घबड़ायें व हड़बडाये नहीं, परीक्षा भवन में - पंडित हरि ओम शर्मा ‘हरि’
परीक्षा भवन उस इमारत का नाम है जहाँ आपके सपनों की आधारशिला रखी जाती है। अतः परीक्षा भवन का जीवन में वह स्थान है जो अन्य किसी का नही है। इस इमारत में अच्छे-अच्छे छात्रों को पसीना आ जाता है जो छात्र अपने को सभाँल ले जाते हैं, अपना आत्मविश्वास बनाये रखते हैं, हडबड़ाते नहीं है, उनकी नींव अच्छी तैयार हो जाती है और फिर उस पर खड़ी होती है गगनचुम्बी इमारत! जिस पर खड़े होकर आप सफलता की पताका फहराते हैं और कहलाये जाते हैं सफल व्यक्ति! सफल व्यक्ति कहलाने के लिए आवश्यक है कि परीक्षा भवन में अपना धैर्य बनाये रखें, हड़बड़ायें नहीं क्योंकि हड़बड़ में गड़बड़ होती है यदि आप परीक्षा में अंको की गड़बड़ाहट से बचना चाहते हैं तो फिर आप परीक्षा भवन में हड़बड़ाये नहीं बल्कि पूरे विश्वास के साथ परीक्षा दे परीक्षा भवन में अपना आत्मविश्वास बनाये रखें फिर आप देखेंगे कि परीक्षा की कसौटी में खरा उतरते हुए आप उच्च अंको के साथ परीक्षा उत्तीर्ण करेंगे इसके लिए केवल आपको इन बिन्दुओं पर अमल करना है।
परीक्षा भवन में उपयोग में आने वाली सामग्री पहले ही रख लें: परीक्षा भवन में परीक्षा देते समय आपको किन उपयोगी वस्तुओं की आवश्यकता होगी इसका प्रबन्ध परीक्षा समय से 12 घंटे पहले ही कर लें। जैसे पेन, रबर, स्केल, ज्योमेट्री बाक्स, नीली स्याही का पेन, काली स्याही का पेन, प्रवेश पत्र आदि पहले ही व्यवस्थित कर रख लें वरना चलते समय अगर आप कुछ भूल गये तो फिर आपका हड़बड़ा जाना स्वाभाविक ही है।
परीक्षा समय से पहले ही परीक्षा भवन पहुँच जायें: परीक्षा समय से पहले ही परीक्षा भवन पहुँचना हमेशा उपयोगी होता है। कभी-कभी परीक्षा रूम व आपका परीक्षा स्थान भी बदल दिया जाता है ऐसी स्थिति में ऐन वक्त पर आपका परीक्षा भवन पहुँचना हड़बड़ाहट का कारण बन सकता है। अतः परीक्षा भवन पहुँचकर सुनिश्चित कर लें कि आपका परीक्षा रूम या परीक्षा टेबिल तो नहीं बदल दी गई है। यदि बदल गई है तो आप हड़बड़ायें नहीं क्योंकि आपके पास पर्याप्त समय है जाकर अपना कमरा व सीट देख लें।
अपनी परीक्षा टेबिल व कुर्सी को चेक कर लें: अपनी परीक्षा टेबिल को भली-भाँति चेक कर लें और सुनिश्चित कर लें कि कोई उल्टा सीधा कागज तो टेबिल के आसपास नहीं है, यदि ऐसा है तो तुरन्त कक्ष निरीक्षक महोदय को सूचित करें अन्यथा यह गैर उपयोगी व अनावश्यक कागज ही आपको मुसीबत में डाल सकता है। कुर्सी को भी चेक कर लें, कहीं कुर्सी गन्दी या टूटी फूटी तो नहीं है, यदि ऐसा कुछ है तो निःसंकोच कक्ष निरीक्षक महोदय को सूचित कर तुरन्त कुर्सी बदलवादें।
परीक्षा भवन में अनावश्यक वस्तु कदापि न ले जायें: परीक्षा भवन में केवल वही वस्तुयें लेकर जायें जिनकी परीक्षा समय में आपको आवश्यकता है। अनावश्यक वस्तु उस समय आपको अनावश्यक रूप से परेशान कर सकती है और यदि गलती से कोई कागज का टुकड़ा आदि है तो वह आपको मुसीबत में डाल सकता है।
नकल करना तो दूर उसके बारे में सोचें भी नहीं: नासमझ लोगों का कहना है कि नकल के लिए भी अक्ल की जरूरत होती है। मैं कहता हूँ नकल वह छात्र करते हैं जिनके पास अक्ल नहीं होती है। अगर इन गैर समझदार लोगों की बात मान भी लें तो भी नकल से गिरते पड़ते परीक्षा तो उत्तीर्ण की जा सकती है किन्तु उच्च अंक प्राप्त नहीं किये जा सकते हैं और आज के प्रतिस्पर्धात्मक माहौल में गिरते पड़ते अंको के परीक्षा उत्तीर्ण करने से अनुत्तीर्ण होना ही श्रेयस्कर है इसलिए नकल करने के बारे में कदापि न सोचें, ईश्वर पर व अपने परिश्रम पर भरोसा करें।
