जौनपुर। होली खेलते समय आंखों का रखें विशेष ख्याल, बरतें सावधानियां: डॉ. अमित
मुंगराबादशाहपुर, जौनपुर। होली प्राकृतिक रंगों में सराबोर होकर तन-मन में नई स्फूर्ति भरने का है। रंगों की फुहार में उम्र, गिले-शिकवों को भुलाने और हंसी-ठिठोली का पर्व है। प्राकृतिक की जगह रासायनिक रंगों के लेने के बाद से कई बार यह मस्ती हमारे संवेदनशील अंग आंखों पर इस कदर भारी पड़ती है कि हमेशा के लिए वे अपना नूर खो देती हैं। इसे देखते हुए नेत्र रोग विशेषज्ञ रंग खेलते समय आंखों का विशेष ध्यान देने की सलाह देते हैं।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. अमित गुप्ता के अनुसार, उद्योगों आदि इस्तेमाल होने वाले रासायनिक रंग काफी सस्ते होते हैं। ऐसे में लोग होली पर सामान्यत: इन्हीं रासायनिक रंगों का इस्तेमाल करते हैं। इन रंगों में लेड, सिलिका, कापर सल्फेट, पारा सल्फाइट और एल्यूमीनियम ब्रोमाइड जैसे रसायन होते हैं, जो यदि आंखों में चले जाएं तो काफी नुकसानदेह साबित होते हैं। इन रंगों के कारण आंखों में संक्रमण, जलन, सूजन और दर्द के अलावा उनके हैवी मेट्ल्स नाजुक आंखों में गंभीर चोटों का कारण बन जाते हैं। कापर सल्फेट से एलर्जी, घबराहट के अलावा अंधापन तक हो सकता है। अमित गुप्ता कहते हैं, कापर सल्फेट से आंखों की एलर्जी, घबराहट के अलावा अस्थायी या स्थायी अंधापन तक हो सकता है। चांदी जैसे चमकीले रंग में एल्यूमीनियम ब्रोमाइड होता है जो कैंसर का कारण हो सकता है। नीले और लाल रंग आंखों में डर्मेटाइटिस यानी आंखों की त्वचा में लालिमा, खुजली या चोट लग सकती है। अबीर या गुलाल आंखों में जाएं रगड़े नहीं। डां अमित गुप्ता कहते हैं, अबीर जाने पर भी होता है। यदि आंखों में अबीर या गुलाल जाए तो कभी आंखों को रगड़ना नहीं चाहिए।
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