जिलाधिकारी के आदेश को दरकिनार कर भू माफियाओं को पहुंचाया फायदा।
llहैदरगढ़ संवाददाताll
मामला ग्राम मन्झू पुर तहसील हैदरगढ़ जनपद बाराबंकी का है जहा करोड़ों की वेश कीमती संपत्ति भूमि गाटा संख्या 127,488, व 98 रकबा पक्का लगभग साढ़े पांच बीघा
को भूमाफिया कृष्णावती ने फर्जी इंट्री करवाकर अपने नाम दर्ज करवा लिया था जिसकी जानकारी 2015 में होने पर गांव सभा के जागरूक व्यक्तियों द्वारा पैरवी करने पर चकबंदी अधिकारी द्वारा 06/09/2017 को भू माफियाओं का नाम उक्त भूमि से खारिज कर दिया जाता है।
परंतु भ्रष्टाचार में कुछ भी संभव है भू माफियाओं ने यह साबित भी कर दिया।विधि विरुद्ध तरीके से तत्कालीन एस डी एम हैदरगढ़ पंकज कुमार द्वारा मात्र 26 दिन में बिना अधिकार के दौरान चकबंदी भू माफियाओं के पक्ष में विधि विरुद्ध कृत्य करते हुए एक नया आदेश दिनांक 06/12/2017 को जारी कर दिया गया।तत्कालीन एस डी एम द्वारा न तो मुकदमे को ऑनलाइन दर्ज किया गया और न ही आदेश ही ऑनलाइन दर्ज करवाया गया और एक करोड़ की सरकारी भूमि को सरकार के खाते से खारिज कर दिया जबकि दौरान चकबंदी एस डी एम महोदय को ग्राम सभा की भूमि खारिज करने और चकबंदी अधिकारी के आदेश के विरुद्ध आदेश पारित करने का कोई अधिकार नहीं था।भ्रष्टाचार यही नही रुका बल्कि इसकी अमल दरामद चकबंदी लेखपाल मुशीर अहमद द्वारा चकबंदी अधिनियम की धारा 9 का उलंघन करके सीधे सीoएच 23 पर नियम विरुद्ध तरीके से कर दी जाती है।तथा अमल दरामद होने के बाद भू माफियाओं द्वारा ग्राम सभा की भूमि का विक्रय कृष्णावती,कृष्ण कुमार , व अवधेश कुमार द्वारा मिलकर दिनांक 25/05/2019 को कर दिया जाता है।
मामला तूल पकड़ने पर जिलाधिकारी द्वारा जांच करवाई जाती है जिसमे अनियमितताएं पाई जाती है परंतु मामले को मात्र दबाते हुए दौरान चकबंदी एस डी एम द्वारा पारित किए गए आदेश को सुधार करने के आदेश जिलाधिकारी बाराबंकी द्वारा दिनांक 19/09/2019 को एस डी एम हैदरगढ़ को दिया जाता है।
परंतु 4 साल बीतने पर भी उसका अनुपालन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा आज तक नही किया गया एवं ग्राम वासियों द्वारा काफी शिकायते करने पर भी तत्कालीन एस डी एम पंकज कुमार के विरुद्ध जांच आज तक नही हो सकी।लेखपाल को दोषी पाया गया लेकिन विभागीय दंडात्मक कार्यवाही आज तक नही हो सकी।कार्यवाही न होने से निडर हो चुके चकबंदी विभाग के तत्कालीन सहायक चकबंदी अधिकारी ,तुलसीराम, द्वारा भू माफियाओं के पक्ष में बैक डेट में संदर्भ के कागजात भी तैयार कर दिए गए है जिससे भू माफियाओ को लाभ मिल सके।अधिकारियो द्वारा उक्त प्रकरण को गंभीरता से न लेने के कारण सरकार को करोड़ों की संपत्ति की हानि उठानी पड़ सकती है।
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