प्रधानमंत्री ने सीर गोवर्धनपुर, वाराणसी स्थित श्री गुरु संत रविदास महाराज जी
की जन्मस्थली में आयोजित 647वें प्रकाश वर्ष समारोह को सम्बोधित किया
प्रधानमंत्री जी ने संत रविदास मन्दिर में दर्शन-पूजन किया,
संत रविदास जी की कांस्य की प्रतिमा का अनावरण किया
सीर गोवर्धनपुर में संत रविदास मन्दिर से सम्बन्धित
101 करोड़ रु0 के विकास कार्याें का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया
संत रविदास जी ने समता और समरसता की शिक्षा दी: प्रधानमंत्री
समानता वंचित समाज को प्राथमिकता देने से आती है
पहले जिस गरीब को सबसे आखिरी समझा जाता था,
आज सबसे बड़ी योजनाएं उसी के लिए बनी हैं
संत रविदास एक ऐसे संत हैं, जिन्हें मत, मजहब, पंथ,
विचारधारा की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता
आज महान संत और समाज सुधारक गाडगे बाबा की जयंती, गाडगे बाबा ने
संत रविदास की ही तरह समाज को रूढ़ियों से निकालने के लिए बहुत काम किया
आज केन्द्र सरकार रविदास जी के विचारों को ही आगे बढ़ा रही है
देश आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुका, विकसित भारत के निर्माण की मजबूत नींव रखी जा चुकी, अब अगले 5 साल इस नींव पर विकास की इमारत को और ऊंचाई देनी है
गरीब, वंचित की सेवा के लिए जो अभियान 10 वर्षों में चले हैं,
अगले 05 वर्षों में उन्हें और भी अधिक विस्तार मिलना है
प्रधानमंत्री जी की दूरदर्शिता, नेतृत्व व मार्गदर्शन में संत रविदास जी का
पावन तीर्थ नयी भव्यता एंव दिव्यता के साथ चमकता हुआ दिखाई दे रहा: मुख्यमंत्री
काशी की धरती के माध्यम से प्रधानमंत्री जी ने देश व दुनिया को नई प्रेरणा दी
प्रधानमंत्री जी ने जगद्गुरु रामानंद व सन्त रविदास जी की
शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए कार्यों को धरातल पर उतारा
समाज में सबका साथ.सबका विकास का मंत्र साकार हो रहा, हर गरीब
को मकान, शौचालय, 05 लाख रु0 की आयुष्मान भारत की गारंटी मिल रही
स्वतंत्र भारत में पहली बार बाबा साहब के पंच तीर्थों को सम्मान देने का कार्य हुआ
लखनऊ: 23 फरवरी, 2024
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि भारत का इतिहास रहा है कि जब भी देश को जरूरत हुई, कोई न कोई संत, ऋषि, महान विभूति भारत में जन्म लेते हैं। संत रविदास जी उस भक्ति आंदोलन के महान संत थे, जिसने कमजोर और विभाजित हो चुके भारत को नई ऊर्जा दी थी। संत रविदास जी ने समाज को आजादी का महत्व बताया था और सामाजिक विभाजन को पाटने का भी काम किया था। उन्होंने उस दौर में ऊंच-नीच, छुआछूत, भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई थी।
प्रधानमंत्री जी आज सीर गोवर्धनपुर, वाराणसी स्थित श्री गुरु संत रविदास महाराज जी की जन्मस्थली में आयोजित 647वें प्रकाश वर्ष समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इसके पूर्व, प्रधानमंत्री जी ने संत रविदास मन्दिर में दर्शन-पूजन किया। उन्होंने वहां पर संत रविदास जी की कांस्य की प्रतिमा का अनावरण किया। सीर गोवर्धनपुर में संत रविदास मन्दिर से सम्बन्धित 101 करोड़ रुपये के आध्यात्मिक पर्यटन विकास कार्याें का लोकार्पण एवं शिलान्यास भी किया।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि संत रविदास एक ऐसे संत हैं, जिन्हें मत, मजहब, पंथ, विचारधारा की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता। संत रविदास जी सबके हैं, और सब रविदास जी के हैं। जगद्गुरु रामानन्द के शिष्य के रूप में उन्हें वैष्णव समाज भी अपना गुरु मानता है। सिख भाई-बहन उन्हें बहुत आदर की दृष्टि से देखते हैं। काशी में रहते हुए उन्होंने ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ की शिक्षा दी थी। इसलिए, काशी को मानने वाले लोग, मां गंगा में आस्था रखने वाले लोग भी रविदास जी से प्रेरणा लेते हैं। आज केन्द्र सरकार रविदास जी के विचारों को ही आगे बढ़ा रही है। केन्द्र सरकार की योजनाएं सभी के लिए हैं। