फ़िल्मो में खलनायक की भूमिका में पीजी झाँटू अब से अन्ना मुरली कहे जाएँगे ।
कहते हैं कि किसी व्यक्ति का विचार परिवर्तन जल्द नहीं होता, और यदि किसी का विचार परिवर्तन हो भी जाये तो उसका व्यक्तित्व परिवर्तन आसानी से नही होता । लेकिन बात जब सिनेमा की हो तो यहाँ सब कुछ सम्भव सा लगने लगता है । यहाँ पर हम फैंटसी को जीने लगते हैं और जो चाहे उस तरह से अपने आकार और विचार को भी विभिन्न रूपों में स्थापित कर सकते हैं । अब ये कहानी है कोलकाता के भवानीपुर के रहने वाले पीजी झांटू’ से ‘अन्ना मुरली’ बनने की। जब समय बदलता है तो सोंच और संभावित टीम बदल जाती है। इंसान के ज़िन्दगी में कुछ सक्सेस पाने के लिए प्लेटफॉर्म बदलते हैं और दूसरा प्लेटफॉर्म ढूंढने लगते हैं। दरअसल इंसान के जीवन के सभी स्टेशनों को छूने पर भी किस्मत की ट्रेन सभी स्टेशनों पर नहीं रुकती । यहाँ आज ‘पीजी झांटू’ से लेकर ‘अन्ना मुरली’ की कहानी में, रंग में कोई बदलाव नहीं है और न ही किस्मत का पैमाना है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के भवानीपुर के रहने वाले झाँटू डे ने छात्र राजनीति से ही बंगाल के मदन मित्रा की छत्रछाया में अपना सफर शुरू किया था जिनको कि आज अन्ना मुरली के रूप में जाना जा रहा है ।
यह पहली बार है जब झांटू डे उर्फ "पीजी झाँटू " बंगला फ़िल्म एंटोनी में एक खलनायक के रूप में डेब्यू करने जा रहे हैं। इस फिल्म में उनके मुख्य कलाकार मशहूर बंगाली फिल्म अभिनेता बोनी सेनगुप्ता और टॉलीवुड की नंबर वन अभिनेत्री शुभांकी धर हैं । पीजी झाँटू बताते हैं कि उनके इस राजनेता से फ़िल्म अभिनेता बनने के सफर में मदन मित्रा ने बहुत साथ दिया है । वो कहते हैं कि मैं तो बस एक साधारण सा कार्यकर्ता भर था जीवन पार्टी के लिए समर्पित कर दिया हूँ लेकिन मदन मित्रा ने मुझे रंग देखकर नहीं बल्कि गुण देखकर ही शायद किसी भी पार्टी के असहाय लोगों के साथ खड़ा होना सिखाया है। जब तक मेरे पास जीवन है, मैं अपने स्थानीय लोगों के साथ रहूंगा । विदित हो कि झाँटू डे आजकल एक बंगला फ़िल्म में मुख्य खलनायक की भूमिका में शूटिंग कर रहे हैं और यह फ़िल्म बिल्कुल ही साउथ इंडियन सिनेमा के तर्ज पर बनाई जा रही है , इस फ़िल्म का निर्देशन कर रहे हैं जाने माने फ़िल्म निर्देशक द्वैपायन मैती । इतने बड़े स्तर पर खलनायक की भूमिका में काम करने के बारे में झांटू डे कहते हैं कि मैं इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था, हम राजनीति के लोग हैं। अभिनय मेरा पेशा नहीं है, बल्कि बेबस लोगों के साथ खड़े रहना मेरी लत है। मैं इस फ़िल्म में ख़ुद को चुनने के लिए अभिनेत्री शुभांकी धर को धन्यवाद देता हूं । वे इस पेशे में बहुत अच्छी हैं, मैं तो इतना भी नहीं हूं कि थोड़ा सहज होकर काम कर सकूं लेकिन इस फ़िल्म में मेरे अंदर का डर काम कर रहा है, और इसी कारण मेरा काम निखर कर आ रहा है । बल्कि मैं तो यह भी कहूंगा कि इस फिल्म में विलेन बनने के लिए निर्देशक और अभिनेत्री शुभांकी मुझे असंभव को सम्भव बनाने के तर्ज पर कास्ट किया और आज सब सपना सच होने के जैसा लगता है ।
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