निर्माता अंजु भट्ट का  आमोदिनी इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल में डिस्कशन  का विषय रहा :धर्म और सिनेमा  


मास्क टीवी ओ टी टी प्लेटफ़ॉर्म पर लगभग ३० वेब सीरिज़, फिल्म्स, शोज़ की निर्माता अंजु भट्ट जिनकी हिंदुत्व फ़िल्म की स्क्रीनिंग आमोदिनी इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल में बहुत ही अच्छा प्रभाव छोड़ती नज़र आई उनके पैनल डिस्कशन इंपैक्ट

ऑफ रिलीजन ऑन इंडियन सिनेमा में उनका धाराप्रवाह बोलने का अंदाज़ समाँ बॉंधता नज़र आया।

संस्कृत, दर्शनशास्त्र, जर्मन ,उर्दू और अंग्रेज़ी के साथ हिंदी में उनका काव्य , उर्दू की शायरी और संस्कृत के श्लोकों में बंधी प्रस्तुति ने उपस्थित लोगों को  यह बताने की कोशिश की कि धर्म और सिनेमा का परस्पर प्रभाव सिनेमा स्क्रीन पर अब एक अलग पॉवरफुल नैरेटिव के साथ उभरा है अपनी हिंदुत्व और आज़मगढ़ फ़िल्म का ज़िक्र करते उन्होंने दोनों धर्मों के लोगों की फ़िल्म में कंटेंट के प्रति उत्सुकता को जजमेन्टल होकर न देखने की सलाह भी दी।

हिंदुत्व के प्रति एक बायस से संघर्ष कर उबरने का प्रयास न सिर्फ़ लेखक निर्देशक बल्कि निर्माता और चैनल के लिए भी एक थकाने पर आशान्वित रखने की यात्रा रही। मास्क टीवी ओ टी टी प्लेटफ़ॉर्म पर स्ट्रीम हो रही इस फ़िल्म के साथ उन्होंने जयपुर के महारानी कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष रहने और बी ए एम ए में गोल्ड मेडल हासिल करने कवयित्री ,अभिनय एम फ़िल  रिसर्च आदि उपलब्धियों को याद करते हुए महिला सशक्तिकरण के डोला फ़ाउंडेशन के प्रयास पर सिनेमा में भी महिलाओं के पात्र और चरित्र सशक्त होने का विश्वास उन्हें सिर्फ़ साधन के तौर पर इस्तेमाल न करने का भी  आग्रह रखने पर ज़ोर दिया ।

अपनी फ़िल्म हिंदुत्व के ज़रिए हिंदू धर्म पर गर्व करने वालों  की प्रशंसा करते हुए उन हिंदू धर्म के लोगों को यह फ़िल्म समर्पित की जिन्होंने धर्म की रक्षा और धर्म के लिए अपना जीवन किसी भी तरह समर्पित किया । डायरेक्टर करण राजदान   संगीतकार गीतकार अभिनय करने वाले सभी लोगों को बधाई का पात्र मानते हुए अपने लिखे एक शेर से अपने डिस्कशन को विराम दिया।

क़द का बौना है समझता है सिकंदर ख़ुद को

एक क़तरा है समझता है समंदर ख़ुद को 

अपनी दुनियावी ख़्वाहिशों से जो फ़ारिग न हुआ 

एक जुनूनी है समझता है कलंदर ख़ुद को!

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