वृन्दावन।छीपी गली स्थित प्राचीन ठाकुर प्रियावल्लभ कुंज में श्रीहित उत्सव चैरिटेबल ट्रस्ट एवं श्रीहित परमानन्द शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे अठारहवीं शताब्दी के रस सिद्ध संत, प्रख्यात वाणीकार श्रीहित परमानंद दास महाराज एवं उनकी शिष्या महारानी बखत कुंवरि (प्रिया सखी) जू के सेव्य ठाकुरश्री विजय राधावल्लभ लाल व ठाकुरश्री प्रियावल्लभ लाल जू महाराज के त्रिदिवसीय 210वें पाटोत्सव के अंतर्गत प्रातः काल ठाकुर विग्रहों का पञ्चामृत से अभिषेक कर वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन - अर्चन किया गया।साथ ही उनके श्रृंगार आरती की गई।तत्पश्चात हितवाणी, हित चतुरासी एवं राधा सुधानिधि आदि ग्रंथों का संगीतमय गायन हुआ।
पूर्वाह्न 11 बजे से रसभारती संस्थान के अध्यक्ष डॉ. श्यामबिहारी लाल खंडेलवाल एवं निदेशक डॉ. जयेश खंडेलवाल (हित जस अलि शरण) की मुखियाई में मंगल बधाई समाज गायन किया गया।जिसमें पूज्य महाराजश्री के द्वारा रचित पदों का संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य गायन हुआ।
अपराह्न 3 बजे से आयोजित संत-विद्वत सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए चतु:संप्रदाय के श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज ने कहा कि श्रीप्रियावल्लभ कुंज 18वीं शताब्दी के रससिद्ध संत एवं प्रमुख वाणीकार श्रीहितपरमानंद दास महाराज की साधना स्थली है।जो कि श्रीधाम वृन्दावन की प्राचीन धरोहर है।हम सभी सनातन धर्मावलंबियों को ऐसे दिव्य स्थलों का सरंक्षण करना चाहिए।
आचार्य विष्णुमोहन नागार्च एवं प्रख्यात भागवत प्रवक्ता आचार्य ललित वल्लभ नागार्च ने कहा कि ठाकुर प्रियावल्लभ कुंज का इतिहास 209 वर्ष पुराना है।जिसे स्वयं श्रीहित परमानन्ददास महाराज ने अंकित किया है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीप्रियावल्लभ कुंज में दतिया की महारानी बखत कुंवरि (प्रिया सखी) के सेव्य ठाकुर प्रियावल्लभ लाल एवं श्रीहितपरमानंद दास जी महाराज के सेव्य ठाकुर विजयराधावल्लभ लाल विराजित हैं।
महामंडलेश्वर नवल गिरि महाराज एवं शास्त्रार्थ महारथी आचार्य पुरूषोत्तम शरण शास्त्री महाराज ने कहा कि राधावल्लभ संप्रदाय का वाणी साहित्य अत्यंत समृद्ध व उन्नत है।जिसके संरक्षण व संवर्धन का कार्य श्रीहित परमानंद शोध संस्थान एवं श्रीहित उत्सव चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।
रंगलक्ष्मी संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. रामसुदर्शन मिश्रा एवम हितधर्मी डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा ने कहा कि श्रीहितपरमानंद शोध संस्थान ने श्रीहितपरमानंद दास महाराज की वाणियों की पांडुलिपियों को खोज कर और उनका प्रकाशन कर सराहनीय कार्य किया है।
इस अवसर पर महंत किशोरी शरण मुखिया, डॉ. हरिप्रसाद द्विवेदी, प्रमुख शिक्षाविद डॉ. सुनीता अस्थाना, आचार्य ललित वल्लभ नागार्च, पूर्व पार्षद रसिक वल्लभ नागार्च, कमला नागार्च, डॉ. राधाकांत शर्मा, रासबिहारी मिश्रा, युगलकिशोर शर्मा, तरुण मिश्रा, भरत शर्मा, हितबल्लभ नागार्च, कीर्ति, हितानंद, रसानंद, प्रेमानंद, दिव्यानंद आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।धन्यवाद ज्ञापन आचार्य विष्णु मोहन नागार्च ने किया।महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ हुआ।
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