आत्मविश्वास बनाये रखें: आप परीक्षा भवन में बैठे हैं किसी हवालात में नहीं! आपके समक्ष कक्ष निरीक्षक है जो आपके गुरू है कोई पुलिस का दरोगा नहीं तो घबराहट व हड़बड़ाने की क्या आवश्यकता है? अतः अपना आत्मविश्वास बनाये रखें, ईश्वर का स्मरण करें और पूरी तन्मयता से परीक्षा दें।
कापी पेपर मिलते ही चेक कर लें: कापी मिलते ही एक बार पलट कर अवश्य देख लें, कहीं ऐसा तो नहीं है कि कापी के बीच में कोई पन्ना फटा हुआ या बिना लाइन का तो नहीं है। कभी-कभी प्रिटिंग की गलती से ऐसा हो जाता है। यदि ऐसा है तो तुरन्त कक्ष निरीक्षक महोदय को कापी दिखाकर कापी बदल लें। पेपर को मिलते ही ईश्वर का स्मरण अवश्य करें, पेपर को भी एक बार गौर से देख लें कहीं मिसप्रिंट या कटा-फटा तो नहीं है, यह सब चेक करने के बाद ही कापी पर अपना रोल नं0 लिखें।
सर्वप्रथम कापी पर अपना रोल नम्बर आदि लिखें: प्रश्नों का उत्तर लिखने से पहले कापी के निर्धारित स्थान पर रोल नं0 व अन्य विवरण पूर्ण रूप से लिखें, तब प्रश्नों का उत्तर लिखना प्रारम्भ करें। कापी पर बाँयी ओर खाली स्थान अवश्य छोड़ें, बीच में कोई भी पेज खाली न छोड़े। यदि रफ कार्य हेतु आपको जगह की आवश्यकता है तो रफ कार्य हमेशा बाँये पेज पर ही करें और उसके ऊपर मोटा-मोटा रफ कार्य अवश्य लिख दें।
प्रश्नों के उत्तर देने की कला सीखें: प्रश्नों का उत्तर तो सभी छात्र देते हैं लेकिन उच्च अंक वही छात्र अर्जित करते हैं जो छात्र प्रश्नोत्तर की कला में निपुण होते हैं। अतः प्रश्नों के उत्तर देने की कला सीखें। उत्तर लिखना भी एक कला है कि आप उत्तर को कितनी खूबसूरती व अच्छी तरह से परीक्षक के समक्ष प्रस्तुत करते हैं इसके लिए आपकेा कापी पर बाँयी तरफ खाली स्थान के साथ उत्तर में महत्वपूर्ण लाइनों को या तो अण्डरलाइन करना है या फिर काली स्याही से लिखना है, जिससे परीक्षक की निगाह बरबस ही उन महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चली जाये।
प्रश्नों को उनके अंको के अनुसार ही समय दें: परीक्षा भवन में अगर सबसे कीमती कोई है तो वह है समय! इसका अवश्य ध्यान रखें। प्रश्नों का उत्तर उनकी हैसियत के अनुसार ही दें अर्थात कम अंक वाले प्रश्नों को कम समय व अधिक अंक वालें प्रश्नों को अधिक समय दें। कहीं ऐसा न हो कि कम अंक वाले प्रश्न के उत्तर में ही आप समय व्यतीत कर दें और अधिक अंक वाले प्रश्नों के उत्तर के लिए समय ही न बचे। अतः समय के बँटवारे में ध्यान रखना अतिआवश्यक है। समय के बँटवारे में आप कितने निपुण हैं परीक्षाफल आते ही स्पष्ट हो जायेगा।
राइटिंग अच्छी व साफ सुथरी रखें: राइटिंग का अच्छे अंको पर विशेष प्रभाव पड़ता है यदि आपकी राइटिंग अच्छी है और आपके उत्तर उच्च अंको के नहीं है तो भी आप परीक्षक की प्रशंसा के पात्र बनेंगे और परीक्षक द्वारा दी गई यह प्रशंसा ही आपको उच्च अंको के द्वार पर ले जायेगी। दूसरी ओर यदि आपकी राइटिंग खराब है और उत्तर उच्च कोटि के हैं तब आपकी राइटिंग देखकर परीक्षक की नाक भौं सिकुड़ जायेगी और परीक्षक की नाक भौं का सिकुड़ना आपके हित में नहीं होगा। अतः राइटिंग का परीक्षा में विशेष महत्व है इस बात को गाँठ बाँध लें और परीक्षा में इसका विशेष ध्यान रखें।
