परीक्षा ‘भूत’ नहीं, भविष्य है!

पंडित हरि ओम शर्मा ‘हरि’

मेरे एक मित्र हैं ‘क’ महोदय! एक दिन टहलते हुए मैं यूँ ही उनके घर पहुँच गया, देखा कि मेरे मित्र ‘क’ महोदय व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ‘क’ महोदया दोनों के चेहरे उतरे हुए हैं। पूछने पर पता चला कि परसों से उनके बेटे ‘कोमल’ की परीक्षा है। ‘कोमल’ परीक्षा के भूत से इस कदर डरा हुआ है कि उसे तेज ज्वर ने जकड़ लिया है और ज्वर में ही बड़बड़ाता है कि मैं परीक्षा नहीं दूँगा। न जाने ऐसे कितने ‘कोमल’ है जो इस परीक्षा रूपी भूत से डरे सहमे, बचे-बचे घूम रहे हैं, कुछ ‘कोमल’ परीक्षा को कोस रहे हैं। ऐसे छात्रों से मेरा यह कहना है कि परीक्षा ‘भूत नहीं है! बल्कि परीक्षा ‘भविष्य’ है, एक ऐसा उज्जवल भविष्य जो परीक्षा में सफल होने के बाद ही प्राप्त होता है तो फिर हम भविष्य तय करने वाली इस परीक्षा से डरते क्यों हैं? परीक्षा का तो स्वागत करना चाहिए। यदि आप मेरे इन चन्द सुझावों पर अमल करते हैं तो सच मानिये ‘परीक्षा’ ही आपको सफलता के द्वार तक ले जायेगी। क्योंकि सफलता का रास्ता ही परीक्षा के बीच से होकर जाता है।

परीक्षा के लिए हमेशा तैयार रहें: जैसे एक वीर सैनिक युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहता है ठीक उसी तरह तुम भी हमेशा परीक्षा के लिए तैयार रहो। जिस प्रकार एक वीर सैनिक यह जानता है कि बिना युद्ध के मेरी वीरता का कोई आकलन नही है, कोई मूल्य नहीं है और न ही मुझे कोई परमवीर चक्र प्राप्त होगा। ठीक उसी तरह बिना परीक्षा के आपकी योग्यता का आँकलन कैसे हो सकता है? 

परीक्षा में सफलता के लिए पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों को देखें: परीक्षा की तैयारी करने के लिए सबसे सरल तरीका है पिछले कई वर्षों के प्रश्न पत्रों को पढ़कर उन्हें हल करना। इन प्रश्न पत्रों को पढ़े व खुद ही हल भी करें और खुद ही अंक भी दे लें, सच मानिये! आपसे बड़ा न कोई परीक्षार्थी है और न ही कोई बड़ा परीक्षक! यदि आप मेरी इस बात पर अमल करते हैं आप दुनियाॅ के सर्वश्रेष्ठ व सफलतम परीक्षार्थी है। इसमें सन्देह की कोई गुजाइश नहीं है।

स्पेलिंग मिस्टेक न होने दें: अधिकाँश देखा गया है कि छात्र परीक्षा में उत्तर तो सही लिख आते हैं किन्तु गलतियाँ (स्पेलिंग मिस्टेक) इतनी कर देते हैं कि उन्हें देखकर परीक्षक की नाक-भौं सिकुड़ जाती है और वह 93 की बजाय 33 अंक देकर ही सन्तुष्ट हो जाते हैं। अतः राइटिंग के बाद यदि कोई महत्वपूर्ण है तो वह है लिखते समय गलतियां न करना। यदि आप सही उत्तर देते हैं साथ ही उसमें कोई मात्रा, विराम, कामा, फुलस्टाप की गलती नहीं करते हैं तो समझ लीजिए कि आप परीक्षा के लिए पूर्ण रूप से तैयार हैं और आप परीक्षा में भी अपनी दक्षता सिद्ध करते हुए सर्वोच्च अंक प्राप्त करेंगे।

