मथुरा। वसंत पंचमी पर जब भक्तों के लिए यह कमरा खुला तो बस होंठों से निकला बेजोड़, बेमिसाल। बेशकीमती झाड़ फनूस, विशाल गोलाकार दीवार और रोमन शैली को जीवंत करतीं सखियों के बीच बसंती कमरे में स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान ठा. राधारमणलालजू ने भक्तों को दर्शन दिए तो भक्त गदगद हो गए। बसंत पंचमी पर बुधवार को शाहजी मंदिर में बसंती कमरे की भव्यता को देखने श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। नवाबी अंदाज में विराजमान ठाकुरजी के दर्शन कर भक्त निहाल हुए तो बसंती कमरे की भव्यता भी उन्हें आकर्षित कर रही थी। झाड़ फनूस के बीच झिलमिल होती रोशनी का प्रभाव आकर्षण बढ़ा रहा था। मंदिर के बाहर भी आकर्षक विद्युत सजावट श्रद्धालुओं को खुद ब खुद आकर्षित कर रही थी। कमरे में प्रवेश करते ही बासंती प्रकाश दिल को ऋतुराज बसंत के आगमन का संदेश दे रहा था। शाम ढलते ही श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर परिसर में जमा होना शुरू हो गई। बसंती कमरा दर्शन को उमड़ी भीड़ को व्यस्थित तरीके से दर्शन करवाने को मंदिर प्रबंधकों ने विशेष इंतजाम किए थे। मंदिर के बाहर चबूतरे से ही बैरिकेडिंग करके दर्शनार्थियों को अंदर प्रवेश दिलवाया गया और दूसरे रास्ते से बाहर निकाला गया। ताकि श्रद्धालुओं को आराध्य और बसंती कमरे के दर्शन सुलभ हो सकें। शाहजी मंदिर के संगमरमरी टेड़े खंभों के कारण इसे श्रद्धालु ’टेड़े खंभे’ के नाम से भी जानते हैं। खास बात ये है कि इन खंभों में कोई जोड़ नहीं है। मुंडेरों पर रोमन व इटेलियन शैली का प्रतिविंब झलकता है। वसंती कमरे में अनेक रंगों के झाड़ फानूस, कलात्मक दर्पण, सुनहरी दीवार है। विशाल गोलाकार छत पर चंदोबा की पच्चीकारी, ऊपर चारों ओर से विभिन्न मुद्राओं में झांकती 12 सखियां कमरे की शोभा को चार चांद लगा रही हैं। मंदिर में दर्पण एवं झाड़ फानूस पर जब विद्युत प्रकाश पड़ता है, तो वसंती छटा खुद ही बिखरती दिखाई देती है।
आयो बसंत, टेड़े खंभों वाले मंदिर में खुला बसंती कमरा-बसंत पंचमी के दिन खुलता है मनभावन यह कमरा-कमरे की सुंदरता की आज भी होती है तारीफ
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