एक प्रश्न के उत्तर देने के बाद थोड़ी जगह अवश्य छोड़े: एक प्रश्न का उत्तर देने के बाद दूसरे प्रश्न का उत्तर प्रारम्भ करने के पूर्व थोड़ी जगह बीच में अवश्य छोड़े, साथ ही इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि किन लाइनों को मोटे अक्षरों में लिखना है और किनको छोटे अक्षरों में।
न तो कोई प्रश्न छोड़े और न ही अनावश्यक प्रश्न का उत्तर दें: जितना पूछा गया है वही उत्तर दें, न तो अधिक प्रश्नों का उत्तर दें न ही कम प्रश्नों का। परीक्षा समय समाप्ति से 15 मिनट पूर्व ही अपने कार्य पूरा कर लें और इन 15 मिनटों का उपयोग अपने प्रश्नों के उत्तर को देखने व पढ़ने में लगा दें। इससे आपको छोटी-मोटी हुई गलतियों को सुधारने का मौका मिल जायेगा। इससे निश्चित रूप से आपके अंको में वृद्धि होगी।
अच्छी तरह याद प्रश्नों का उत्तर पहले दें: जिन प्रश्नों का उत्तर आप सर्वश्रेष्ठ ढंग से दे सकते हैं, पहले उन्हीं प्रश्नों का उत्तर दें। इससे दो लाभ होंगे एक तो आपके ऊपर से काम का बोझ कम होगा, आप प्रसन्नचित होंगे, साथ ही परीक्षक पर अच्छे उत्तर का प्रभाव भी जमेगा जो आपके लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
प्रश्नों का उत्तर देते समय प्रश्न संख्या अवश्य डालें: आप जिस प्रश्न का भी उत्तर लिख रहे हों, उसी प्रश्न के उत्तर नं0 अवश्य डालें जिससे परीक्षक को आपके उत्तर देखने में आसानी हो। परीक्षक को हुई आसानी आपके लिए रास्ता आसान बना सकती है।
अनिवार्य प्रश्नों का उत्तर अवश्य दें: प्रश्नपत्र में कुछ प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य होता है। अतः ऐसे प्रश्नों का उत्तर देना न भूलें, याद रखें अनिवार्य प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य ही होता है तभी आप उच्च अंको के साथ परीक्षा उत्तीर्ण कर सकते हैं।
‘बी’ कापी को ‘ए’ कापी के साथ मजबूती से बाँधे: परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त करने के लिए आवश्यक है अधिक लिखना। अतः ‘बी’ व ‘सी’ कापी की आवश्यकता तो अवश्य पड़ेगी। अतः ‘बी’ व ‘सी’ कापी अवश्य लिखें, याद रखें कि ‘बी’ व ‘सी’ कापी को ‘ए’ कापी के साथ ‘नथ्थी’ अवश्य कर दें अर्थात अच्छी तरह बाँध दे साथ ही ‘बी’ व ‘सी’ कापी पर भी अपना रोल नं0 अवश्य डाल दें।
परीक्षा भवन में रूमाल व पानी की बोतल अवश्य ले जायें: परीक्षा भवन में एक रूमाल अवश्य रखें व पानी की बोतल भी उपयोगी है। अधिकाँस देखा गया है कि परीक्षा रूम में प्यास लगती है और बाहर जाने पर समय बर्बाद होता है। अतः समय की बचत के लिए पीने हेतु पानी व हाथ मुँह पोछने हेतु रूमाल अवश्य रखें। इससे आपके समय की बचत होगी और समय के बचत का अर्थ है आपके अंको की बढ़ोत्तरी।
यह बातें देखने में भले ही आपको छोटी लग रही होगी किन्तु यह छोटी-छोटी बातें ही आपकेा दिलायेंगी बड़ी सफलता। यदि आप बड़ी सफलता प्राप्त करना चाहते हैं और चाहते हैं कि आप परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त करें तो परीक्षा भवन व परीक्षा समय में इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान अवश्य रखें। सच मानिये! आप परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करेंगे।
‘‘छोटी-छोटी बातों से ही हमारी योग्यता की परीक्षा होती है’’
-- महात्मा गाँधी
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