प्रश्नों के उत्तर लिखने की कला सीखें: परीक्षा में प्रश्नो के उत्तर लिखना भी एक कला है। यदि आपकी राइटिंग भी अच्छी है आप लिखने में गलती भी नहीं करते हैं किन्तु उत्तर देने की कला (आर्ट) में आप पारंगत नही हैं तो भी आप सर्वोच्चता के दरवाजे से बाहर ही रह जायेंगे। अतः इस कला में निपुण होना आवश्यक है। उसके लिए आपको आवश्यकता है निरन्तर अभ्यास की। परीक्षा में उत्तर लिखने वाली कापियों से मिलती जुलती कापी बाजार में उपलब्ध रहती है उन कापियों पर लिखने का अभ्यास करें। इससे आपको ज्ञान होगा कि कापी में बायें हाथ पर कितनी जगह छोड़नी है। एक प्रश्न के उत्तर के बाद दूसरे प्रश्न का उत्तर कितनी जगह छोड़कर करना है। मोटे शब्द कहाँ लिखने हैं और कौन से लिखने हैं जिस पर परीक्षक की निगाह बरबस ही चली जाये। नीली स्याही का प्रयोग कहाँ करना है, काली स्याही का प्रयोग कहाँ करना है, रफ कार्य के लिए कौन से पेज पर कितनी जगह छोड़नी है, इन छोटी-छोटी बातों से ही अच्छे अंक प्राप्त होते हैं।

अपनी याददाश्त की क्षमता विकसित करें: आपके अन्दर अपार क्षमता भरी पड़ी है केवल आवश्यकता है उसे विकसित करने की। याददाश्त को विकसित करने का सबसे सरल तरीका यह है कि आप जो भी विषय या जो भी चैप्टर याद करें उसे लिखकर अवश्य देखें दूसरे यह कि आप याद करने वाला कार्य प्रातः ब्रहम मुहूर्त में प्रातः 4 बजे से 6 बजे के मध्य करें तो उत्तम है। लिखने वाला कार्य सोने से पहले पूरा कर लें, तब सोये। प्रातः जगने के बाद फ्रेश होकर याद करने वाला कार्य करें, याद करने के बाद उसे मन ही मन में गुनगुनायें, अपना मूल्याँकन खुद ही करें। आप देखेंगे कि आपकी याददाश्त की क्षमता में गजब का विकास हुआ है। परीक्षा में निम्न बातों का विशेष ध्यान देना आवश्यक है।

परीक्षा समय से पहले ही परीक्षा भवन पहुँच जायें।

कापी मिलते ही ईश्वर को स्मरण करें। मन में यह विश्वास करें कि परीक्षा की तैयारी सबसे अधिक आपने ही की है।

प्रश्न पत्र मिलते ही धैर्यपूर्वक पढ़े, मनन करें, जल्दबाजी न करें, हड़बड़ाहट में कोई उत्तर लिखना प्रारम्भ न करें। पहले प्रश्नों को भली-भाँति समझे तब उत्तर लिखना प्रारम्भ करें।

जो प्रश्न पूछा गया है उसी का उत्तर दें। प्रश्न के मूल से हटकर उत्तर न दें, न तो कोई प्रश्न छोड़े और न ही आवश्यकता से अधिक प्रश्नों का उत्तर दें।

प्रश्नों के उत्तर देते समय घड़ी पर ध्यान दें, कोशिश करें कि प्रश्नों के मूल्यों के अनुसार ही उन्हें समय दे। कम अंक दिलाने वाले प्रश्नों को कम समय और अधिक अंक दिलाने वाले प्रश्नों को अधिक समय देकर समय का सही बँटवारा करें। 

यदि आप परीक्षा को सुनहरा भविष्य मानते हुए उपयुक्त सुझावों पर अमल करते हैं तो निःसन्देह आप परीक्षा की कसौटी पर खरा उतरेंगे और सर्वोच्चता के शिखर पर पहुँचेंगे। इसमें कोई सन्देह नहीं है।



(पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’)

12 स्टेशन रोड, लखनऊ।

मोबाइल: 9415015045, 9839012365

ईमेल: ीवेींतउं12/तमकपििउंपसण्बवउ


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