भारत के मुख्य न्यायाधीश ने उ0प्र0 के मुख्यमंत्री के साथ जनपद
प्रयागराज में डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया
डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का
शुभारम्भ करना मेरे लिए सौभाग्य की बात : मुख्य न्यायाधीश, भारत
भारत का संविधान बनने की प्रक्रिया में अपना मार्गदर्शन व योगदान
देकर डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद ने स्वतंत्र एवं आधुनिक भारत की नींव रखी
हमारी शिक्षा व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य मानवीय भावनाओं
को समझना और समर्थन करना और उन्हें संरक्षित करना होना चाहिए
प्रयागराज गंगा, यमुना, सरस्वती की त्रिवेणी का
संगम, यह धर्म, ज्ञान और न्याय की भी त्रिवेणी : मुख्यमंत्री
प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन व नेतृत्व में विगत 06-07 वर्षों में उ0प्र0 में
सुशासन स्थापित करने में सफलता मिली, सुशासन की पहली शर्त है रूल ऑफ लॉ
संसद में जो तीन नए कानून बने है, युवा अधिवक्ताओं के प्रशिक्षण के लिए
यहां विशेष कार्यक्रम प्रारम्भ हो, इसके लिए राज्य सरकार सभी सहयोग प्रदान करेगी
विश्वविद्यालय में प्रदेश भर से युवा अधिवक्ताओं को बुलाया जाए
लखनऊ : 16 फरवरी, 2024
भारत के मुख्य न्यायाधीश मा0 डॉ0 न्यायमूर्ति डी0वाई0 चन्द्रचूड़ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी एवं मा0 न्यायाधीशगण के साथ आज जनपद प्रयागराज में डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मुख्य न्यायाधीश मा0 डॉ0 न्यायमूर्ति डी0वाई0 चन्द्रचूड़, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी एवं मा0 न्यायाधीशगण ने डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद की प्रतिमा का अनावरण कर माल्यार्पण किया तथा डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की पुस्तिका का विमोचन किया।
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में भारत के मुख्य न्यायाधीश मा0 डॉ0 न्यायमूर्ति डी0वाई0 चन्द्रचूड़ ने कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का शुभारम्भ करना मेरे लिए बहुत ही सौभाग्य की बात है। यहां पर आप सबने मुझे अपनाया है। डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। वे हमारी संविधान सभा के अध्यक्ष होने के साथ ही, एक बड़े सम्मानित वकील भी थे। एक वकील के रूप में प्रयागराज से उनके बेहद नजदीकी सम्बन्ध रहे। कलकत्ता विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून में पी0एच0डी0 की।
मा0 मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि भारत का संविधान बनने की प्रक्रिया में अपना मार्गदर्शन व योगदान देकर डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद ने स्वतंत्र एवं आधुनिक भारत की नींव रखी। संविधान सभा में डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद ने सभी सदस्यों को अपनी बात रखने का मौका दिया, जिससे भारत की संसदीय परम्परा की शुरुआत हुई। संविधान सभा के सभी सदस्य डॉ0 प्रसाद को सम्मान की दृष्टि से देखते थे। यही कारण था कि जब भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुनने का मौका आया, तब डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद को ही इस पद के लिए सबसे योग्य माना गया। इस विश्वविद्यालय का नाम डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद से जोड़कर डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद की विरासत को सम्मान दिया गया है। साथ ही, आने वाली पीढ़ियों को डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद के विचार से प्रेरित करने का काम भी किया गया है।
मा0 मुख्य न्यायाधीश ने मुख्यमंत्री जी, मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश, समस्त न्यायाधीशों तथा विश्वविद्यालय की स्थापना से जुड़े सभी लोगों को बधाई देते हुए कहा कि यह सुखद संयोग है कि मैंने भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर लगभग पौने तीन वर्ष यहां बिताये हैं। अपने कार्यकाल के दौरान मैंने न सिर्फ उच्च न्यायालय के सम्मानित न्यायाधीशों के साथ कई अहम मुद्दो पर काम किया, बल्कि प्रयागराज के गौरवशाली इतिहास के विषय में भी जाना। इस उच्च न्यायालय में अपने कार्यकाल के दौरान प्रयागराज ही नहीं बल्कि प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को जाना। मेरा मानना है कि उत्तर प्रदेश भारत का दिल है। अपने अनुभवों को साझा करते हुए मा0 मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मुझे अपने कार्यकाल के दौरान कई जनपदों में जाने का मौका मिला, और मैंने जिला न्यायपालिकाओं से जुड़ी समस्याओं को समझने का प्रयास किया।
