मथुरा। ब्रज में बसंत पंचमी के त्योहार के साथ ही होली के रंग उड़ने शुरू हो गये हैं। साथ ही हल्का सर्द मौसम होने के कारण रंगों का यह त्योहार कुछ ज्यादा ही मजेदार हो जाता है। बसन्त पंचमी से ब्रज के सभी मंदिरों के प्रांगणों एवं होलिका दहन वाले स्थानों पर होली का दांड़ा गाढ़ दिए जाने के साथ ही होली के आयोजन विधिवत प्रारंभ हो जाता है, जो अगले यह उत्सव 40 दिन तक जारी रहता है। इसी के साथ मंदिरों में होली का समाज गायन शुरू हो गया जो परंपरागत होली का विशेष आकर्षण रहता है। ब्रज में बसंत पंचमी से आयोजित होने वाले रंग और रगोली होली के सभी कार्यक्रम ‘होरी’ कहलाते हैं। बसंत पंचमी को बरसाना के विश्व प्रसिद्ध श्रीराधारानी मन्दिर में परंपरानुसार गोस्वामी समाज के लोगों द्वारा शाम को समाज गायन किया गया। ‘होरी गीतों’ के माध्यम से श्रीलाडली लाल को रिझाया गया। वहीं बरसाना मन्दिर के सेवायत पुजारी ठाकुरजी को नित्यप्रति गुलाल लगाने के बाद भक्तगणों पर भी प्रसाद स्वरूप गुलाल का छिड़काव करते हैं। यह कार्यक्रम लगातार 40 दिवस तक चलेगा। बरसाना में बसंत पंचमी के अवसर पर श्री लाडली मंदिर में ठाकुरजी के विशेष श्रृंगार, उत्सव एवं अनोखे दर्शनों के साथ होली गायन का आयोजन किया गया। बसन्त पंचमी 14 फरवरी की होने से बरसाना की लड्डू होली 17 मार्च व 18 व 19 मार्च को बरसाना नंदगांव की लट्ठमार होली होगी। देश विदेश से लाखों श्रृद्धालु बरसाना होली महोत्सव में शामिल होते हैं। इन 40 दिवस होली महोत्सव में बरसाना सहित नन्दगांव, वृन्दावन, मथुरा, गोवर्धन, गोकुल के मन्दिरों में प्रतिदिन होली कार्यक्रम देखने को मिलेगा।
मंदिरों में शुरू हुआ होली का समाज गायन-बरसाना में हुई विश्व प्रसिद्ध होली की शुरुआत
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