राजकुमार गुप्ता आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से भारत की अंतरिक्ष यात्रा में शनिवार को एक और गौरवांवित कर देने वाली उपलब्धि उस समय जुड गयी, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने पृथ्वी और महासागरों का अध्ययन करने हेतु शनिवार को भारत में निर्मित तीसरी पीढ़ी के उपग्रह इनसेट-3डीएस सैटेलाइट का अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर अंतरिक्ष में एक और उपलब्धि हासिल कर ली हैं।

सबसे एडवांस मौसम सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग करके इतिहास रचने के लिए इसरो के महान वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई देते हुये आगरा के वरिष्ठ समाजसेवी डॉ उमेश शर्मा ने इस ऐतिहासिक पल की खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि जो कोई देश नहीं कर सका, वह भारत के महान वैज्ञानिकों और इंजिनियरों ने कर दिखाया हैं। भारतीय वैज्ञानिकों ने इतिहास रच दिया हैं। आज भारत और हम सभी भारतीय के लिए बहुत गर्व का दिन है। इसरो द्वारा भारतीय मौसम अपडेट व आपदा से जुड़ी जानकारी में महारत हासिल करने के इस संकल्प से हर भारतीय गौरवविंत है। आज़ भारत विश्वगुरु बनने की राह निश्चित कर चुका है। हम तहेदिल से इसरो के वैज्ञानिकों और इंजिनियरों को बधाई देते हैं। उन्होंने भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में अपना परचम लहराया हैं। इस मिशन के जरिए भारत के इतिहास रचने की आशा पूरी हुई। हमें गर्व है कि भारत वहां पहुंच गया, जहां पहले कोई नहीं गया। इस उपलब्धि से ज्ञान और प्रेरणा की नई सीमाएं उजागर होंगी। इसरो के अनुसार निसार एक वेधशाला है जिसे नासा और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है। यह 12 दिनों में पूरे विश्व का मानचित्रण करेगा और पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र, बर्फ द्रव्यमान, वनस्पति बायोमास, समुद्र स्तर में वृद्धि, भूजल, भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन सहित प्राकृतिक खतरों में परिवर्तन को समझने के लिए डाटा उपलब्ध कराएगा। ये मौसम पूर्वानुमान को बेहतर बनाने में मदद करेगा। यह मौसम संबंधी सेवाओं में बदलाव लाएगा और मौसम पूर्वानुमान को बढ़ाएगा। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। जो भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम को एक नये प्रक्षेप पथ की ओर आगे ले जाती है। इस असाधारण उपलब्धि के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई के पात्र हैं।

इसी क्रम में अरविन्द कुमार पुष्कर एडवोकेट ने कहा कि इसरो की अंतरिक्ष में एक और बड़ी छलांग से हर भारतीय गौरवविंत है। आज़ हम सभी भारतीयों के लिए एक सुनहरा क्षण हैं। जिसका पूरी दुनिया सांस रोककर इंतजार कर रही थी। भारत के लिए यह वास्तव में एक शानदार क्षण है। हमारे वैज्ञानिक और इंजिनियर इस क्षण के लिए वर्षों-वर्षों तक रात-दिन मेहनत कर रहे थे। अंतरिक्ष में इनसेट - 3डी सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण भारत की प्रगति का भी प्रमाण है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का तीसरा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट हैं। इनसैट-3डीएस’ के अपनी कक्षा में स्थापित हो जाने से अब मौसम में अचानक परिवर्तन की जानकारी पहले ही मिल सकेगी, जिससे निबटने में आसानी होगी। वहीं, मौसम की सटीक जानकारी मिलने से यह उपग्रह फसलों को बर्बाद होने से बचाने में भी मददगार साबित होगा और ऐसे में इसे कृषि क्षेत्र के लिए भी बेहद उपयोगी माना जा सकता है। साल-दर-साल जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम जिस प्रकार से अनिश्चित होता जा रहा है और लोगों की समस्याएं इसके कारण लगातार बढ़ रही हैं, ऐसे में इसरो के इस उपग्रह का मौसम पूर्वानुमान तथा आपदा चेतावनी के लिए सेवाओं की निरन्तरता प्रदान करने का उद्देश्य सराहनीय है, जो प्राकृतिक आपदाओं से लड़ने में भारत की ताकत को और मजबूत करेगा। इस उपग्रह का उद्देश्य पृथ्वी की सतह, वायुमंडल, महासागरों और पर्यावरण की निगरानी को बढ़ाना, डेटा संग्रह और प्रसार और उपग्रह-सहायता प्राप्त खोज और बचाव सेवाओं में क्षमताओं को बढ़ाना है। यह पहल भारत के मौसम, जलवायु और महासागर से संबंधित टिप्पणियों और सेवाओं को बढ़ावा देगी, ज्ञान का विस्तार करेगी और भविष्य में बेहतर आपदा शमन और तैयारियों को और अधिक बढ़ावा देगी। पहले सूर्य मिशन, चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत अपनी अंतरिक्ष यात्रा जारी रखे हुए है। इसके लिए भारत के अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे और इंसानियत के कल्याण के लिए ब्रह्मांड की बेहतर समझ विकसित करेंगे। आज हम सभी भारतीय के लिए बहुत गर्व का दिन है।

