देवेन्द्रनगर (हिन्दी संवाद न्यूज़)
बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय इन दिनों प्रभारी प्राचार्य ऊषा तिचारों के नेतृत्व में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है जहां सूत्रों की माने तो प्राचार्य कमीशन के चक्कर में अपने कर्तव्य को भल कर केवल पैरा कमाने की जुगत में लगी रहती है की अम तो हद ये है कि बीते एक वर्ष से मुख्य भवन की लेब को दीवार की ईटं गल कर गिर चुकी है जिससे कभी भी दीवाल सकने से छत गिरने की आशंका बनी हुई है परंतु मजाल कि प्राचार्य सहित जिले के मखमली सीट पर बैठने वाले आला अधिकारियों की नजर इस पर गई हो। ऐसा नहीं है की जिला शिक्षा अधिकारी और जिला सीईओ को इसकी जानकारी नहीं है परंतु इनमे से शायद किसी में वो इच्छा सक्ति या ताकत नाहीं है की प्राचार्य को मरम्मत के लिए निर्देशित कर बच्चों और शिक्षकों को जान सुरक्षित करवा सकें। वरना और क्या वजह से सकती है की सालों से खोखली पड़ी दीवारअपने मरम्मत का बाट जोह रही है।
क्या किया जा सकता था
विद्यालय में लगभग हर वर्ष कटेजेंसी मद में लगभग 75000 रुपए की राशि आती है जिसका उपयोग इस दुर्घटना संभावित दीकल की मरम्मत में किया जा सकता था। शाला प्रबंधन समिति केप्रस्ताव के आधार पर विभागीय इंजीनियर द्वारा स्टीमेट बना कर राशि स्वीकृत करठा कर मरम्मत कार्य किया जा सकता था। विद्यालय में पक्टिविटी फंड के नाम पर बच्चों से ली जाने वाली राशि से भी इस कार्य को करवाया जा सकता था।दुर्घटना संभावित स्थिति में जिला शिक्षा अधिकारी व जिला सीईओ अपने मद से इस कार्य को करवा सकते थे ।
मौत की दीवाल का ये वर्षों से स्वरूप यथावत क्यों
जिस प्राचार्य को इसपर संज्ञान लेकर उपलब्ध मंदी का उपयोग कर दीवाल की मरम्मत करनी चाहिए वो अपनी धन लोलुपता और शिक्षा, सुरक्षा के कार्यों के इतर अन्य विषयों में रुचि के चलते सैकड़ों जानों को खतरे में डाले हुए हैं। ऐसा भी नहीं है की अन्य मरम्मत कार्य हुए है माध्यमिक सेक्शन की कक्षाओं को फर्श अपनी बदहाली पर आंसू बहाती दिख रही है पर उनका भी जीर्णोधार आज तक नहीं हुआ और नौनिहाल बाल और कचरे के बीच बैठ कर पढ़ने को मजबूर है इसके अलावा जिले के शिक्षा अधिकारी और जिला सीईओ की अरुचि और ढुलमुल रवैए का लाभ भी प्राचार्य की लापरवाह रवैए की हौसला अफजाई के लिए काफी दिखता प्रतीत है।
किसने क्या कहा
प्रभारी प्राचार्य ऊषा तिवारी ने कहा कि मैंने कई बार जिले के अधिकारियों को मरम्मत के लिए कहा है लेकिन विभागीय इंजीनियर गीर साहब ने ध्यान नहीं दिया अगर कोई दुर्घटना होती है तो में नहीं बल्कि गौर साहब सहित जिले के एडीपीसी रधि प्रकाश खरे, जिला शिक्षा अधिकारी, जिला सीईओ इसके जिम्मेदार होंगेजिला शिक्षा विभाग पत्रा के विभागीय इंजीनियर श्री गौर ने कहा कि में माध्यमिक खंड तक का इंजीनियर 9 से 12 तक के विद्यालयों के लिए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय जिम्मेदार होते है फिर भी 5 माह पूर्व पत्रकारों की सूचना पर में और मेरे साथ एडीपीसी रवि प्रकाश सारे सर सहित पूरी टीम प्राचार्य ऊषा तिवारी जी को कार्य करने के लिए निर्देशित करके आए से सारे मद उपलब्ध होने के बाद भी उनहोंने नहीं कराया तो इसके लिए वहीं जिम्मेदार है। स्थानीय निवासी देशराज कुशवाहा ने कहा कि अभी 26 जनवरी का कार्यक्रम विद्यालय परिसर में हुआ सारे अधिकारी मौजूद में किसी ने इस विषय पर ध्यान नहीं दिया जबकि अगर दीवाल ढही तो छत भी गिरेगी जिससे कई लोगों को जान माल का नुकसान हो सकता है यह दीवाल पिछले एक वर्ष से ऐसी ही स्थिति में है कोई सुनने वाला नहीं है
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