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’, मंत्र आज 140 करोड़ देशवासियों से जुड़ने का मंत्र बन गया है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि संत रविदास जी ने समता और समरसता की शिक्षा दी। उन्होंने हमेशा दलितों और वंचितों की विशेष चिंता की। समानता वंचित समाज को प्राथमिकता देने से आती है। जो वर्ग विकास की मुख्यधारा से दूर रह गए, पिछले दस वर्षों में उन्हें केंद्र में रखकर काम हुआ है। पहले जिस गरीब को सबसे आखिरी समझा जाता था, सबसे छोटा कहा जाता था, आज सबसे बड़ी योजनाएं उसी के लिए बनी हैं। इन योजनाओं को आज दुनिया में सबसे बड़ी सरकारी योजनाएं कहा जा रहा है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि यहां सन्त रविदास जी की जयंती के पर्व पर दूर दूर से लोग आते हैं। पंजाब से इतने भाई-बहन आते हैं कि बनारस खुद भी ‘मिनी पंजाब’ जैसा लगने लगता है। यह सब संत रविदास जी की कृपा से ही संभव होता है। उन्हें भी संत रविदास जी बार-बार अपनी जन्मभूमि पर बुलाते हैं। उन्हंे सन्त रविदास जी संकल्पों को आगे बढ़ाने का मौका मिलता है, उनके लाखों अनुयायियों की सेवा का अवसर मिलता है। गुरु के जन्मतीर्थ पर उनके सब अनुयायियों की सेवा करना उनके किसी सौभाग्य से कम नहीं।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज बनारस के विकास के लिए सैकड़ों करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास होने जा रहा है। इससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा और सुखद और सरल होगी। संत रविदास जी की जन्मस्थली के विकास के लिए भी कई करोड़ रुपए की योजनाओं का लोकार्पण हुआ है। इनमें मंदिर और मंदिर क्षेत्र का विकास, मंदिर तक आने वाली सड़कों का निर्माण, इंटरलॉकिंग और ड्रेनेज का काम, भक्तों के लिए सत्संग और साधना करने के लिए एवं प्रसाद ग्रहण करने के लिए अलग-अलग व्यवस्थाओं का निर्माण शामिल है। इससे लाखों भक्तों को सुविधा होगी। माघी पूर्णिमा की यात्रा में श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक सुख मिलेगा। साथ ही, उन्हें कई परेशानियों से भी छुटकारा मिलेगा। आज उन्हें संत रविदास जी की नई प्रतिमा के लोकार्पण का सौभाग्य भी मिला है। संत रविदास म्यूजियम की आधारशिला भी आज रखी गई है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज महान संत और समाज सुधारक गाडगे बाबा की जयंती भी है। गाडगे बाबा ने संत रविदास की ही तरह समाज को रूढ़ियों से निकालने के लिए, दलितों वंचितों के कल्याण के लिए बहुत काम किया था। खुद बाबा साहब आंबेडकर संत गाडगे बहुत बड़े प्रशंसक थे। गाडगे बाबा भी बाबा साहब से बहुत प्रभावित रहते थे।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि मंच पर आने से पहले वे संत रविदास जी की मूर्ति पर पुष्प अर्पित करने, उन्हें प्रणाम करने भी गये थे। उन्हांेने कहा कि वर्षों पहले भी, जब वह राजनीति में व किसी पद पर नहीं थे, तब भी संत रविदास जी की शिक्षाओं से उन्हंे मार्गदर्शन मिलता था। उनके मन में ये भावना होती थी कि उन्हंे रविदास जी की सेवा का अवसर मिले। आज काशी ही नहीं, देश की दूसरी जगहों पर भी संत रविदास जी से जुड़े संकल्पों को पूरा किया जा रहा है। रविदास जी की शिक्षाओं को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए नए केन्द्रों की स्थापना भी हो रही है। अभी कुछ माह पूर्व उन्हें मध्य प्रदेश के सतना में भी संत रविदास स्मारक एवं कला संग्रहालय के शिलान्यास का सौभाग्य भी मिला था। काशी में तो विकास की पूरी गंगा ही बह रही है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि कोरोना कालखण्ड में 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन की योजना चलाई। कोरोना के बाद भी मुफ्त राशन देना बंद नहीं किया गया। वह चाहते हैं कि जो गरीब अपने पैरों पर खड़ा हुआ है वो लंबी दूरी तय करे। उस पर अतिरिक्त बोझ न आए। ऐसी योजना इतने बड़े पैमाने पर दुनिया के किसी भी देश में नहीं है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश के हर गांव में, हर परिवार के लिए मुफ्त शौचालय बनाया गया। इसका लाभ सबसे ज्यादा दलित, पिछड़े परिवारों, खासकर माताओं-बहनों को हुआ। आज देश के गांव- गांव तक साफ पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन संचालित हो रहा है। 05 वर्षों से भी कम समय में 11 करोड़ से ज्यादा घरों तक पाइप से पानी पहुंचाया गया है। करोड़ों गरीबों को मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड मिला है। पहली बार उन्हें ये हौसला मिला है कि अगर बीमारी आ भी गई, तो इलाज के अभाव में जिंदगी खत्म नहीं होगी।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि जनधन खातों से गरीब को बैंक जाने का अधिकार मिला है। इन्हीं बैंक खातों में सरकार सीधे पैसा भेजती है। इन्हीं खातों में किसानों कीे किसान सम्मान निधि भेजी जाती है, जिनमें से करीब डेढ़ करोड़ लाभार्थी हमारे दलित किसान हैं। फसल बीमा योजना का लाभ उठाने वाले किसानों में बड़ी संख्या दलित और पिछड़े किसानों की है। युवाओं को वर्ष 2014 से पहली जितनी स्कॉलरशिप मिलती थी, आज उससे दोगुनी स्कॉलरशिप दलित युवाओं को दे रहे हैं। इसी तरह, वर्ष 2022-23 में पी0एम0 आवास योजना के तहत हजारों करोड़ रुपए दलित परिवारों के खातों में भेजे गए, ताकि उनका भी अपना पक्का घर हो।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि भारत इतने बड़े-बड़े काम इसलिए कर पा रहा है, क्योंकि आज दलित, वंचित, पिछड़ा और गरीब के प्रति सरकार की नीयत साफ है। भारत यह काम इसलिए कर पा रहा है, क्योंकि आपका साथ और आपका विश्वास हमारे साथ है। संतों की वाणी हर युग में उन्हें रास्ता भी दिखाती हैं, और सावधान भी करती हैं।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि संत रविदास जी कहा है कि जात-पात के फेर मंहि, उरझि रहइ सब लोग। मानुषता कूं खात हइ, रैदास जात कर रोग। अर्थात ज्यादातर लोग जात-पांत के भेद में उलझे रहते हैं, उलझाते रहते हैं। जात-पात का यही रोग मानवता का नुकसान करता है। यानी, जात-पात के नाम पर जब कोई किसी के साथ भेदभाव करता है, तो वो मानवता का नुकसान करता है। अगर कोई जात-पात के नाम पर किसी को भड़काता है तो वो भी मानवता का नुकसान करता है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज देश के हर दलित को, हर पिछड़े को एक और बात ध्यान रखनी है। हमारे देश में जाति के नाम पर उकसाने और उन्हें लड़ाने में भरोसा रखने वाले लोग दलित, वंचित के हित की योजनाओं का विरोध करते हैं। गरीबों के लिए शौचालय बनाने की शुरुआत हुई थी तो इन लोगों ने उसका मजाक उड़ाया था। इन्होंने जनधन खातों का मजाक उड़ाया था। इन्होंने डिजिटल इंडिया का विरोध किया था। यह अपने परिवार से बाहर किसी भी दलित, आदिवासी को आगे बढ़ने नहीं देना चाहते हैं। दलितों, आदिवासियों का बड़े पदों पर बैठना इन्हें बर्दाश्त नहीं होता है। देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी भी जब चुनाव लड़ रही थीं, तो उनका विरोध किया गया था। जिन्हें चुनाव के समय दलित, पिछड़ा, आदिवासी अपना वोट बैंक नजर आने लगता है। इन लोगों से, इस तरह की सोच से सावधान रहना है। जातिवाद की नकारात्मक मानसिकता से बचकर संत रविदास जी की सकारात्मक शिक्षाओं का पालन करना है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि रविदास जी कहा है कि सौ बरस लौं जगत मंहि, जीवत रहि करू काम। रैदास करम ही धरम हैं, करम करहु निहकाम।। अर्थात सौ वर्ष का जीवन हो, तो भी पूरे