मा0 मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि प्रयागराज सदियों से ज्ञान व विचार विनिमय का केन्द्र रहा है। इसे पूर्व का ऑक्सफोर्ड कहा जाता है। स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख केन्द्र के रूप में भी प्रयागराज उन अग्रणी शहरों में रहा, जिसने आजादी के आंदोलन में हौसला प्रदान किया। महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, आचार्य कृपलानी ने इस शहर को अपनी रणनीति का केन्द्र बनाया था। शहर का अल्फ्रेड पार्क शहीद चन्द्रशेखर आजाद की शौर्य गाथा का जीवंत उदाहरण है। साहित्य, कला, तहजीब, संस्कृति एवं कानूनी परम्परा को समेटे इस शहर में डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना से न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी होगी, बल्कि शहर को भी एक नया आयाम मिलेगा। यह अवसर न सिर्फ हमें कानूनी शिक्षा के बढ़ते आयाम के बारे में बताता है, बल्कि कानूनी शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त चुनौतियों को भी दूर करने में सक्षम बनाता है।
मा0 मुख्य न्यायाधीश ने समाज में अधिवक्ताओं की सकारात्मक भूमिका, विधिक शिक्षा के उद्देश्य, विधिक शिक्षा में व्यावहारिक एवं संरचनात्मक चुनौतियों एवं उससे आगे बढ़ने के उपाय के बारे में अधिवक्ताओं की भूमिका के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के समय से अधिवक्तागण राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। अधिवक्ताओं ने भारत के संविधान निर्माण की प्रक्रिया एवं सम-सामयिक भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। मा0 मुख्य न्यायधीश ने लीगल प्रोफेशन व लीगल एजूकेशन के अंर्तसम्बंधों को विस्तार से बताया। उन्होंने लॉ कालेजों को वर्तमान परिदृश्य के अनुरूप अपनी रणनीति बनाने के लिए कहा।
मा0 मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि एक तरफ जहां हम नए विषयों जैसे कि स्पेस लॉ, टेक्नोलॉजी लॉ आदि पर बात करते है, दूसरी ओर इस बात पर जोर देने की जरूरत है कि इन सब विषयों पर बातचीत तक ही सीमित न रह जाये। हमारा उद्देश्य होना चाहिए कि कानूनी शिक्षा में यह जो बदलाव आ रहे है, उनका असर हर विश्वविद्यालय और कालेज में हो। शिक्षा की गुणवत्ता सभी विश्वविद्यालयों में एक समान होनी चाहिए। बार कौंसिल से सम्बंधित देश के अन्य कॉलेज, लॉ यूनिवर्सिटी में हमें शिक्षा के नवाचार से जुड़े प्रयासों को बल प्रदान करना चाहिए। आज टेक्नोलॉजी के माध्यम से भाषिनी सॉफ्टवेयर द्वारा हमने वर्ष 1950 से वर्ष 2024 तक के सर्वोच्च न्यायालय के करीब 36,000 निर्णयों का अनुवाद किया है। इसका उद्देश्य है कि जो लोग अंग्रेजी भाषा नहीं जानते है और जिला न्यायालय में पै्रक्टिस करते है, वे इसका लाभ उठायें।
मा0 मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जब हम शिक्षा के क्षेत्र में बराबरी की बात करेंगे, तब ही समाज में बराबरी की बात आगे बढ़ेगी। शिक्षा के माध्यम से लोगो को अपने अधिकारों तथा दायित्वों का बोध होता है। इससे वे समाज के सकारात्मक बदलाव में सक्रिय भागीदार बनते हैं और अपने व्यक्तिगत व सामाजिक उत्थान के लिए काम करते हैं। हमारी शिक्षा व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य मानवीय भावनाओं को समझना और समर्थन करना और उन्हें संरक्षित करना होना चाहिए। इससे लोगो के बीच सम्बंधों में सहानुभूति, समझदारी और सहयोग के मूल्यों को बढ़ावा दिया जा सकता है। शिक्षा व्यवस्था के माध्यम से हम समृद्ध और सहयोगी समाज की नीव रख सकते हैं।