इस अवसर पर फ़िल्म निर्माता सावन चौहान ने कहा कि सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग के लिए इसरो के महान वैज्ञानिकों को शुभकामनायें। इसरो ने देश के सबसे उन्नत मौसम उपग्रह ‘इनसैट-3डीएस’ को सफलतापूर्वक लॉन्च करके एक बार फिर नया इतिहास रच दिया है। यह इसरो का इस साल का दूसरा बड़ा सफल मिशन है और इस सफलता से अंतरिक्ष की दुनिया में भारत का दबदबा और बढ़ गया है। इनसैट-3
डीएस के अपनी कक्षा में स्थापित हो जाने से अब मौसम में अचानक परिवर्तन की जानकारी पहले ही मिल सकेगी, जिससे निबटने में आसानी होगी। इसरो द्वारा इसे 10 वर्ष की मिशन अवधि के लिए डिजाइन किया गया है। इसरो को इस मिशन की सफलता के साथ तीन बड़ी उपलब्धियां हासिल हुई हैं। इनसेट-3 डीएस भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किए जाने वाले तीसरी पीढ़ी के मौसम उपग्रह का मिशन है। ये मौसम से संबंधित जानकारी इसरो तक भेजेगा। इस सैटेलाइट को मौसम संबंधित भविष्यवाणी व आपदा चेतावनी के लिए तैयार किया गया है। इस मिशन का उद्देश्य उन्नत मौसम संबंधी डाटा, भूमि और महासागर सतहों की निगरानी, मौसम पूर्वानुमान और आपदा चेतावनी के लिए सेवाओं की निरंतरता प्रदान करना है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के विभिन्न विभाग जैसे भारत मौसम विज्ञान विभाग, राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र और विभिन्न एजेंसियों और संस्थानों को इनसेट-3डीएस से भेजे जाने वाले डाटा से लाभ होगा। इससे हमें आपदा, मौसम, अंतरिक्ष और खगोलीय घटनाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। इससे सौर गतिविधियों के अवलोकन और अंतरिक्ष के मौसम पर इसके वास्तविक समय में प्रभाव का भी पता चलता है। यह उपग्रह अपनी यात्रा में पृथ्वी और सागर का अध्ययन करेगा। इस सफलता से इसरो का आत्मविश्वास और बढ़ गया है। वहीं, भारतीय मौसम अपडेट व आपदा से जुड़ी जानकारी में महारत करने सहित अंतरिक्ष का गुरु बनने के संकल्प से हर भारतीय गौरवविंत है।

वहीं, पत्रकार पंकज जैन ने बहुत ही एडवांस सैटेलाइट के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के विज्ञानियों को धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि वैश्विक स्तरपर भारत हर क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का अपना जलवा बिखेर रहा है जिसमें भारतीय विजन आत्मनिर्भर भारत को पंख लग गए हैं। जिस तेजी से भारत के मिशन 2047 और मिशनआत्मनिर्भर भारत को पूर्ण करने के जज्बे को देख पूरी दुनियां हैरान है खास करके अंतरिक्ष क्षेत्र में दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच कर भारत में जो दम दिखाया उसे उसे पूरी दुनिया ने रेखांकित किया है और शनिवार को फिर से इसरो ने अंतरिक्ष में एक लंबी चलांग लगाई है,जिस पर पूरी दुनियां स्तब्ध है। इसरो ने सबसे एडवांस मौसम सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग करके इतिहास रच दिया है,क्योंकि वर्तमान जलवायु परिवर्तन के युग में मौसम व आपदा का कोई भरोसा नहीं है की किस तरह तबाही का आलम पैदा कर दे। इसलिए यह जरूरी है कि इसके प्रकोप से बचने के लिए विशेष प्रौद्योगिकी के जरिए इसका पूर्व अनुमान लगाना अनिवार्य हो गया है। ताकि संभावित प्राकृतिक प्रकोप से मानवीय जीवन सहित पूरी पृथ्वी को बचाने के लिए इसकापूर्वानुमान ज्ञात किया जाए और आपदाओं से निपटने के लिए पर्याप्त समय लिया जा सके, मानवीय जीव को उठाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा जा सके और उनकी जान बचाई जा सके इसके लिए एडवांस मौसम सैटेलाइट जबरदस्त रोल अदा करेगी। इससे भविष्यवाणियां करना संभव होगा ताकि लोगों को प्राकृतिक आपदाओं के आने से पहले ही जानकारी दी जा सके और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके। यह उपग्रह वायुमंडल के विभिन्न मौसम संबंधी मापदंडों की ऊर्ध्वाधर प्रोफाइल प्रदान करेगा और इसकी मदद से पृथ्वी की सतह की ज्यादा सटीक तरीके से निगरानी हो सकेगी। इस ‘इनसैट-3डीएस’ का मुख्य कार्य पृथ्वी की सतह, समंदर और पर्यावरण पर अलग-अलग स्पेक्ट्रल वेवलेंथ के जरिये नजर रखना, वायुमंडल के अलग-अलग मौसमी पैरामीटर्स का वर्टिकल प्रोफाइल देना, अलग-अलग जगहों से डेटा प्राप्त कर उसे वैज्ञानिकों तक देना और राहत एवं बचाव कार्यों के दौरान मदद करना है।इस का उपयोग बादल, कोहरा, बारिश, बर्फ और उसकी गहराई, आग, धुआं, भूमि और समुद्रों पर शोध करने के लिए किया जाएगा।पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण की सफलता के जरिए भारत ने इतिहास रचा और अब इस ऐतिहासिक पल की खुशी पर समस्त 140 करोड़ भारतीय गर्व कर रहें हैं।

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