं।
वृंदावन की विधवा माताओं के नीरस जीवन में होली के बहाने घुल रहे रंग
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