मा0 मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आज जब हम नए विधि विश्वविद्यालय के शुभारम्भ के अवसर पर एकत्रित हुए है, तो हमें यह सोचने की जरूरत है कि हम विधिक शिक्षा को किस ओर ले जाना चाहते है। एक विश्वविद्यालय को समावेशी एवं दूरदर्शी होने के साथ-साथ भविष्य की आने वाली चुनौतियों के लिए भी तैयार रहना चाहिए। शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में समय के साथ बदलाव, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को संस्थानिक उपायों के जरिये मुख्यधारा में शामिल करना, उनकी क्षमता में वृद्धि व अवसरों की समानता सुनिश्चित करना एक विश्वविद्यालय का उद्देश्य होना चाहिए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रयागराज गंगा, यमुना, सरस्वती की त्रिवेणी का संगम है। साथ ही यह धर्म, ज्ञान और न्याय की त्रिवेणी भी है। उन्होंने कहा कि आठ वर्ष के बाद प्रयागराज में एक नई उपलब्धि की कड़ी जोड़ने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश मा0 डॉ0 न्यायमूर्ति डी0वाई0 चन्द्रचूड़ जी के प्रयागराज आगमन पर प्रदेश्वासियों की ओर से मैं उनका स्वागत करता हूं। मा0 मुख्य न्यायाधीश जी का इलाहाबाद हाईकोर्ट के मा0 मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल न्यायिक इतिहास में उत्तर प्रदेश वासियों के लिए अविस्मरणीय बना हुआ है। मा0 मुख्य न्यायाधीश जी ने उस समय न्यायिक क्षेत्र में जो नजीर प्रस्तुत की, वह आज भी न केवल न्यायिक क्षेत्र से जुड़े हुए लोगो के लिए बल्कि एक सामान्य व्यक्ति के मन में भी नया विश्वास पैदा करता है। उन्होंने धर्म, ज्ञान और न्याय की इस त्रिवेणी के महासंगम में डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद विधि विश्वविद्यालय के शुभारम्भ के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश मा0 डॉ0 न्यायमूर्ति डी0वाई0 चन्द्रचूड़ जी को आमंत्रित करने के लिए नवगठित विश्वविद्यालय के विजिटर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा जी, विश्वविद्यालय के चांसलर व इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मा0 मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरूण भंसाली, जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता व अन्य सभी मा0 न्यायमूर्तिगण को धन्यवाद दिया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह अवसर हमारे लिए महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि भारत गणतंत्र ने अपने अमृत महोत्सव वर्ष में प्रवेश किया है। 26 जनवरी, 1950 को भारत ने अपना संविधान लागू किया था। इन 74 वर्षों में भारत के संविधान ने भारत को उत्तर से दक्षिण व पूरब से पश्चिम एकता के सूत्र में बांधने एवं दुनिया को लोकतांत्रित तरीके से आगे बढा़ने के लिए एक नई प्रेरणा दी है। भारत गणतंत्र जब अपने अमृत महोत्सव वर्ष में प्रवेश कर रहा है, उन स्मृतियों को स्मरणीय बनाने के लिए एक नई शुरुआत न्याय की इस धरती से होने जा रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत के संविधान निर्माण के समय इसकी प्रस्तावना को लेकर बहुत लम्बी चर्चा हुई थी, उस समय बाबा साहब डॉ0 भीमराव आंबेडकर जी ने कहा था कि हमारी चुनौती संविधान के विस्तार को ले करके है, अंत को ले करके नहीं है। हम इसी को ले करके परेशान होते हैं कि समारोह कैसा हो, समारोह अच्छा होगा, तो उसके परिणाम भी अच्छे आयेंगे, बशर्ते हमने शुरुआत अच्छी की हो। यह शुरुआत अच्छी हुई है और वह भी भारत के संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद जी के नाम पर है, जो भारत गणतंत्र के पहले राष्ट्रपति बने थे। ऐसी महान विभूति के नाम पर बनने वाले इस विश्वविद्यालय का शुभारम्भ आज भारत के मुख्य न्यायाधीश मा0 डॉ0 डी0वाई0 चन्द्रचूड़ जी के कर-कमलों से किया जा रहा है। एक नए सत्र की शुरुआत होने जा रही है।
