वृन्दावन।छटीकरा रोड़ स्थित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आश्रम में चल रहे सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ महोत्सव के अंतर्गत व्यासपीठ पर विराजित श्रीहरिदासी वैष्णव संप्रदायाचार्य विश्वविख्यात भागवत प्रवक्ता आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी में सभी भक्तों-श्रृद्धालुओं तृतीय दिवस की कथा का रसपान कराया।जिसे श्रवण कर सभी श्रोता भाव-विभोर हो गए।
आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण महाराज ने कहा कि वर्तमान में नई पीढ़ी के बच्चों में धर्म के प्रति निष्ठा कम हो रही है,तो वहीं उनमें पाश्चात्य संस्कृति का आकर्षण बढ़ता जा रहा है।इसके लिए हम सभी का कर्तव्य है, कि माता-पिता अपने बच्चों को बाल्यकाल से ही वैदिक सनातन संस्कृति का ज्ञान और संस्कार दें।तभी वे अपने धर्म को जानेंगे और हमारे देश से पाश्चात्य संस्कृति का पूर्ण बहिष्कार होगा।क्योंकि बाल भक्त ध्रुव और प्रहलाद को बाल्यकाल में ही देवर्षि नारद मुनि के रूप में दिव्य सत्संग प्राप्त हुआ।उन्ही की कृपा से बाल भक्त ध्रुव और प्रहलाद को बाल्यावस्था में ही भगवान नारायण की प्राप्ति हुई।
पूज्य महाराजश्री ने सत्संग की महिमा बताते हुए कहा कि सत्संग ही मानव जीवन को सार्थक बनाता है।सत्संग के बिना मानव जीवन अधूरा है।जब तक जीव माता के गर्भ में रहता है, तब तक वो बाहर निकलने के लिये छटपटाता रहता है।तब वह बाहर निकलने के लिये ईश्वर से अनेक प्रकार के वायदे करता है। मगर जन्म लेने के पश्चात सांसारिक मोह माया में फंस कर वह भगवान से किए गए वायदों को भूल जाता है।जिसके परिणामस्वरूप उसे चौरासी लाख योनि भोगनी पड़ती है।इसलिए सत्संग ही जीव के जन्म व मृत्यु के भय का नाश करता है।
इस अवसर पर ब्रज साहित्य सेवा मंडल के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, संजय गुप्ता, सुमित गुप्ता, प्रमुख समाजसेवी दासबिहारी अग्रवाल, पण्डित किशोर शास्त्री, आर.पी. गुप्ता, कमलेश गुप्ता, गिर्राज गुप्ता, रमेश गोयल, राकेश बंसल, राजेश अग्रवाल, योगेश गुप्ता, शुभम गुप्ता, आचार्य राजा पण्डित, पंडित रवीन्द्रजी, पंडित उमाशंकर मिश्रा, डॉ. राधाकांत शर्मा एवं अमित पाठक आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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