जीवन हमें काम करना चाहिए। क्योंकि, कर्म ही धर्म है। हमें निष्काम भाव से काम करना चाहिए। संत रविदास जी की यह शिक्षा आज पूरे देश के लिए है। देश आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है। पिछले वर्षों में विकसित भारत के निर्माण की मजबूत नींव रखी जा चुकी है। अब अगले 5 साल इस नींव पर विकास की इमारत को और ऊंचाई देनी है। गरीब, वंचित की सेवा के लिए जो अभियान 10 वर्षों में चले हैं, अगले 5 वर्षों में उन्हें और भी अधिक विस्तार मिलना है। यह सब 140 करोड़ देशवासियों की भागीदारी से ही होगा। यह जरूरी है कि देश का हर नागरिक अपने कर्तव्यों का पालन करे। हमें देश के बारे में सोचना है। तोड़ने वाले, बांटने वाले विचारों से दूर रहकर देश की एकता को मजबूत करना है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि संत रविदास जी की कृपा से देशवासियों के सपने जरूर साकार होंगे।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेशवासियों की ओर से प्रधानमंत्री जी का स्वागत करते हुए कहा कि आज सद्गुरु पूज्य संत रविदास जी महाराज के 647वें जयन्ती समारोह में प्रधानमंत्री जी का आगमन हुआ है। प्रधानमंत्री जी ने अपने कर-कमलों से संत रविदास जी की प्रतिमा का लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री जी द्वारा आज विभिन्न विकास परियोजनाओं का भी लोकार्पण एवं शिलान्यास सम्पन्न होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सीर गोवर्धनपुर आने पर काशी की ही तर्ज पर एक नया स्वरूप देखने को मिलता है। आज के 10 वर्ष पूर्व, यह एक कल्पना थी। यहां के भव्य समागम के अवसर पर जगह नहीं मिल पाती थी। सड़कें संकरी थीं। प्रधानमंत्री जी की दूरदर्शिता, नेतृत्व व मार्गदर्शन में संत रविदास जी का पावन तीर्थ नयी भव्यता एवं दिव्यता के साथ चमकता हुआ दिखाई दे रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश वर्ष 1947 में आजाद हुआ। उसके पहले भी लोग घोषणाएं करते थे, लेकिन कोई कार्य नहीं हुआ। प्रधानमंत्री जी ने जगद्गुरु रामानंद व सन्त रविदास जी की शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए कार्यों को धरातल पर उतारा है। जगदगुरु रामानंद जी ने यहीं कहा था ‘जाति-पाति पूछे नहीं कोई, हरि को भजे सो हरि के होई’ यह हमें आज देखने को मिल रहा है। समाज में सबका साथ, सबका विकास का मंत्र साकार हो रहा है। हर गरीब को मकान, शौचालय, पांच लाख रुपये की आयुष्मान भारत की गारंटी मिल रही है। साथ ही जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति की जा रही है। स्वतंत्र भारत में पहली बार बाबा साहब के पंच तीर्थों को सम्मान देने का कार्य हुआ है। इसके लिए पूरा देश व समाज प्रधानमंत्री जी के प्रति आभार व्यक्त करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि काशी की धरती के माध्यम से प्रधानमंत्री जी ने देश व दुनिया को नई प्रेरणा दी है। कोरोना कालखण्ड में हर कोई सशंकित था कि 140 करोड़ भारतवासी कैसे जीवित रहकर आगे बढ़ पाएंगें। प्रधानमंत्री जी ने निःशुल्क टेस्ट, वैक्सीन व उपचार की व्यवस्था की। 600 वर्ष पहले सद्गुरु ने कहा था कि ‘ऐसा चाहूं राज मैं, जहां मिले सबन को अन्न, छोट बड़ा सब संग बसे रैदास रहे प्रसन्न’। संत रविदास जी की इस उक्ति को प्रधानमंत्री जी ने चरितार्थ किया। चार वर्ष से 80 करोड़ लोगों को बिना भेदभाव निःशुल्क राशन मिल रहा है। सद्गुरु के कार्यों को जमीनी धरातल पर उतारकर कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया जा रहा है।
इस अवसर पर विधान परिषद सदस्य श्री भूपेंद्र सिंह चैधरी, अखिल भारतीय रविदास धर्म संगठन के उपाध्यक्ष श्री नवदीप दास, पूर्व सांसद श्री विजय सांपला सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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