मुख्यमंत्री जी ने प्रसन्नता जतायी कि जिन छात्रों का इस विश्वविद्यालय में प्रवेश होने जा रहा है, उनके अभिभावक भी इस समारोह के भागीदार बन रहे हैं। यह पल उनके लिए बड़ा ही स्मरणीय होगा, क्योंकि उनके बच्चे जिस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं, उसका शुभारम्भ मा0 मुख्य न्यायाधीश जी के कर-कमलों के द्वारा हो रहा है। यह उन सभी बच्चों के लिए स्वाभाविक रूप से प्रेरणाप्रद होगी। उत्तर प्रदेश व हमारे लिए उपलब्धि है कि हम प्रदेश को राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय देने की ओर अग्रसर हुए है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश देश की बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन व नेतृत्व में विगत 06-07 वर्षों में उत्तर प्रदेश में सुशासन स्थापित करने में सफलता मिली है। सुशासन की पहली शर्त है रूल ऑफ लॉ है। रूल ऑफ लॉ बार व बेंच के सहयोग से ही सम्भव है। इसके लिए उत्तर प्रदेश की बार व बेंच को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सुशासन को स्थापित करने में बार व बेंच का सकारात्मक सहयोग प्रदेश को हमेशा प्राप्त हुआ है। इसी का यह परिणाम है कि आज प्रदेश कुछ नया करने की दिशा में अग्रसर हुआ है।
मुख्यमंत्री जी ने डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद विश्वविद्यालय के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आश्वस्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार इस दिशा में किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरतेगी। उन्होंने कहा कि सामान्य व्यक्ति का विश्वास न्यायिक क्षेत्र से बना है, हमें उस विश्वास को बनाये रखने में अपना योगदान देना है। लोकतंत्र में जनता का विश्वास बनाये रखने के लिए हमें भारत के लोकतंत्र के स्तम्भों को और मजबूती प्रदान करनी होगी। इसके लिए जितना सम्भव हो, उतना सकारात्मक सहयोग प्रदान करना चाहिए। उन्होंने आश्वस्त किया कि उच्च न्यायालय हो या जनपदीय इंट्रीग्रेटेड न्यायिक काम्पलेक्स बनाने का कार्यक्रम हो या फिर बार से जुडे़ प्रकरण हों, सभी का समाधान सकारात्मक रूप से निकाला जायेगा। सरकार जब समाधान के मार्ग पर आगे बढ़ती है, तो अवश्य ही उसका निष्कर्ष निकलता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मा0 मुख्य न्यायाधीश जी आज यहां कई वर्षों बाद आये हैं। इस आगमन पर उनके द्वारा यहां राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का शुभारम्भ किया जा रहा है। मा0 मुख्य न्यायाधीश जी की यह यात्रा यहां के लिए और आने वाली कई पीढ़ियों, युगों के लिए अविस्मरणीय होने जा रही है। पीढ़ियां इस दिन को देखकर भावुक होंगी। उन्होंने कहा कि संसद में जो तीन नए कानून बने है, युवा अधिवक्ताओं के प्रशिक्षण के लिए यहां विशेष कार्यक्रम प्रारम्भ हो। इसके लिए राज्य सरकार सभी सहयोग प्रदान करेगी। विश्वविद्यालय में प्रदेश भर से युवा अधिवक्ताओं को बुलाया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने अधिवक्ताओं के लिए बहुत कुछ करने का प्रयास किया है। बार के पदाधिकारियों को आश्वस्त करते हुए उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के साथ ही उनकी अन्य सुविधाओं के लिए सरकार उनका सहयोग करेगी।
कार्यक्रम को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश मा0 न्यायमूर्ति श्री मनोज मिश्रा, उच्च न्यायालय इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश मा0 न्यायमूर्ति श्री अरुण भंसाली, एडवोकेट जनरल श्री अजय कुमार मिश्रा, बार काउन्सिल ऑफ इण्डिया के अध्यक्ष श्री मनन कुमार मिश्रा ने भी सम्बोधित किया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर प्रो0 डॉ0 ऊषा टण्डन ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह हमारे लिए बड़े ही सौभाग्य की बात है कि इस अवसर पर हमें भारत के मुख्य न्यायाधीश, प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा अन्य मा0 न्यायाधीशों का सान्निध्य प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने अपने विशेष व्यक्तित्व व दृढ़ निश्चय से उत्तर प्रदेश को नई ऊंचाईयों की ओर ले जाने के लिए अद्वितीय प्रयास किए हैं। सामाजिक विकास के प्रति मुख्यमंत्री जी की अटूट निष्ठा एवं योगदान हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। सामाजिक उत्थान विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र में मुख्यमंत्री जी की दूरदर्शिता और प्रतिबद्धता को यह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय दर्शाता है। उन्होंने डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद के न्यायमूर्तिगण सहित अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।
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