महराजगंज:-रमजान के महीनो को नेकियों आत्मनियंत्रण और खुद पर संयम रखने को ट्रेनिंग का महीना माना जाता है! रमजान महीने के दौरान रोजा रखने से दुनिया भर के गरीबों की भूख और दर्द को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है!
*कारी मोहम्मद गयासुद्दीन खान नूरी प्रिंसिपल अल जामिया तुस्सालेहात गर्ल्स कॉलेज मोगलहा व चेयरमैन अलकोरान ट्रस्ट नें सभी रोजेदारों को मुबारकबाद पेश की*
उन्होंने कहा कि रोजदारो के रूह को पाकिज़गी तो मिलता ही है साथ ही एक रोजेदार अपने आप को हर तरह की बुराइयों से और बहुत ऐसी जिस्मानी बीमारियों से बचा जा सकता है! यह सब बातें स्वर विद्रोह टाइम से हुई वर्तलाब में हाफ़िज़ व कारी गयासुद्दीन खान नूरी नें कहीं!उन्होंने कहा कि रोजा इस्लाम के पांच प्रमुख धार्मिक स्तंभों में से एक है! इबादत,बंदगी और नेकियों के रास्ते पर चलने की हिदायत देने वाला माह ए रमज़ान हर मुसलमान के लिए बेहद खास होता है!
रमजान के इस तीस दिनों में पहले दस दिन रहमत,अगले दस दिन बरकत,और आखिरी 10 दिन मगफिरत के यानी गुनाहों से तौबा और बखशिश के माने जाते हैं!
झूठ बोलने अपशब्दों का प्रयोग करने अन्य दुनियावी बुराइयों में शामिल होने से पुरे साल खुद को बचाने की हिदायत देने वाले रमजान के महीने का समापन पर इदुल फ़ित्र का त्यौहार आता है!जो अपने नेक बन्दों के लिये रब का इनाम है! ईद के त्यौहार के पहले हर मुसलमान पर फितरा व जकात की आदाएगी फर्ज करार दी गई है! जिससे गरीबों व मुफलिसों को भी ईद मनाने की खुशियां मिल सके! रमजान के मुबारक महीने पर सभी रोजेदारों को मुबारकबाद देते हुए या गुजारिश भी करना चाहता हूं समाज में प्यार व भाईचारे को बढ़ावा देते हुए गरीबों लाचारों की बरसक मदद करते हुवे ज्यादा से ज्यादा ने किया नेकियां कमाएं!
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