मथुरा।बात ग्लोबल वार्मिंग से शुरू होकर उत्तर प्रदेश के मथुरा पहुंच जाए तो आप हैरान मत होइएगा. इसका सीधा कनेक्शन है. इस कनेक्शन का नाम है शुभम बंसल और उनकी टीम. ये सभी मिलकर पुराने सामान को रिसाइकिल करके जरूरतमंद लोगों तक पहुंचा रहे हैं. इस काम की अहमियत सिर्फ यही नहीं है कि इससे जरूरतमंदों की मदद हो रही है, बल्कि इससे पर्यावरण संरक्षण भी कम हो रहा है. ग्लोबल वार्मिंग से दुनिया को बचाने का एक अहम उपाय है रिसाइकलिंग. शुभम बंसल से बातचीत हुई तो सामने आया कि उन्होंने अपनी इस संस्था का नाम रखा है- गीतांजली फाउंडेशन. क्या है ये गीतांजली फाउंडेशन और कैसे करता है काम, जानते हैं-
4 लाख लोगों तक पहुँचा चुके हैं मदद शुभम बताते है, 24 अक्टूबर 2018 को हमने गीतांजली नाम से इसकी शुरुआत की थी. गीतांजली फॉउंडेशन उत्तर प्रदेश के कई शहरो में बेघर, असहाय गरीब जरूरतमंदों के लिए कार्य कर रही है। गीतांजली फाउंडेशन एक ऑनलाइन निशुल्क प्लेटफॉर्म के माध्यम से कार्य करती है जिसकी मदद से घरों में उपयोग में न आ रहे सामान जैसे कपड़े, खिलौने, किताबे, जूते, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, फर्नीचर एवं अन्य सामान को कलेक्ट कर उपयोग लायक बनाकर जरूरतमंद परिवारों तक पहुँचाया जाता है. ‛बातचीत में सामने आया कि शुभम और उनकी टीम अब तक 4 लाख से ज्यादा जरूरतमंद परिवारों तक मदद पहुँचा चुकी है. 35 हजार से भी ज्यादा मथुरावासी पुराने सामान को डोनेट कर उनके इस प्लेटफॉर्म से जुड़ चुके हैं. यही नही 700 से ज्यादा लोग वॉलिंटियर्स के रूप जुड़कर समय देकर इस सेवा कार्यो में सहयोग करते है।
पूरी पारदर्शिता के साथ करते है काम शुभम बताते हैं।
'गीतांजली फाउंडेशन' के माध्यम से कोई भी व्यक्ति घर बैठे सिर्फ एक फ़ोन कॉल पर या गीतांजली फाउंडेशन के सोशल मीडिया एकाउंट पर रिक्वेस्ट डालने पर सामान डोनेट कर सकता है 'गीतांजली फाउंडेशन' टीम के सदस्यों द्वारा रिक्वेस्ट मिलने पर घर जाकर वह सामान कलेक्ट किया जाता है और फिर उसे फ़िल्टर कर जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचाया जाता है. साथ ही उसका फोटो, वीडियो 'गीतांजली' के सोशल मीडिया पेजेस पर जाकर अपलोड कर दिया जाता है, जिससे जिसने भी सामान डोनेट किया है वह देख सके कि उसका दिया सामान किस जरूरतमंद परिवार तक पहुंचा है.
कहां कर रहे हैं काम
ऑनलाइन निशुल्क प्लेटफॉर्म के माध्यम से सेवा कार्य कर रही संस्था गीतांजली फाउंडेशन से जुड़ी सेवा और सुविधा फिलहाल मथुरा और उसके आस-पास के 100 किमी के क्षेत्रों तक ही सीमित है. भविष्य में इनकी पूरे उत्तर प्रदेश और देश के अन्य प्रदेशों में भी काम करने की योजना है. अपने इस अहम कार्य के लिए गीतांजली फाउंडेशन की टीम को किंग्स बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है
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